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Meteorites Rain: अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि इसके बारे में जितना भी जानो वह कम ही रहता है. दुनिया भर की कई एजेंसियां इस अंतरिक्ष की पहेली को सुलझाने में लगी रहती हैं. अब एक बार फिर नासा (NASA) ने यह दावा किया है कि 30 और 31 मई की रात में आसमान में ऐसी आतिशबाजी होने वाली है, जैसी पिछले 20 साल से नहीं हुई. ये आतिशबाजी एक धूमकेतू यानी कॉमेट के कारण होने वाली है.
दरअसल, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने यह जानकारी दी है कि 30 और 31 मई को Tau Herculids उल्कापिंडों की बारिश हमारे ग्रह यानी पृथ्वी पर होने वाली है. नासा ने बताया कि पिछले 20 साल बाद पहली बार आकाशीय उल्कापिंडों की इतनी चमकदार आतिशबाजी देखने को मिल सकती है.
दरअसल, यह उल्कापिंडों की बारिश आसमान में एक धूमकेतू के कारण होने वाली है. इस धूमकेतू का नाम SW-3 है. ये बर्फ और धूल से बना ऑब्जेक्ट है. यह आमतौर पर सूरज के चक्कर लगाता है. ऐसे में जब भी इस तरह का कोई धूमकेतु धरती की कक्षा के बेहद करीब आता है तो हमारी गुरुत्वाकर्षण की शक्ति उसके छोटे-छोटे टुकड़े हमारी पृथ्वी की तरह आने लगते हैं. लेकिन ये टुकड़े धरती के वातावरण में आते हैं तो घर्षण के कारण जलने लगते हैं और इससे आकाश में तेज चमक दिखाई देती है.
यह धूमकेतू नया नहीं है बल्कि इसकी पहचान एक सदी पहले दो जर्मन खगोलविदों ने की थी. उन्हीं के नाम पर इसका नाम SW-3 रखा गया है. यह धूमकेतु 5.4 साल में एकबार सूरज के चक्कर लगाता है लेकिन यह 40 साल के लिए रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था. जानकारी के अनुसार बीती सदी में 1935 से 1974 के बीच कम से कम 8 बार देखा गया था. वहीं यह मार्च 1979 में फिर दिखाई दिया, इसके बाद यह 1995 में दिखा. और इस समय यह 600 गुना ज्यादा चमकदार नजर आया था.
नासा ने बताया कि ऐसे में 31 मई की रात में हर घंटे 1000 उल्कापिंडों के बारिश होने की आशंका है. लेकिन यह भी संभव है कि धुमकेतू के मलबे के अलग होने की दर धीमी हो जाए तो उस तरह से चमकदार बारिश नजर ना आए.
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लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस आतिशबाजी का नजारा भारत में नजर नहीं आएगा. क्योंकि नासा के अनुसार मंगलवार को भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 30 पर उल्कापिंड धरती पर तेजी से गिरेंगे. यानी दिन के उजाले में इस नजारे का लुत्फ भारतीय नहीं ले पाएंगे. हालांकि अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको और लैटिन अमेरिका में रहने वाले लोग इस उल्कापात को देख सकेंगे.
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