'सुपर डुपर मिसाइल' से चीन और रूस को मात देने की तैयारी कर रहा है अमेरिका
Advertisement
trendingNow1682500

'सुपर डुपर मिसाइल' से चीन और रूस को मात देने की तैयारी कर रहा है अमेरिका

 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, चीन और रूस समेत अपने दुशमनों को मात देने के लिए अमेरिका 'सुपर डुपर मिसाइल' विकसित कर रहा है.

ट्रंप ने अपनी नवगठित स्पेस फोर्स का झंडा लॉन्च किया

वाशिंग्टन: कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट के बीच जहां हर देश मरीजों की जान बचाने में व्यस्त है वहीं अमेरिका हाइपरसोनिक मिसाइल (hypersonic missile) बनाने में जुटा हुआ है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, चीन और रूस समेत अपने दुशमनों को मात देने के लिए अमेरिका 'सुपर डुपर मिसाइल' विकसित कर रहा है.

  1. ट्रंप ने किया ऐलान, हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहा है अमेरिका
  2. मौजूदा मिसाइलों की तुलना में 17 गुना तेज है हाइपरसोनिक मिसाइल
  3. रूस का दावा कि वो पहले ही ये मिसाइल बना चुका है

ये भी पढ़ें: यूपी सरकार के राज्यमंत्री के बिगड़े बोल, पैदल घर जा रहे मजदूरों की चोर-डकैतों से की तुलना

शुक्रवार को ओवल कार्यालय में अपनी नवगठित स्पेस फोर्स का झंडा लॉन्च करते हुए, ट्रंप ने घोषणा की कि 'अमेरिका इस वक्त अविश्वसनीय सैन्य उपकरण बना रहा है' जिसमें एक ऐसी मिसाइल भी शामिल है जो मौजूदा मिसाइलों की तुलना में 17 गुना तेज है. ट्रंप ने इस मिसाइल को 'सुपर डुपर मिसाइल' नाम दिया.

उधर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया है कि अमेरिका का पेंटागन अब जिस तकनीक पर काम कर रहा है, उनका देश पहले ही एक हाइपरसोनिक न्यूक्लीयर मिसाइल विकसित कर चुका है.

रूसी मीडिया के अनुसार, पुतिन ने कहा है कि उनकी अवनगार्ड मिसाइलें ध्वनि की गति से 20 गुना ज्यादा तेज चलती हैं, किसी 'उल्कापिंड' या 'फायरबॉल' की तरह.

शुक्रवार को बाद में, पेंटागन के प्रवक्ता, जोनाथन रथ हॉफमैन ने ट्वीट किया कि 'रक्षा विभाग हमारे विरोधियों का मुकाबला करने के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलों की एक श्रृंखला विकसित करने पर काम कर रहा है.'

पुतिन ने दिसंबर में सैन्य प्रमुखों को बताया था कि,' किसी भी देश के पास हाइपरसोनिक हथियार नहीं हैं.'

पिछले दिसंबर, ट्रंप ने स्पेस फोर्स बनाने के लिए सहमति दी थी, जिसमें कहा गया था कि अमेरिका को अंतरिक्ष में अपनी सैन्य उपस्थिति का विस्तार करने की जरूरत है. अमेरिकी स्पेस फोर्स का गठन दिसंबर 2019 में अंतरिक्ष की चुनौतियों खासकर रूस और चीन से पैदा होने वाले खतरों को देखकर किया गया था. इस फोर्स में फिलहाल में 16 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं.

ये भी देखें....

 

Trending news