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ब्राजील: एक नए शोध (Research) में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इसमें ऐसी संभावना जताई गई है कि 20 हजार साल पहले भी कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण फैला था. इसके मुताबिक यह संक्रमण पूर्वी एशिया (East Asia) में फैला था. स्टडी में आधुनिक चीन, जापान और वियतनाम में लोगों के डीएनए (DNA) में इसके चिन्ह मिले हैं. इन क्षेत्रों के लोगों में कोरोना वायरस फैमिली के वायरस का जेनेटिक एडॉप्शन करने के चिन्ह मिले हैं. बता दें कोरोना वायरस फैमिली में MERS और SARS वायरस भी शामिल हैं, जो पिछले 20 सालों में प्रकोप फैला चुके हैं.
कुछ दशकों में आनुवंशिकीविदों (Geneticists) ने ऐसी मशीनें और तकनीकें ईजाद की हैं, जो आज के लोगों के डीएनए में पीढ़ियों पुराने एडॉप्शन के बारे में बता देती हैं. यानी कि कई पीढ़ियों पहले भी वह बीमारियां या स्थितियां मौजूद थीं. ऐसे ही एक शोध में टीम ने दुनिया भर की अलग-अलग जगहों पर रह रहीं 26 आबादी के 2,500 से अधिक लोगों के जीनोम के अत्याधुनिक कम्प्यूटेशनल विश्लेषण किए. इसके बाद 42 अलग-अलग मानव जींस में मिले एडॉप्शन के संकेतों को एन्कोड करके वीआईपी निकाले गए.
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ये वीआईपी सिग्नल केवल 5 आबादी (Population) में मौजूद थे और ये सभी पूर्वी एशिया के थे. इस तरह से शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि आधुनिक पूर्वी एशियाई लोगों के पूर्वज लगभग 25,000 साल पहले कोरोना वायरस के संपर्क में आए थे. इतना ही नहीं आगे के परीक्षणों से यह भी पता चला कि यह वीआईपी मुख्य रूप से फेफड़ों में नजर आए. COVID-19 का असर भी सबसे ज्यादा फेंफड़ों पर ही होता है. शोधकर्ताओं ने यह भी पुष्टि की है कि ये वीआईपी मौजूदा महामारी के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2 वायरस से सीधे संपर्क करते हैं.