नए संसद भवन में बने 'अखंड भारत' के भित्ति चित्र पर नेपाल के पूर्व पीएम ने उठाए सवाल, कही ये बात
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नए संसद भवन में बने 'अखंड भारत' के भित्ति चित्र पर नेपाल के पूर्व पीएम ने उठाए सवाल, कही ये बात

New Parliament House: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया था. संसद भवन में भित्तिचित्र, अतीत के महत्वपूर्ण साम्राज्यों और शहरों को चिह्नित करता है.

नए संसद भवन में बने 'अखंड भारत' के भित्ति चित्र पर नेपाल के पूर्व पीएम ने उठाए सवाल, कही ये बात

Akhand Bharat: नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई ने मंगलवार को कहा कि भारत के नए संसद भवन के 'अखंड भारत' भित्ति चित्र पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि इस भित्ति चित्र में पड़ोसी देश में प्राचीन भारतीय विचार के प्रभाव को दर्शाया गया है, जो अनावश्यक और हानिकारक राजनयिक विवाद का कारण बन सकता है.

बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया था. संसद भवन में भित्तिचित्र, अतीत के महत्वपूर्ण साम्राज्यों और शहरों को चिह्नित करता है.

भट्टराई की टिप्पणी तब आई जब उन्होंने भित्ति चित्र में नेपाल के कपिलवस्तु और लुंबिनी को देखा. नेपाल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने ट्विटर पर चेतावनी दी कि यह भित्ति चित्र नेपाल सहित पड़ोसी देशों में अनावश्यक और हानिकारक राजनयिक विवाद पैदा कर सकता है.

भट्टराई ने कहा, ‘इसमें भारत के अधिकांश निकटवर्ती पड़ोसियों के बीच विश्वास की कमी को और बढ़ाने की क्षमता है." उन्होंन कहा कि भारत और उसके अधिकांश निकटतम पड़ोसियों के बीच पहले से ही द्विपक्षीय संबंध खराब खराब हैं.

सोशल मीडिया पर भित्ति चित्र की तारीफ
यह भित्ति चित्र रविवार को सोशल मीडिया पर सामने आया जिसमें कई लोगों ने दावा किया कि यह ‘अखंड भारत’ के संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्विटर पर कहा, ‘‘संकल्प स्पष्ट है- अखंड भारत.’मुंबई उत्तर-पूर्व से लोकसभा सदस्य मनोज कोटक ने ट्विटर पर कहा, ‘नई संसद में अखंड भारत. यह हमारे शक्तिशाली और आत्मनिर्भर भारत का प्रतिनिधित्व करता है.’

बता दें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ‘अखंड भारत’ को एक ‘सांस्कृतिक अवधारणा’ के रूप में वर्णित करता है.

आरएसएस के अनुसार, अखंड भारत की अवधारणा अविभाजित भारत को संदर्भित करती है जिसका भौगोलिक विस्तार प्राचीनकाल में बहुत विस्तृत था. हालांकि, अब आरएसएस का कहना है कि अखंड भारत की अवधारणा को वर्तमान समय में सांस्कृतिक संदर्भ में देखा जाना चाहिए, न कि स्वतंत्रता के समय धार्मिक आधार पर भारत के विभाजन के राजनीतिक संदर्भ में.

(इनपुट - एजेंसी)

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