Israel-Hamas War : ये आपको कहानी लग सकती है, लेकिन 16 आने सच है. इजरायल के इंतकाम की कहानी. मौत का बदला लेने की कहानी, 20 साल तक चुन-चुनकर मारने की कहानी. 51 साल पहले कुछ ऐसा हुआ था, जिसके बाद से इस कहानी की शुरुआत हुई.
Trending Photos
Israel Hamas War : इजरायल इंतकाम जरूर लेता है. दुनिया ने ये अतीत में देखा है. अपने नागरिकों की हत्या का बदला लिए बिना इजरायल छोड़ता नहीं है. ऐसा अतीत में भी उसने किया है. अब भी कर रहा है. हमास के आतंकियों ने जब इजरायल के बेकसूर नागरिकों को घर में घुसकर मौत के घाट उतार दिया तो इससे राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू भी तिलमिला गए. कुछ ने सवाल उठाए कि आखिर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) फेल कैसे हो गई लेकिन अब इजरायल हमास में आतंकियों के ठिकाने पर लगातार हमले कर रहा है. 51 साल पहले भी कुछ ऐसा हुआ था, जब इजरायल की इसी खुफिया एजेंसी ने लगातार 20 साल तक अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लिया.
1972 के ओलंपिक में मचा था विध्वंस
साल 1972, जर्मनी के शहर म्यूनिख (Munich) में ओलंपिक गेम्स खेले जा रहे थे. दुनिया के कई देशों के खिलाड़ी इन खेलों में अपना परचम लहराने पहुंचे. इजरायल ने भी 5 खिलाड़ी और 6 कोच का अपना छोटा दल गेम्स के लिए भेजा. 26 अगस्त 1972 से खेलों का आगाज हुआ. सितंबर की 5 तारीख को ऐसी खबर आई, जिससे सभी सकते में आ गए. दुनिया के कई देश डर गए, जिनके भी खिलाड़ी ओलंपिक गेम्स में हिस्सा लेने के लिए म्यूनिख में थे. ये खबर थी इजरायल के दल के सभी 11 लोगों को मार दिया गया.
ब्लैक सितंबर दिया गया नाम
5 सितंबर से 6 सितंबर के बीच खूनी खेल चला. इसे आलंपिक खेलों के इतिहास में काला दिन (Black September) भी कहा जाता है. खेलगांव में कुल 17 शव पड़े थे. फिलीस्तीनी आतंकियों ने बर्बरता के साथ इजरायल के पूरे के पूरे दल को पहले अगवा किया और फिर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी. खिलाड़ियों जैसे ट्रैक-सूट पहने 8 आतंकी लोहे की दीवार फांदकर बचते-बचाते ओलंपिक गेम्स विलेज में घुसने की कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान कनाडा के कुछ प्लेयर्स पहुंच गए, जिन्हें लगा कि वे किसी दूसरे देश के खिलाड़ी हैं. इन खिलाड़ियों ने भलाई दिखाते हुए दीवार फांदने तक में उनकी मदद की. इसके बाद ये आठों उस होटल के बाहर पहुंच गए, जिसमें इजरायल के खिलाड़ी ठहरे थे.
PLO के आतंकियों ने दिया अंजाम
होटल में दाखिल हुए ये आठों आतंकी फिलीस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी पीएलओ से जुड़े थे. आतंकियों के हाथों में हथियार दिखाई दिए, पूरे गेम्स विलेज में ये खबर आग की तरह फैल गई, हड़कंप मच गया. इन सभी ने फिर अपने मिशन को अंजाम देने की शुरुआत की. सबसे पहले रेसलिंग कोच मोसे वेनबर्ग को गोली मारी. इसके बाद आतंकियों ने होटल के एक-एक कमरे की तलाशी ली और इजरायली दस्ते के सभी बाकी 10 सदस्यों को बंधक बना दिया. जिसने भी आतंकियों से मुकाबले की कोशिश की, उसको मारते गए.
