फिलिस्तीनी लोगों को ढाल क्यों बनाता है इजरायल, क्या है IDF का 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल'?
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फिलिस्तीनी लोगों को ढाल क्यों बनाता है इजरायल, क्या है IDF का 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल'?

Israel Hamas War: 'ब्रेकिंग द साइलेंस' (Breaking the Silence) ने सीएनएन को तीन तस्वीरें दीं. जिनमें इजरायली सेना (IDF) को गाजा (Gaza) में फिलीस्तीनियों को मानव ढाल (Palestinians as human shields) के रूप में इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है. इन तस्वीरों को देखकर 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल' के बारे में सबकुछ समझ जाएंगे.

 

फोटो क्रेडिट: Breaking the Silence/CNN

Israel Hamas war Mosquito protocol Gaza: अमेरिका द्वारा घोषित आतंकी संगठन 'हमास' (Hamas) के एक गुनाह की कीमत लाखों फिलिस्तीनियों को अपने सीने पर घाव खाकर चुकानी पड़ी है. कभी फिलिस्तीन का दिल माने जाने वाले 'गाजा' का नक्शा बदल चुका है. इजरायली फौज आईडीएफ (IDF) ने सालभर में मिसाइलें और बम मार-मारकर गाजा की पुरानी पहचान खत्म कर दी है. गाजा शहर नहीं वीरान मैदान बन गया है. गाजा का ये हालत कैसे हुई? इस हालत का जिम्मेदार कौन है खुद फिलिस्तीन या इजरायल? हम इस बहस में नहीं पड़ेंगे. इस सवाल का जवाब हम अपने समझदार पाठकों पर छोड़ते हैं, सो आप खुद ही तय कर लीजिए.

हम लगातार आपको मिडिल ईस्ट (middle east news in hindi) के हर अपडेट से रूबरू करा रहे हैं. इस बीच वार जोन से इजरायल को अबतक मिली कामयाबी का वो फार्मुला पता चल गया है, जिसके दम पर इजरायल ने खुद का कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने के साथ हमास (Hamas) को खात्मे के कगार पर पहुंचा दिया है. हमास का टॉप ऑर्डर खत्म हो चुका है यानी मारा जा चुका है. जैसे तैसे जो बच गए हैं, उनके सामने अस्तित्व बचाने का संकट है.

ये वो इलाका है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वो भले कभी खुशहाल न रहा हो लेकिन हंसता खेलता शहर जरूर था. वहां कभी बच्चे के पैदा होने पर किलकारियां गूंजती थीं, लोग खुशी मनाते थे. गरीबी ही सही लेकिन मिलजुलकर दो जून की रोटी जुटाकर लोग पेट भरने का इंतजाम कर लेते थे. वही गाजा कब्रिस्तान सा हो गया है. उसकी फिजाओं में ऑक्सीजन से ज्यादा खतरनाक गैसों की मौजूदगी हो गई है. जगह-जगह फास्फोरस, पोटास, अमोनियम नाइट्रेट जैसे न जाने कितने खतरनाक केमिकल्स का बिखराव दिख रहा है. 

फिलिस्तीनियों को बनाया ढाल

इजरायली सेना ने कैसे इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की आइए बताते हैं. इजरायल की फौज ने गाजा की कई किलोमीटर लंबी सुरंगों में घुसने और उन्हे खाली कराकर तबाह करने और हमास के लड़ाकों को ढूंढने के लिए फिलिस्तीन के आम नागरिकों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया. हमास में भी कोई बाहरी देशों के लड़ाके तो भर्ती होने नहीं गए थे, ऐसे में हमास के लोगों को जब ये आहट लगती कि दरवाजे पर अनजान दस्तक है, तब उनके एक सवाल पूछा जाता. दरवाजे के बाहर से जो जवाब आता या जो तस्वीर उन्हें अंदर से दिखती उसमें फिलिस्तीन के आम लोगों की आवाज सुनाई देती थी या उनका चेहरा दिखता था. ऐसे में वो अपने ही लोगों पर गोली नहीं चला पाते थे. इसका फायदा इजरायल ने उठाया और इस तरह छोटी-छोटी कामयाबियों के साथ आज इजरायल ने करीब 90 फीसदी गाजा को सपाट कर दिया.

मॉस्किविटो प्रोटोकॉल से स्लीपर सेल का खात्मा

सीएनएन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली फौज के एक सैनिक और पांच पूर्व फिलिस्तीनियों के हवाले से ये खुलासा हुआ कि जहां के लोग इजरायली सैनिकों को देखते ही हमला करके उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर देते थे, उन्हें ही इजरायल ने अपनी जीत के लिए मोहरा बना लिया. इजरायल ने अपने सैनिकों को नुकसान न पहुंचे ये सुनिश्चित करने के लिए फिलिस्तीनियों को गाजा के घरों और सुरंगों में पहले घुसने के लिए मजबूर किया. इस तरह उसने हमास के स्लीपर सेल का भी लगभग खात्मा कर दिया.

इजरायली सेना की हर यूनिट कुछ फिलिस्तीनियों को ढाल बनाकर अपने साथ रखती थी. ये प्रेक्टिस इज़रायली सेना में इतनी मशहूर हो गई क्योंकि ये सौ फीसदी कामयाब रही. इजरायल की फौज ने इसका कोड नाम 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल' रखा.

इजरायली सेना ने ये पैंतरा कहां-कहां अपनाया यानी इस सीक्रेट ऑपरेशन सटीक पैमाना और दायरा अबतक अज्ञात है. लेकिन एक सैनिक और पांच नागरिकों की गवाही से पता चलता है कि ये काम पूरे गाजा में बड़े पैमाने पर हुआ. उत्तरी गाजा हो या गाजा शहर, या फिर खान यूनिस और राफा, हर जगह इस टेक्निक का इस्तेमाल हुआ.

कुछ मामलों में पहले डॉग स्क्वाएड का इस्तेमाल हुआ. फिर ह्यूमन शील्ड बने फिलिस्तीनियों की आवाज सुनाई गई. हरी झंडी मिलते ही इजरायली सैनिकों ने अत्याधुनिक कैमरों और उपकरणों से उस जगह का कोना-कोना स्कैन करके अपना मिशन पूरा कर लिया.

'ब्रेकिंग द साइलेंस' (Breaking the Silence) ने सीएनएन को तीन तस्वीरें दी थीं. जिनमें इजरायल (Israel) की सेना के उस ऑपरेशन 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल' (Mosquito protocol) को बखूबी समझा जा सकता है. तस्वीरों में गाजा में फिलीस्तीनियों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया है.

एक वीडियो में उत्तरी गाजा में तबाही के बीच दो सैनिक एक फिलिस्तीनी नागरिक को आगे बढ़ने के लिए कहते हैं. दूसरी तस्वीर मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किए गए दो नागरिकों की है, जिनके हांथ बंधे और आंखों में पट्टी है. तीसरी में सैनिक एक बंधक नागरिक को बचाते हुए दिख रहे हैं.

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