दुनिया में पहली बार Pollution से मौत पर इस देश में होगी सुनवाई, फैसले पर टिकीं निगाहें
Advertisement
trendingNow1796090

दुनिया में पहली बार Pollution से मौत पर इस देश में होगी सुनवाई, फैसले पर टिकीं निगाहें

लंदन निवासी 9 वर्षीय एल्ला कीसी देबराह (Ella Kissi-Debrah) की अस्थमा और सांस लेने में तकलीफ के चलते मौत हो गई थी. देबराह के घर के पास लगातार तीन सालों तक वायु प्रदूषण लंदन के निर्धारित मानकों से काफी ज्यादा रहा था.

 

फाइल फोटो

लंदन: प्रदूषण से होने वाले नुकसान पर चर्चा तो अक्सर होती रहती है, लेकिन ब्रिटेन का हाईकोर्ट प्रदूषण से मौत के मामले पर सुनवाई करने जा रहा है. यह दुनिया में अपनी तरह का पहला मामला है जब किसी अदालत ने प्रदूषण के कारण मौत के मामले में संज्ञान लिया है.

  1. 9 वर्षीय एल्ला कीसी देबराह की हुई थी मौत
  2. घर के आसपास प्रदूषण स्तर काफी था
  3. कई मामलों पर गौर करेगी अदालत

2013 में हुई थी मौत

ब्रिटेन (Britain) हाईकोर्ट आज (30 नवंबर) इस केस की सुनवाई करेगा. दरअसल, 2013 में 9 वर्षीय एल्ला कीसी देबराह (Ella Kissi-Debrah) की लंदन में अस्थमा के दौरे और सांस की तकलीफ के चलते मौत हो गई थी. जिसके लिए बढ़ते प्रदूषण (Pollution) को दोषी ठहराया गया है. इसकी वजह यह है कि देबराह के घर के पास लगातार तीन सालों तक वायु प्रदूषण लंदन के निर्धारित मानकों से काफी ज्यादा रहा. 

राष्ट्रपति चुनाव में धोखाधड़ी के आरोप पर Donald Trump को मिला इस देश का साथ

पीड़ित परिवार ने दाखिल की Petition
देबराह की मां रोजमंड एल्ला ने अदालत में इस संबंध में याचिका (Petition) दायर की है. उन्होंने वायु प्रदूषण से मौत का हवाला देते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. पीड़ित परिवार की लीगल टीम का कहना है कि देबराह की मौत प्रदूषण की वजह से हुई है. हालांकि, यह अदालत को तय करना है कि क्या वायु प्रदूषण ही एल्ला कीसी देबराह की मृत्यु का कारण था.

क्या Pollution level मापा गया?

अदालत इस पर भी विचार करेगी कि क्या स्थानीय सरकार वायु प्रदूषण स्तर को कम करने में विफल रही? जानकारी के मुताबिक, एल्ला कीसी देबराह को मौत से पहले 27 बार अस्पताल जाना पड़ा था. उन्हें सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी. किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कोर्ट यह भी देखेगा कि उसकी बीमारी के दौरान क्या प्रदूषण स्तर को सही तरीके से मापा गया था?

केवल चर्चाएं होती हैं
जानकर मानते हैं कि यदि हाईकोर्ट प्रदूषण से मौत के आधार को स्वीकार करता है, तो फिर सरकारों को इस बारे में गंभीरता से सोचना होगा. अभी तक प्रदूषण पर केवल चर्चाएं ही होती हैं. प्रदूषण लोगों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहा है, लेकिन चूंकि इसके परिणाम तुरंत दिखाई नहीं देते इसलिए बात केवल चर्चा तक सीमित होकर रह जाती है. अब सभी की निगाहें आज होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं.    

 

Trending news