इस वीडियो में कछुआ इतने बड़े आकार का है कि उसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो वह हाथी का बच्चा हो.
Trending Photos
नई दिल्ली: वैज्ञानिकों का मानना है कि रोजमर्रा के जीवन की थकान को दूर करने में पालतू पशु-पक्षी बेहद कारगर होते हैं. पालतू पशु-पक्षियों के साथ समय बिताने से इंसान अपनी टेंशन भूलकर फिर से नई ऊर्जा के साथ तैयार हो जाता है. इसी वजह से लोग कुत्ता, बिल्ली, बकरी, हिरण, तोता, कबूतर, चिड़िया आदि पशु पक्षियों को पालते बनाते हैं, लेकिन ऐसे कम ही लोग होते हैं जो कछुआ को पालतू बनाते हैं. इस दिनों सोशल प्लेटफॉर्म Linkedin पर एक वीडियो काफी शेयर किया जा रहा है, जिसे देखकर पहली बार में आप जरूर हैरान हो जाएंगे.
इस वीडियो में कछुआ इतने बड़े आकार का दिख रहा है कि उसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो वह हाथी का बच्चा हो. वीडियो में दिख रहा है कि एक विशालकाय कछुआ इस तरह से खड़ा है मानों वह अपने चारों पैर के सहारे खड़ा हो. इतना ही नहीं शायद इस कछुए की मालकिन उसके साथ मौजूद. वीडियो में दिख रहा है कि महिला कछुआ के सिर को सहला रही है. देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह महिला किसी हाथी के बच्चे के माथे पर हाथ फेर रही हो.
यह वीडियो देखकर कुछ पल के लिए आपको विश्वास ही नहीं होगा कि क्या कोई कछुआ भी ऐसा हो सकता है जो इस तरह से मालिक को पहचानता हो और इस तरह का व्यवहार करता हो. कैमरे में कैद हुई कछुए की ये हरकत चौंकाने वाले हैं.
ये भी पढ़ें: VIDEO: शाहजहांपुर में मिला 'शिवलिंग' वाला कछुआ, देखने वालों की लगी भीड़
मालूम हो कि कछुआ धरती पर पाया जाने वाला ऐसा जीव है जो 300 साल तक जीवित रहता है. कछुए की 318 से भी ज्यादा प्रजातियां पृथ्वी पर पाई जाती हैं. इनमें से कुछ जमीन पर रहती हैं और कुछ पानी में रहती हैं. यह जीव जहरीले नहीं होते हैं और ना ही इनके काटने पर जहर निकलता है. कछुए जितने गर्म मौसम में रहते हैं उनका कवच उतने ही हल्के रंग का होता है. जो कछुए ठंडे इलाकों में रहते हैं उनका कवच गहरे रंग का होता है.
कछुए अंडे देते हैं. मादा कछुआ पहले मिट्टी खोदती है फिर एक बार में 1 से 30 अंडे देती है. इन अंडो से बच्चे निकलने में करीब 90 से 120 दिन का समय लगता है. मादा कछुए का कवच बिल्कुल सीधा और नर का कवच थोड़ा घुमावदार होता है. कछुओं के मुंह में दांत नहीं होते, बल्कि एक तीखी प्लेट की तरह हड्डी का पट्ट होता है जो भोजन चबाने में इनकी सहायता करता हैं.
कछुआ जब अपने कवच में छुपता है तो उसे अपने फेफड़ों की हवा निकालनी पड़ती है. ऐसा करते हुए आप उसे सांस छोड़ते हुए सुन भी सकते है.
साल 1968 में सेवियत संघ का पहला यान चांद का चक्कर लगाकर वापिस धरती पर लौटा था. इस यान में कछुओं को बैठा कर भेजा गया था. वापिस आने पर जब कछुओं का निरिक्षण किया गया तो पता चला कि कछुओं के वजन में 10% की कमी आई है.