सपनों का सऊदी बना रहे मोहम्मद बिन सलमान या मजदूरों की कब्रगाह? 8 साल में 21 हजार से ज्यादा गंवा चुके जान
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सपनों का सऊदी बना रहे मोहम्मद बिन सलमान या मजदूरों की कब्रगाह? 8 साल में 21 हजार से ज्यादा गंवा चुके जान

सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान स्‍वर्ग जैसा शहर बसा रहे हैं, लेकिन यह मजदूरों के लिए कब्रगाह बनता नजर आ रहा है. आंकड़ों से पता चला कि 'सऊदी विजन 2030 परियोजना' के शुभारंभ के बाद 8 सालों की अवधि में 21 हजार से अधिक श्रमिकों की जान चली गई है.

सपनों का सऊदी बना रहे मोहम्मद बिन सलमान या मजदूरों की कब्रगाह? 8 साल में 21 हजार से ज्यादा गंवा चुके जान

सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलमान रेगिस्तान के बीच स्‍वर्ग जैसा शहर बसा रहे हैं. अपने विजन 2030 के तहत बन रहे इस शहर के लिए उन्होंने लाल सागर के पास का तटवर्ती इलाका चुना है. स्वर्ग जैसा शहर बसाने की मोहम्मद बिन सलमान की परियोजना मजदूरों के लिए कब्रगाह बन रहा है और अब तक 21 हजार से ज्यादा मजदूरों की जान जा चुकी है. आंकड़ों से पता चला कि 'सऊदी विजन 2030 परियोजना' के शुभारंभ के बाद 8 सालों की अवधि में 21 हजार से अधिक श्रमिकों की जान चली गई है.

मजदूरों की गुलामों और भिखारियों जैसी हालत

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मजदूरों ने कहा है कि वे 'फंसे हुए गुलामों' और 'भिखारियों' जैसा महसूस करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने कथित मजदूरी नहीं मिलने, अवैध कार्य के घंटे और मानवाधिकारों के हनन के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है. सऊदी अरब में मारे गए श्रमिकों और उनके परिवारों ने हाल के सालों की अपनी कहानियां शेयर की हैं, जिन्हें आईटीवी की डॉक्यूमेंट्री 'किंगडम अनकवर्ड: इनसाइड सऊदी अरब' में दिखाया गया है, जिसमें कई लोगों द्वारा सामना की गई खतरनाक स्थितियों की जांच की गई है.

यह डॉक्यूमेंट्री कथित अवैध प्रथाओं और गंभीर उल्लंघनों पर प्रकाश डालती है, जिनके बारे में कई लोगों का दावा है कि दुनिया की कुछ सबसे महंगी इमारत परियोजनाओं के निर्माण के बहाने प्रतिदिन ऐसा होता है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान तेल के लिए फेमस सऊदी अब को वैश्विक पर्यटन केंद्र (Global Tourism Hub) में बदलने के प्रयास में लगे हैं और इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने अपने 'सऊदी विजन 2030 प्रोजेक्ट' में खरबों डॉलर का निवेश किया है, जिसमें नियोम जैसे महत्वाकांक्षी विकास शामिल हैं.

नियोम प्रोजेक्ट के 1 लाख से अधिक लोग गायब

कई मानवाधिकार समूहों ने बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण परियोजनाओं के बारे में चिंता व्यक्त की है. इस बीच चिंताएं सामने आई हैं कि प्रवासी मजदूरों का शोषण किया जा सकता है और सऊदी अरब में कई स्थानीय लोगों को विस्थापित किया जा सकता है. देश निर्माण में लगे प्रवासी मजदूरों की एक बड़ी संख्या के बारे में गंभीर दावों का सामना कर रहा है, जो कथित तौर पर लापता हो गए हैं. रिपोर्टों से पता चलता है कि नियोम के निर्माण के दौरान 100,000 से अधिक लोग गायब हो गए हैं.

नियोम क्या है?

