China News: दुनिया की सबसे बड़ी सेना, फिर भी प्राइवेट आर्मी तैयार करवा रहे जिनपिंग, क्या चीन में होने वाली है बगावत?
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China News: दुनिया की सबसे बड़ी सेना, फिर भी प्राइवेट आर्मी तैयार करवा रहे जिनपिंग, क्या चीन में होने वाली है बगावत?

China News in Hindi: क्या दुनिया की सबसे बड़ी फौज होने के बावजूद चीन में बगावत की आशंका बन रही है. चीनी राष्ट्रपति 24 लाख सैनिकों के बावजूद प्राइवेट आर्मी क्यों तैयार करवा रहे हैं.

 

China News: दुनिया की सबसे बड़ी सेना, फिर भी प्राइवेट आर्मी तैयार करवा रहे जिनपिंग, क्या चीन में होने वाली है बगावत?

Xi Jinping Private Army: चीन से ऐसी खबरें आ रही हैं जिससे लगता है कि जिनपिंग ने कुछ खतरनाक करने की तैयारी की है. चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी आर्मी है, इसके बावजूद वहां की प्राइवेट कंपनियां अपनी सेना तैयार कर रही हैं. इसके लिए जवानों की भर्ती शुरु हो गई है. चीन की इस तैयारी का भारत से क्या कनेक्शन है..ये तैयारी अगले युद्ध के लिए हो रही है या फिर अगली महामारी के लिए? इस रिपोर्ट में चीन से आई खबर पर पूरी जानकारी मिलेगी.

क्या चीन में होने वाली है बगावत?

दुनिया की सबसे बड़ी सेना होने के बावजूद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को डर क्यों लग रहा है? क्या चीन में जिनपिंग के खिलाफ बगावत होनेवाली है. बीजिंग से आई एक ब्रेकिंग न्यूज के बाद ये सवाल सामने आ रहे हैं. असल में चीन की 16 कंपनियों ने पिछले एक साल में अपनी प्राइवेट सेना तैयार की है.
फौज बनाने वालों में चीन की एक बड़ी डेयरी कंपनी भी शामिल है. इस सेना को पीपल्स आर्म्ड फोर्सेज डिपार्टमेंट्स((People's Armed Forces Departments) का नाम दिया गया है, जो चीन की सेना के आदेश पर उनके लिए रिजर्व फौज की तरह काम करेगी.

इन सैनिकों को बगावत कुचलने से लेकर प्राकृतिक आपदा में मदद करने और युद्ध तक के काम में लगाया जा सकता है. इस फौज में कितने सैनिक हैं उसका सही-सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है. इसमें 18-25 साल के पुरुष और महिलाएं शामिल हो सकते हैं..यानी इनकी तादाद बहुत ज्यादा हो सकती है. 

चीन के पास कुल 24 लाख सैनिक

चीन की सेना में पहले ही करीब 24 लाख सैनिक हैं, ये दुनिया की सबसे बड़ी सेना है. जिसके पास लाखों करोड़ रुपये का डिफेंस बजट है तो फिर ये बैकअप सेना क्यों तैयार हो रही है. दावा है कि ये सेना बाहरी खतरे के लिए नहीं बल्कि देश के अंदर इस्तेमाल होगी.

शी जिनपिंग को ये आइडिया चीन के ही कम्युनिस्ट नेता माओ-त्से-तुंग से मिला था, जिन्हें चीन का Founding Father माना जाता है. माओत्से तुंग ने 1970 के दशक तक प्राइवेट आर्मी पर जोर दिया था. चीन में गृह युद्ध के दौरान कम्युनिस्ट नेताओं के साथ प्राइवेट सेनाओं ने भी हिस्सा लिया था. बाद में यही प्राइवेट आर्मी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए आंख और कान बन गई. वो जनता पर नजर रखती है और बगावत की आशंका होते ही उसे कुचल देती थी. 

गुरु के रास्ते पर चलने की चाहत

लगता है कि शी जिनपिंग भी माओ के रास्ते पर चलना चाहते हैं. इसलिए चीन में करीब 50 वर्षों के बाद प्राइवेट आर्मी की वापसी हो गई है. जिनपिंग को अपनी सेना के अलावा प्राइवेट आर्मी क्यों चाहिए, इसका जवाब चीन के आर्थिक हालात में मौजूद है.

