Lunar Impact Flash: नासा के उल्कापिंड पर्यावरण कार्यालय के प्रमुख बिल कुक के अनुसार, 100 से अधिक उल्कापिंड, पिंग पोंग गेंदों के रूप में, हर दिन चंद्रमा की सतह से टकराते हैं. फूजी ने कहा कि ऐसा लगता है कि अंतरिक्ष की चट्टान इदेलर एल क्रेटर के पास गिरी है जो चंद्रमा के पिटिस्कस क्रेटर से थोड़ा उत्तर पश्चिम में है.
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जापान के एस्ट्रोनोमर चंद्रमा की सतह से उल्कापिंड के टकराने की एक अविश्वसनीय घटना को कैप्चर किया है. वीडियो में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चंद्रमा के सतह के जिस हिस्से में उल्कापिंड टकराया वहां एक गड्ढा बन गया. दरअसल, 23 फरवरी को, एक जापानी खगोलशास्त्री (एस्ट्रोनोमर) ने लाइट की विशाल चमक को कैप्चर किया, जिसे उल्कापिंड के चंद्रमा से टकराने से उत्पन्न हुआ लाइट बताया गया.
हिरात्सुका सिटी संग्रहालय के खगोल विज्ञान के प्रमुख दाइची फूजी जापान के हिरात्सुका में स्थित अपने घर से रात 8.15 बजे (11.15 GMT) के आसपास इस घटनाक्राम को कैद करने में सफल रहे.
उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए और इसके बारे में बताते हुए अपने पोस्ट में लिखा, 'मैं अभी तक के समय में सबसे बड़ा चंद्र प्रभाव फ्लैश (लूनर इम्पैक्ट फ्लैश) को कैप्चर करने में सक्षम रहा! यह फ्लैश की एक तस्वीर है जो 23 फरवरी, 2023 को 20:14:30.8 पर दिखाई दिया. इसे हिरात्सुका स्थित अपने घर से मैंने कैप्चर किया. यह एक विशाल फ्लैश था जो 1 सेकंड से अधिक समय तक चमकता रहा. चूंकि चंद्रमा में कोई वायुमंडल नहीं है, इसलिए उल्काएं और आग के गोले नहीं दिखे. हालांकि, जिस पल ये गिरा, एक गड्ढा बना और बहुत तेज रोशनी चमकती नजर आई.'
私の観測史上最大の月面衝突閃光を捉えることができました!2023年2月23日20時14分30.8秒に出現した月面衝突閃光を、平塚の自宅から撮影した様子です(実際の速度で再生)。なんと1秒以上も光り続ける巨大閃光でした。月は大気がないため流星や火球は見られず、クレーターができる瞬間に光ります。 pic.twitter.com/Bi2JhQa9Q0
— 藤井大地 (@dfuji1) February 24, 2023
फूजी ने लिखा, 'अवलोकन के समय, चंद्रमा की सतह के ऊपर से कोई कृत्रिम उपग्रह नहीं गुजर रहा था, और जिस तरह से यह चमका, ज्यादा संभावना है कि ये लूनर इम्पैक्ट फ्लैश है.' फूजी ने कहा कि ऐसा लगता है कि अंतरिक्ष की चट्टान इदेलर एल क्रेटर के पास गिरी है जो चंद्रमा के पिटिस्कस क्रेटर से थोड़ा उत्तर पश्चिम में है.
उन्होंने अपने टेलीफोटो कैमरे की मदद से इस तेज रोशनी को कैद किया. उन्होंने दावा किया कि 'गड्ढा बहुत बड़ा है' और 'धारीयां स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं'. उन्होंने कहा कि आग के गोले और उल्कापिंड दिखाई नहीं देते हैं. हालांकि, चंद्रमा पर कोई वातावरण नहीं है, इसलिए यह गड्ढा बनने के दौरान वहां ये 'चमकता' है.
नासा के उल्कापिंड पर्यावरण कार्यालय के प्रमुख बिल कुक के अनुसार, 100 से अधिक उल्कापिंड, पिंग पोंग गेंदों के रूप में, हर दिन चंद्रमा की सतह से टकराते हैं.
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