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नई दिल्ली: एक दिन पहले अमेरिकी सेना की Joint Special Operations Command ने इस्लामिक स्टेट के प्रमुख अबू इब्राहिम अल हाशमी अल कुरैशी का भी काम तमाम कर दिया. जिसे IS के आतंकवादियों ने अबू बक्र अल बगदादी की मौत के बाद उसका उत्तराधिकारी चुना था. बगदादी की मौत के बाद अबू इब्राहिम दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी था, जिसके मरने की खुशखबरी सुनाने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति Joe Biden खुद मीडिया के सामने आए.
हो सकता है कि आपमें से बहुत से लोगों ने अबू इब्राहिम का नाम भी ना सुना हो, लेकिन बगदादी के मारे जाने के बाद पूरी दुनिया के लिए सबसे बडा खतरा यही आतंकवादी था. अबू इब्राहिम इराक में पैदा हुआ था और वो इतना क्रूर था कि उसे आतंक का प्रोफेसर कहा जाता था. बगदादी के दौर में बेरहमी से लोगों को मारने के विडियो बनाने और उसे प्रसारित करने का आइडिया भी अबू इब्राहिम का ही था. उसके सिर पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम था और इतने खूंखार आतंकी को मारने के अभियान में थोड़ी सी चूक भी अमेरिकी सैनिकों पर भारी पड़ सकती थी. इसलिए अमेरिका के राष्ट्रपति ने लगभग ढाई महीने तक इस मिशन की Planning की.
कई बार रिहर्सल करके अमेरिकी कमांडो ने Operation की रणनीति बनाई, जिन्होंने वॉशिंगटन डीसी से लगभग 9 हजार किलोमीटर दूर सीरिया के एक छोटे से शहर में छिपा आतंकी पर आधी रात के बाद हमला बोला था. इस बार भी अमेरिकी कमांडो का तरीका वही था, जिसे वो पाकिस्तान में ISI के Safe House में छिपे ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए आजमा चुके थे.
ओसामा बिन लादेन का जैसा अड्डा पाकिस्तान के ऐबटाबाद में था, लगभग उसी तरह के मकान में इस्लामिक स्टेट का सरगना अबू इब्राहिम भी रहता था. लादेन की तरह वो भी घर से बाहर नहीं निकलता था और जैसे लादेन को मारने के लिए 2 मई 2011 की रात में अमेरिकी सेना के कमांडो हेलीकॉप्टर से उसके ठिकाने पर पहुंचे थे, उसी तरह अबू इब्राहिम के घर के पास आधी रात को अमेरिकी सेना के आधा दर्जन हेलीकॉप्टर्स से कमांडो उतरे और संयोग देखिए कि लादेन के अड्डे के पास एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया था और ऐसा ही सीरिया में भी हुआ. ओसामा और अबू इब्राहिम, अपने-अपने समय के आतंक के इन सबसे बड़े आकाओं को खत्म करते समय White House का माहौल भी एक जैसा ही था.
White House के बेसमेंट में इसी कमरे में बैठकर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लादेन की मौत का Live Operation देखा था. उनके साथ Joe Biden भी थे, जो उस वक्त अमेरिका के उप राष्ट्रपति थे. 11 साल बाद उसी कमरे से Joe Biden ने सीरिया में अबू इब्राहिम को मारने के अभियान का नेतृत्व किया.
हालांकि लादेन और अबू इब्राहिम का अंत एक जैसा नहीं हुआ. लादेन को मारने के बाद अमेरिकी कमांडो उसका शव अपने साथ लेकर लौटे थे. जबकि इस्लामिक स्टेट के सरगना अबू इब्राहिम ने जब खुद को घिरा देखा, तो उसने बम विस्फोट करके खुद को उड़ा दिया. इस धमाके में उसकी 4 बीवियां और 6 बच्चे भी मारे गए. आपको शायद याद होगा कि वर्ष 2019 में इस्लामिक स्टेट के लीडर बगदादी ने भी ऐसा ही किया था. अमेरिकी सेना से घिरने के बाद वो दो बच्चों के साथ सुरंग में भागा और वहीं उसने दोनों बच्चों के साथ अपने आपको बम से उड़ा लिया था.
इन आतंकवादियों ने वही किया, जिससे अमेरिकी सेना बचना चाहती थी. अमेरिका के राष्ट्रपति ने निर्देश दिया था कि निर्दोषों की जान नहीं जानी चाहिए. इसलिए खतरा उठाकर अमेरिकी कमांडो सीरिया गए, वरना उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं थी. इस्लामिक स्टेट के प्रमुख का पता-ठिकाना जानने के बाद वहां ड्रोन भेजकर मिसाइल से पूरी बिल्डिंग को ध्वस्त कर देना बहुत आसान था, लेकिन तब उसमें रहने वाले बेगुनाह भी मारे जाते. लेकिन, आतंकवाद के आका ऐसा नहीं सोचते. वो तो जेहाद का जहर भरकर मासूम बच्चों को मानव बम बना रहे हैं.
आपको इस अभियान की एक और जानकारी दे दें. वो ये कि अबू इब्राहिम के खिलाफ Operation में अमेरिका ने अपने सबसे बेहतरीन हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल किया. उसने Mi-16 Black Hock भी सीरिया भेजा था, जिसका इस्तेमाल ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए भी किया गया था. सीरिया में एक Mi-16 Black Hock खराब भी हो गया, जिसे अमेरिकी कमांडो ने वहीं नष्ट कर दिया, ताकि उसकी तकनीक दुश्मनों और आतंकवादियों के हाथ ना लगे.
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