India-China Relationship: जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में भारत-चीन संबंधों पर नपे-तुले शब्दों में हालिया घटनाक्रम के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले वहां नहीं थे.
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India-China Disengagement: भारत और चीन के संबंधों में गलवान झड़प के बाद जो कटुता बढ़ती जा रही थी, वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद थमती दिख रही है. दोनों ही देशों ने आपसी सहमति से LAC पर तनाव कम किया है. अब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी दोनों ही मुल्कों के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को स्वागत योग्य बताया है.
दो देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण में आस्ट्रेलिया के शहर ब्रिस्बेन पहुंचे जयशंकर की यह टिप्पणी डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने के बाद आई है. भारतीय सेना ने देपसांग में शनिवार को गश्त शुरू की, जबकि डेमचोक में गश्त शुक्रवार को आरंभ हुई थी. ब्रिस्बेन में प्रवासी भारतीयों से बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के संदर्भ में हमारे संबंधों में कुछ सुधार हुआ है. कुछ कारणों से हमारे संबंध खराब थे, पर अब पीछे हटने की दिशा में प्रगति हुई है.
जयशंकर ने बताया कि 2020 से पहले बड़ी संख्या में चीनी सैनिक वहां तैनात नहीं थे, लेकिन इसके बाद भारत ने भी जवाबी तैनाती की. उन्होंने कहा कि सैनिकों का पीछे हटना एक सकारात्मक कदम है, जो आगे और प्रगति की संभावनाएं खोलता है.
विदेश मंत्री ने उल्लेख किया कि रूस में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और वे अपने चीनी समकक्षों से मुलाकात करेंगे. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी हाल में कहा कि दोनों देशों के बीच एक समझौते को अंतिम रूप दिया गया है, जो पिछले चार साल के गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है.
जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई थी. जयशंकर ने कहा कि इस समय दो संघर्ष क्षेत्रों, यूक्रेन और पश्चिम एशिया पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. यूक्रेन-रूस संघर्ष के संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि भारत कूटनीति को फिर से बल दे रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत रूप से शामिल रहे हैं. इस संघर्ष का असर वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है, इसलिए भारत सक्रिय रूप से शांति की दिशा में काम कर रहा है और वैश्विक दक्षिण के देशों का भी उसे समर्थन मिल रहा है.
पश्चिम एशिया में स्थिति पर चर्चा करते हुए जयशंकर ने कहा कि वहां संघर्ष को फैलने से रोकने के प्रयास हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि फिलहाल ईरान और इजराइल एक-दूसरे से सीधे बात करने में असमर्थ हैं, इसलिए भारत समेत विभिन्न देश दोनों के बीच संवाद बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने हाल में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान से मुलाकात की, जहां उन्होंने क्षेत्र में शांति की आवश्यकता पर बल दिया.
‘क्वाड’ समूह के उद्देश्य पर जयशंकर ने कहा कि यह चार प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का समूह है - भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका, जो मिलकर कई मुद्दों पर काम करता है. क्वाड के एजेंडा में कनेक्टिविटी, जलवायु पूर्वानुमान और फेलोशिप जैसे विभिन्न कार्यक्रम शामिल हैं.