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मॉस्को: क्लाइमेट चेंज (Climate Change) के कारण दुनिया भर में मौसम पर कितना बुरा असर पड़ रहा है, इसका एक और डराने वाला प्रभाव सामने आया है. दुनिया के सबसे ठंडे इलाकों में गिने जाने वाले मॉस्को (Moscow) समेत रूस के कुछ अन्य हिस्सों में पड़ रही गर्मी ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. हड्डियां कंपा देने वाली ठंड के मौसम में रहने के आदी लोगों की स्किन को अब हीट वेव (Heat Wave) जला रही हैं. गर्मी के कारण यहां लोगों की हालत खराब है. मौसम विज्ञानियों के मुताबिक जुलाई में भी यहां ऐसा ही मौसम रहेगा. जबकि ठंड के दिनों में यहां का तापमान -80 डिग्री तक पहुंच जाता है.
मॉस्को टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 24 जून मॉस्को के इतिहास का सबसे गर्म दिन रहा. इस दिन यहां तापमान 33.8 डिग्री दर्ज किया गया. कुछ शहरों में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. साइबेरिया के वर्जोजैंक्स्क शहर में तो 48 डिग्री तापमान दर्ज हुआ. यहां की जमीन बुरी तरह तप रही है. आमतौर पर हीट वेव के पीछे वजह लंबे समय तक रहने वाले एंटीसाइक्लोन होते हैं. इस साल रूस में एंटीसाइक्लोन की जो स्थिति देखी जा रही है, वह 2010 जैसी है. तब उस साल गर्मी और उसके कारण लगी आग से पैदा हुए धुएं ने करीब 56 हजार लोगों की जान ली थी.
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आर्कटिक टुडे के अनुसार, साइबेरिया के कुछ हिस्सों में तापमान सामान्य से 15 डिग्री सेल्सियस ज्यादा हो गया है. भीषण गर्मी के चलते आर्कटिक क्षेत्र के जंगलों में आग भी लग रही है. अप्रैल में यह आग साइबेरिया तक पहुंच गई थी.नासा की इमेजरी के अनुसार, ये आग इतनी ज्यादा खतरनाक हो गई थी कि स्पेस से भी इस आग के धुएं को देखा जा सकता था.
जलवायु परिवर्तन का असर पूरे ग्रह पर पड़ रहा है लेकिन रूस में इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है. यह रूस को 2.5 गुना तेजी से गर्म कर रहा है. इसके कारण देश के मौसम में असामान्य बदलाव देखने को मिल रहे हैं.
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