आतंकियों ने फिर रखी ये मांग
बाद में खबर फैली कि पीएलओ के आतंकियों ने म्यूनिख इजरायली स्क्वॉड को बंधक बना लिया है. तब तक किसी को ये जानकारी नहीं थी कि स्क्वॉड के 2 लोग मारे जा चुके हैं. फिर आतंकियों ने मांग रखी कि इजरायल की जेलों में बंद 234 फिलीस्तीनियों को रिहा किया जाए. इजरायल ने साफ कह दिया कि कोई मांग नहीं मानी जाएगी. बस इतना सुनने के बाद आतंकियों ने 2 शव हॉस्टल के बाहर फेंक दिए. अफरा-तफरी मच गई, लेकिन इजरायल नहीं झुका. इजरायल की पीएम तब गोल्ड मेयर थीं, उनके ऐसे सख्त तेवर देख पूरी दुनिया सन्न रह गई.
इस प्लान से माननी पड़ी आतंकियों की मांग
तब दुनिया को लगा कि गोल्ड मेयर अपने खिलाड़ियों को छुड़ाने के लिए कुछ नहीं कर रही हैं. हाथ पर हाथ रखे बैठी हैं लेकिन हकीकत कुछ और थी. दरअसल, इजरायल उस वक्त जर्मनी को इस बात के लिए मनाने में जुटा था कि म्यूनिख में उसे स्पेशल फोर्स भेजने की मंजूरी दी जाए. जर्मनी इसके लिए सहमत नहीं हुआ. फिर आतंकियों ने मांग रखी कि उन्हें बंधक इजरायलियों के साथ वहां से निकलने दिया जाए. जर्मनी की सरकार ने ये मांग मान ली. उनकी योजना थी कि जब आतंकी वहां से निकलने के लिए एयरपोर्ट पहुंचेंगे तो फोर्स उन्हें वहीं खत्म कर देगी.
निहत्थे खिलाड़ियों पर बरसाईं गोलियां
इजरायल के प्लेयर्स को बस से उतारकर हेलीकॉप्टर में बैठा दिया गया. शार्प-शूटर्स ने कुछ ही देर बाद आतंकियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. खुद को इस तरह घिरता देख आतंकियों ने प्लेयर्स को मारना शुरू कर दिया. उन्होंने निहत्थे खिलाड़ियों पर गोलियां बरसा दीं. एक हेलीकॉप्टर को बम से उड़ा दिया गया. कुछ ही देर में एयरबेस पर मौजूद हर आतंकी मार गिराया गया देखते ही देखते शव बिछ गए. इजरायल का पूरा स्क्वॉड खत्म हो गया. खिलाड़ी, कोच सब मारे गए. इजरायल ने तब इंतकाम की कसम खाई और अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से उन सभी लोगों को मार गिराने का प्लान बनाया, जो किसी भी तरह से इस घटना में शामिल थे. इस मिशन को ‘रैथ ऑफ गॉड’ यानी ईश्वर का कहर नाम दिया गया.
20 साल तक लेते रहे बदला
बस फिर इजरायल जैसे इंतकाम के चक्कर में खून करता गया. आतंकियों को हथियार मुहैया कराने के शक में एक प्रोफेसर को मोसाद ने 12 गोली मारीं. लेबनान में आतंकियों को मारा. किसी होटल में बम से उड़ाया. पीएलओ के ठिकानों पर बमबारी की, जिनमें 200 आतंकी और आम नागरिक मारे गए. इजरायल की पीएम जैसे रौद्र रूप धारण किए बैठी थीं. उन्होंने मोसाद को ऐसा मिशन चलाने को कहा, जिसके तहत दुनिया में जगह-जगह रह रहे उन सभी लोगों को ढेर किया जाए, जो किसी भी तरह से ऑपरेशन 'ब्लैक सेप्टेंबर' का हिस्सा थे. ऐसा माना जाता है कि मोसाद ने करीब 20 साल तक उन सभी लोगों को चुन-चुनकर मारा जो किसी भी तरह से 'ब्लैक सेप्टेंबर' का हिस्सा थे.