नियोम एक शहरी विकास परियोजना है, जिसका निर्माण सऊदी अरब द्वारा तबुक प्रांत में किया जा रहा है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा 2017 में शुरू की गई यह परियोजना लाल सागर के उत्तरी सिरे पर मिस्र के पूर्व में अकाबा की खाड़ी के पार और जॉर्डन के दक्षिण में स्थित है. आईटीवी के नए आंकड़ों से पता चलता है कि विजन 2030 के लॉन्च होने के बाद से भारत, बांग्लादेश और नेपाल के 21,000 विदेशी मजदूरों की मृत्यु हो गई है, जबकि नेपाल के विदेशी रोजगार बोर्ड ने बताया है कि 650 से अधिक नेपाली मजूदरों की मृत्यु अभी भी अस्पष्ट है.डॉक्यूमेंट्री में अंडरकवर पत्रकार नूरा द लाइन के मजदूरों से इस परियोजना के उनके जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात करती हैं. 100 मील लंबा शहर अभी सऊदी रेगिस्तान में निर्माणाधीन है, जिसे 10 लाख निवासियों के लिए डिजाइन किया गया है और यहां कोई कार नहीं चलेगी.

मजदूर इतनी खराब हालत में जीने को मजबूर

डॉक्यूमेंट्री में एक मजदूर ने कहा कि वह अक्सर द लाइन के लिए एक सुरंग पर 16 घंटे काम करता है, जो एक सप्ताह में 84 घंटे से अधिक होता है, जबकि सऊदी कानून केवल 60 घंटे की अनुमति देता है. उन्होंने थकावट और बेचैनी महसूस करने का उल्लेख करते हुए कहा, 'हम बहुत मेहनत करते हैं और हमारे पास आराम करने के लिए बहुत कम समय होता है. हमारे साथ भिखारियों जैसा व्यवहार किया जाता है.' मानवाधिकार समूह फेयरस्क्वेयर के निकोलस मैकगीहन ने कहा कि काम के ये घंटे बहुत लंबे हैं और यह दिखाते हैं कि सऊदी अरब में कामगारों को गंभीर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. एक अन्य स्थानीय कर्मचारी ने कहा, 'हम फंसे हुए गुलामों की तरह महसूस करते हैं.'

पत्रकार नूरा ने पाया कि कई श्रमिकों को महीनों से वेतन नहीं मिला है, कुछ को तो अपने पैसे के लिए 10 महीने तक इंतजार करना पड़ा है. श्रमिकों ने बताया कि उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है और वे अपने परिवारों से मिलने के लिए सऊदी अरब से बाहर नहीं जा पा रहे हैं. नियोम के एक ड्राइवर ने बताया कि थकान के कारण कई दुर्घटनाएं हुई हैं और हर महीने लगभग पांच दुर्घटनाएं होती हैं. नियोम ने अपने जवाब में कहा है कि वे दावों की जांच कर रहे हैं और अपने ठेकेदारों से सऊदी कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मानकों के आधार पर उनके नियमों का पालन करने की अपेक्षा करते हैं.

डॉक्यूमेंट्री में यह भी दिखाया गया है कि लंबे समय तक काम करना, पर्याप्त भोजन न मिलना, नींद की कमी और तनावपूर्ण माहौल गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं. राजू बिश्वकर्मा नाम के एक नेपाली कर्मचारी ने मदद की गुहार लगाते हुए कहा, 'कृपया मुझे बचा लें.' बाद में उसे अपने कमरे में मृत पाया गया, जब उससे कहा गया कि अगर वह पांच महीने के वेतन के बराबर जुर्माना भर दे तो वह जा सकता है.

उनकी मृत्यु के बाद, वीडियो में मजदूरों को उन्हें ले जाते हुए दिखाया गया और कई लोगों ने उनके सामने मौजूद खराब परिस्थितियों का विरोध किया. नेपाली मानवाधिकार वकील अनुराग देवकोटा ने कहा, 'प्रवासी मजदूर अपने परिवारों के बेहतर भविष्य के लिए यहां आते हैं, लेकिन इसके बजाय, हमें लकड़ी के बक्सों में शव मिल रहे हैं.'

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