China-Taiwan Relations: छोटा या बड़ा! ताइवान के साथ आखिर कौन सा खेल खेलना चाहता है चीन?
Advertisement

China-Taiwan Relations: छोटा या बड़ा! ताइवान के साथ आखिर कौन सा खेल खेलना चाहता है चीन?

China News: ताइवान में हुए 13 जनवरी के बाद चीन बेहद नाराज है. अब यह कयास लगाए जा रहे है ंकि आने वाले दिनों में चीन कोई बड़ी कार्रवाई कर सकता है. लेकिन वह कार्रवाई क्या होगी इस जानकारों की राय बटी हुई है. 

China-Taiwan Relations: छोटा या बड़ा! ताइवान के साथ आखिर कौन सा खेल खेलना चाहता है चीन?

China-Taiwan Tension: चीन की तमाम नाराजगी के बावजूद ताइवान में आम चुनाव हुए. नए राष्ट्रपति को चुनने के लिए 13 जनवरी को लोगों ने वोट डाले. जनता ने डेमोक्रेटिक पीपल्स पार्टी के अध्यक्ष लाई चिंग-ते को अगले राष्ट्रपति के तौर पर चुना. अब इस मुद्दे पर लोगों की अलग-अलग राय है कि चीन का नया कदम क्या होगा.

क्या चीन ताइवान के खिलाफ कोई आक्रामक सैन्य कदम उठाएगा, या वह लगातार दबाव की अपनी नीति जारी रखेगा? चीन की प्रतिक्रिया अब तक धीमी रही है. हालांकि इससे यह नहीं कहा जा सकाता कि मई में लाई के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले चीन कोई जोरदार प्रतिक्रिया नहीं देगा.

ताइवान चुनाव के बाद चीन का पलटवार
हालांकि चीन ने 15 जनवरी को यह घोषणा करते हुए पलटवार किया कि नाउरू ने ताइवान को चीन के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता दे दी है. बता दें नाउरू की सरकार ने कहा कि वह 'अब [ताइवान] को एक अलग देश के रूप में नहीं, बल्कि चीन के एक अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देगी. दूसरी तरफ ताइवान ने नाउरू के साथ राजनयिक संबंध तोड़ने का ऐलान किया. ताइपे के उप विदेश मंत्री टीएन चुंग-क्वांग ने कहा कि यह कदम ‘ताइवान की संप्रभुता और गरिमा को बनाए रखने के लिए' था.

ताइवान ने आरोप लगाया कि नाउरू को बड़ी आर्थिक सहायता की पेशकश की गई. हालांकि चीन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. बहरहाल, यह घटनाक्रम अमेरिका के लिए बड़ा झटका रहा, क्योंकि राष्ट्रपति जो बाइडेन 'नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था’ की सपोर्ट में देशों को एकजुट करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. हालांकि नाउरू सिर्फ 12,500 निवासियों का एक छोटा सा देश है, लेकिन चीन ने वहां अपना काफी प्रभाव स्थापित कर लिया है.

जानकरों की चीन के अगले कदम को लेकर राय बंटी
ताइवान स्थित एक अनुभवी अमेरिकी रक्षा विश्लेषक वेंडेल मिन्निक, क्रॉस-स्ट्रेट संबंधों को लेकर निराश हैं. दरअसल, उनका मानना है कि डीपीपी की चुनावी जीत से प्रेरित होकर चीन इस वसंत (यानी मार्च-मई) में सैन्य कार्रवाई करेगा.

मिन्निक ने कहा, ‘कमांड-एंड-कंट्रोल नोड्स, रडार, वायु रक्षा बैटरी और एयरबेस के पूर्ण विनाश के लिए बैलिस्टिक-मिसाइल हमलों और क्रूज मिसाइल हमलों की शुरुआत हो सकती है. शी तेजी से बूढ़े हो रहे हैं और एक ऐसी विरासत चाहते हैं जो ताइवान को वापस लाए मातृभूमि चीन से मिलाएं. वह आधुनिक चीन का जनक बनना चाहतें है, तियानमेन चौक पर माओ की तस्वीर हटाकर अपनी तस्वीर लगवाना चाहते हैं.’ उन्होंने यह भी कहा कि लूनर-सौर कैलेंडर अप्रैल-मई के आसपास सैन्य अभियानों के लिए एकदम सही है.

चीन के सामने गंभीर चुनौतियां
चीन गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है जिसके कारण राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अतार्किक कार्रवाई करनी पड़ सकती है. जैसा व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर अपने घातक आक्रमण के  साथ करके दिखाया. शी सोच रहे हों उनके लिए अवसर की संभावनाएं कम हो रही हैं और उन्हें चीजों को नियंत्रित करने के लिए एक राष्ट्रीय संकट की जरुरत है.

एक चिंताजनक मुद्दा चीन की अर्थव्यवस्था है, जो बेहद ख़राब स्थिति में है. पिछले साल, चीन का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) डॉलर मूल्य में गिरकर लगभग 17.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया. यह लगभग 30 वर्षों में पहली गिरावट थी, और विश्व सकल घरेलू उत्पाद में चीन की हिस्सेदारी 7 प्रतिशत से थोड़ी कम हो गई.

एक और उभरता हुआ मुद्दा चीन की घटती जनसंख्या है. जन्म दर पिछले साल 5.7 प्रतिशत कम होकर आधुनिक चीन के इतिहास में सबसे कम हो गई - और 2023 में मृत्यु दर माओत्से तुंग की सांस्कृतिक क्रांति के दौरान 1974 के बाद से सबसे अधिक थी. 60 वर्ष से अधिक आयु के 280 मिलियन नागरिकों (एक आंकड़ा जो अगले दशक में 30+ प्रतिशत बढ़ जाएगा) के साथ, चीन एक जनसांख्यिकीय टाइम बम का सामना कर रहा है.

कई जानकार नहीं मानते चीन करेगा युद्ध
हालांकि, कई लोग ताइवान में मिन्निक जैसे लोगों की सख्त चेतावनियों से असहमत हैं. उदाहरण के लिए, लाउ चाइना इंस्टीट्यूट, किंग्स कॉलेज लंदन के शोध सहयोगी प्रोफेसर रेक्स ली ने आकलन किया, ‘चीन ने लाई सरकार की वैधता को मान्यता नहीं दी है, लेकिन यह संभावना नहीं है कि . फिलहाल वह ताइवान मुद्दे के लिए सैन्य समाधान का विकल्प चुनेगा.’

अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि चीन के पास अभी भी ताइवान पर बलपूर्वक कब्ज़ा करने की पूरी सैन्य क्षमता नहीं है, खासकर अगर उसे संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन प्राप्त है. इसके अलावा, चीन को वर्तमान में मुख्य रूप से हालिया कोविड लॉकडाउन के कारण काफी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

बीजिंग नवंबर 2023 में सैन फ्रांसिस्को में शी-बिडेन शिखर सम्मेलन के बाद वाशिंगटन के साथ अपने संबंधों को स्थिर करने का भी इच्छुक है.

रेक्स कहते हैं, ‘यह उम्मीद की जा सकती है कि बीजिंग ताइवान पर आर्थिक और सैन्य दबाव डालना जारी रखेगा और उसकी अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों पर रोक लगाएगा.  लेकिन चीन ताइवान के साथ एक बड़े सशस्त्र संघर्ष से बचने की कोशिश करेगा, जिससे अमेरिका की ओर से अप्रत्याशित प्रतिक्रिया और हस्तक्षेप हो सकता है.’

(इनपुट - एजेंसी)

Trending news