Taliban को खुला चैलेंज देने वाली लेडी गवर्नर हुईं कैद, खुद बंदूक उठाकर लड़ रही थीं लड़ाई
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Taliban को खुला चैलेंज देने वाली लेडी गवर्नर हुईं कैद, खुद बंदूक उठाकर लड़ रही थीं लड़ाई

तालिबान के खिलाफ आवाज उठाने वाली लेडी गवर्नर सलीमा मजारी (Salima Mazari) को कैद में ले लिया गया है, जिन्होंने पकड़े जाने से पहले तक बंदूक उठाकर बल्ख प्रांत (Balkh Province) के लोगों की रक्षा की.

सलीमा माजरी अफगानिस्तान मूल की रहने वाली हैं.

काबुल: अफगानिस्तान में अशरफ गनी (Ashraf Ghani) की सरकार गिरने के बाद से ही देशभर में तालिबान का राज कायम हो गया है. एक तरफ तो तालिबान ऐलान कर रहा है कि वह पुरानी सरकार के लिए काम करने वालों को माफ कर देगा और महिलाओं को उनके अधिकार देगा. वहीं, दूसरी ओर इन वादों के बावजूद उसने विपक्षी नेताओं और महिलाओं के खिलाफ क्रूरता जारी रखा है.

  1. तालिबान ने सलीमा मजारी को किया कैद
  2. सलीमा ने खुद बंदूक उठाकर तालिबान का सामना किया
  3. सलीमा माजरी अफगानिस्तान मूल की रहने वाली हैं

तालिबान ने सलीमा मजारी को किया कैद

तालिबान (Taliban) की क्रूरता का ताजा मामला बल्ख प्रांत की एक महिला गवर्नर सलीमा मजारी (Salima Mazari) को बंधक बनाने से जुड़ा है. बताया गया है कि तालिबान ने उन्हें अपने खिलाफ आवाज उठाने के चलते कैद में ले लिया है. फिलहाल उन्हें कहां और किस हाल में रखा गया है, इसकी कोई जानकारी नहीं है.

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खुद बंदूक उठाकर तालिबान का किया सामना

सलीमा मजारी (Salima Mazari) अफगानिस्तान में पहली महिला गवर्नरों में से एक रही हैं. उन्हें कुछ साल पहले ही बल्ख के चाहत किंत जिले का गवर्नर चुना गया था. पिछले महीने ही जब तालिबान (Taliban) ने एक के बाद एक सभी प्रांतों पर धावा बोलना शुरू किया, तो सलीमा ने भागने के बजाय मुकाबला करने का फैसला किया और और पकड़े जाने से पहले तक बंदूक उठाकर अपने लोगों की रक्षा की. हालांकि, उनके जिले के तालिबान द्वारा घेरे जाने के बाद आखिरकार सरेंडर करना पड़ा.

कौन हैं सलीमा मजारी?

सलीमा माजरी अफगानिस्तान मूल की रहने वाली हैं और उनका जन्म साल 1980 में एक रिफ्यूजी के तौर पर ईरान में हुआ था, जब उनका परिवार सोवियत युद्ध से भाग गया था. सलीमा की पढ़ाई भी ईरान में ही हुई है. तेहरान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद सलीमा मजारी ने अपने माता-पिता को छोड़कर अफगानिस्तान जाने का फैसला किया. हालांकि इससे पहले उन्होंने कई यूनिवर्सिटीज और अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन में विभिन्न भूमिकाएं निभाई थीं. 2018 में उन्हें पता चला कि चारकिंत जिला के गवर्नर पद की वैकेंसी है और यह उनकी पुश्तैनी मातृभूमि थी, इसिलए उन्होंने इस पद के लिए आवेदन भर दिया. इसके बाद वह गवर्नर के लिए चुनी गईं.

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