  • 1990 के दशक में औसतन 9 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़नेवाली चीन की अर्थव्यवस्था 2023 में 5.2 प्रतिशत तक पहुंच गई है

  • पिछले 35 वर्षों में चीन अपनी सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है और भविष्य में हालात और बुरे होंगे

  • 2024 में चाइनीज इकॉनमी की रफ्तार 4.6 प्रतिशत और 2028 तक 3.5 फीसदी तक पहुंचने की आशंका है. 

  • चीन का स्टॉक मार्केट वर्ष 2023 में 10 प्रतिशत से ज्यादा गिरा

  • बेरोजगारी की दर भी 2023 में 21 प्रतिशत तक पहुंच गई. 

रूस के हालात क्या कह रहे

जिनपिंग की टेंशन बढ़ानेवाले इन आंकड़ों को देखकर शायद चीन में रूस का जिक्र हो रहा होगा. वर्ष 2023 में रूस में पुतिन के खिलाफ बगावत हुई थी. वहां एक प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप ने हमला करके तख्तापलट की कोशिश की थी. क्या जिनपिंग ने भी बगावत के डर से अपनी नई प्राइवेट फौज शुरु की है. बड़ी कंपनियों में फौज तैयार करने की एक और वजह है. 

आखिर जिनपिंग क्यों बनवा रहे प्राइवेट आर्मी?

चीन में पिछले साल 1800 से ज्यादा मौकों पर मजदूरों से हड़ताल की. जबकि 2022 में ये आंकड़ा सिर्फ 800 था. यानी शी जिनपिंग चाहते हैं कि अगर कंपनियों से विद्रोह की शुरुआत हो तो उसे वहीं पर खत्म कर दिया जाए. इससे पहले कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने एक बार चीन की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था. तब चीन की सरकार ने नियमों मे कुछ ढील दी. हालांकि अगली बार ऐसा नहीं होगा. चीन में बगावत का खतरा बढ़ने की एक वजह भारत है. 

Iphone बनाने वाली कंपनी फॉक्सकॉन ने अपनी कई फैक्ट्रियां भारत में शुरु की हैं. 2021 और 2022 के दौरान भारत में विदेश निवेश 65 बिलियन डॉलर तक बढ़ गया और 2023 में चीन में विदेशी निवेश घटकर 20 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. जबकि 2018 में ये 120 बिलियन डॉलर था.

भारत की तेज तरक्की बढ़ा रही चीन का सिरदर्द

टैक्नोलॉजी कंपनियां चीन से अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर भारत आ रही हैं. चीन पहले दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बना हुआ था. अब भारत धीरे-धीरे उसकी जगह पर कब्जा कर रहा है. चीन में कोई और नेता होता तो वो अर्थव्यवस्था पर ध्यान देता. लेकिन जिनपिंग अपने लोगों को कंट्रोल करने पर ध्यान दे रहे हैं ताकि वो विरोध प्रदर्शन ना करें.

चीन में प्राइवेट आर्मी तैयार करने जिनपिंग का नंबर वन प्रोजेक्ट है. अर्थव्यवस्था की हालत भले ही खराब हो लेकिन जनता को कंट्रोल करने में फंडिंग की कोई कमी नहीं है. शी जिनपिंग को चीन के कॉर्पोरेट सेक्टर पर फुल कंट्रोल चाहिए. तानाशाह की तरह कब्जा करने की कोशिश में जिनपिंग ने अपनी कंपनियों को बर्बाद कर दिया है. 

अपनी ही कंपनियों के दुश्मन बने जिनपिंग

जिनपिंग के खिलाफ आवाज उठाने वाले चीन के अलीबाबा ग्रुप को अबतक 850 बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है. 2020 में अलीबाबा के संस्थापक जैक मा ने चीन के फाइनेंशियल सेक्टर की आलोचना की और उसके बाद से उनके खिलाफ कार्रवाई शुरु हो गई. एक्सपर्ट्स का दावा है कि ऐसा करके जिनपिंग अपनी कब्र खोद रहे हैं क्योंकि इस समय निवेशक चीन से बाहर निकलने का बहाना ढूंढ रहे हैं और प्राइवेट फौज बनाने की कोशिशों ने इस रफ्तार को और तेज कर दिया है. 

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