Who Is Mahfuz Alam: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हिंसक आंदोलनों की वजह से अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ भारत आ गई थीं. तबसे सभी के जेहन में एक बात कौंध रही, आखिर किस आदमी ने शेख हसीना को कुर्सी छोड़ने पर किया मजबूर. क्या है उसका नाम. अब पूरी दुनिया में एक नाम की चर्चा हो रही है. जानें पूरा मामला.
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Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार को प्रधानमंत्री की कुर्सी से उखाड़ फेकने के लिए एक साजिश रची गई थी, यह बात खुद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मो. यूनुस ने कबूली है. इस बात की चर्चा काफी दिनों से थी कि शेख हसीना को हटाने के लिए बहुत सोची-समझी साजिश रची गई. अब यूनुस ने स्वीकार कर लिया कि बांग्लादेश में लंबे समय से शेख हसीना सरकार को हटाने की योजना बनाई जा रही थी. आइए जानते हैं पूरा मामला.
मो. यूनुस ने कबूला सच
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मो. यूनुस इस समय अमेरिका में हैं. वहां पर एक कार्यक्रम में शिरकत के दौरान कहा कि बांग्लादेश में जो भी कुछ हुआ, वह सब प्लानिंग की वजह से हुआ और यह लंबे समय से चल रहा था. उन्होंने कहा कि इस प्लानिंग में एक शख्स ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी. कौन है यह नौजवान
कौन है शेख हसीना को हटाने वाला मास्टरमाइंड?
मो. यूनुस अमेरिका में क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने मंच से एक युवक को सबके सामने इन्ट्रोड्यूस करवाया. उसका नाम है महफूज आलम. इस समय वह मो. यूनुस का स्पेशल असिस्टेंट है. महफूज आलम का नाम लेते हुए मो. यूनुस ने कहा कि यही वह शख्स हैं, जिन्होंने बांग्लादेश में परिवर्तन लाए और आज तक इन्होंने अपने बारे में किसी को कुछ नहीं बताया, ये पर्दे के पीछे रहते हैं, लेकिन कोई भी काम बिना इनके संपन्न नहीं होता है. महफूज आलम और मो. यूनुस की नियुक्ति आसपास ही की गई थी और जब तक यूनुस पद पर बने रहेंगे, तब तक आलम भी अपने पद पर बने रहेंगे. बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में महफूज आलम के बारे में लिखा है कि वह ढाका यूनिवर्सिटी में लॉ के स्टूडेंट रह चुके हैं. वहीं से उन्होंने आंदोलन की शुरुआत की थी. जिस मंच से मो. यूनुस ने महफूज के बारे में बताया वहां पर उनके साथ एक लड़की भी मौजूद थी. वह कोट-पैंट और हिजाब पहने हुए थी. हालांकि, उसके बारे में और अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है.
महफूज आलम उम्र में कम, इरादे खतरनाक?
महफूज आलम के बारे में बताते हुए यूनुस ने कहा कि यह भले ही आम युवा की तरह दिखते हैं, लेकिन जब आप इनके काम देखेंगे, इन्हें बोलते सुनेंगे तो आप सब चौंक जाएंगे, आपको यकीन नहीं होगा, बल्कि कांपने लगेंगे. मो. यूनुस ने कहा कि इन्होंने तो साफ तौर पर कह दिया था कि जिसको जो करना है कर ले, मारना चाहता है तो उसकी हत्या कर दे, लेकिन वह अपने मिशन में सफल होकर रहेगा.
सूत्रधार महफूज आलम
उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह का बड़ा परिवर्तन हुआ, उसे देखकर ऐसा लगता है कि सबकुछ अचानक ही हुआ, लेकिन ऐसा नहीं है, सब कुछ एक प्लानिंग के तहत हो रहा था और इसके सूत्रधार महफूज आलम थे, ये अलग बात है कि इन्होंने कभी इसका क्रेडिट नहीं लिया. उस कार्यक्रम में बोलते हुए मो. यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में छात्रों का आंदोलन इसलिए सफल हुआ क्योंकि इसका कोई चेहरा नहीं था, इसलिए किसी एक को गिरफ्तार कर आंदोलन को खत्म नहीं किया जा सकता था, यह आंदोलन की खासियत थी और इसमें महफूज आलम ने जो भूमिका निभाई है, वह अद्भुत है, इसलिए प्लीज आप सब इनका स्वागत कीजिए.
देखें वीडियो:-
He (Mahfuz) is known as Subedar behind the whole revolution, he denied repeatedly it’s not me many others …but now we recognise that there brain behind the whole thing … it’s amazing meticulously designed thing…it’s not just suddenly came it’s not like that…very well… pic.twitter.com/TKIppyDc7L
— Arifa Rahman Ruma (@ArifaRahmanRuma) September 25, 2024
भारतीय राजदूत ने किया खुलासा
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने आखिरकार स्वीकार कर लिया है कि शेख हसीना के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन अचानक शुरू नहीं हुआ था. मोहम्मद यूनुस ने आंदोलन के पीछे के असली मास्टरमाइंड के बारे में जब बताया तो इसको लेकर भारतीय राजदूत कलारिकल प्रांचू फेबियान ने गुरुवार को प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना था कि यह सच है कि शेख हसीना ने पिछले कई सालों से बांग्लादेश के लिए बहुत काम किया है लेकिन यह भी सच है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने किसी की नहीं सुनी. शेख हसीना ने अपने करीबियों को यह नहीं बताया कि आरक्षण को लेकर आंदोलन होगा. हम सब जानते हैं कि युवाओं के लिए नौकरियां नहीं हैं. सत्ता बिल्कुल अलग-थलग है.
15 अगस्त को क्या हुआ?
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त को शेख हसीना ने वहां के जनरल को बुलाया और जनरल ने उनसे कहा कि मैडम, जो छात्र विरोध कर रहे हैं वे अब प्रधानमंत्री आवास की ओर बढ़ रहे हैं. वे बहुत परेशान हैं और बहुत गुस्से में हैं. इसके बाद शेख हसीना ने गुस्से में जनरल से पूछा कि मैंने आपको क्यों बहाल किया है. यह भी कहा जा सकता है कि शेख हसीना वास्तविक स्थिति को समझ नहीं रही थीं. राजदूत का मानना है कि बांग्लादेश के यूनुस ने जिस व्यक्ति का नाम लिया है, वह शेख हसीना को हटाने में हो सकते हैं, क्योंकि उनका नाम पहली बार मीडिया में आया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि छात्रों ने विरोध किया और आरक्षण में राहत मिलने के बाद भी छात्रों ने आंदोलन जारी रखा. पाकिस्तान के आईएसआई, जमात-ए-इस्लामी के साथ मिलकर उन लोगों की निश्चित रूप से शेख हसीना की सरकार को गिराने की योजना थी.
शेख हसीना पर 194 मामले दर्ज
पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बांग्लादेश छोड़कर भारत आने वाली शेख हसीना अब अपने देश में कुल 194 मामलों का सामना कर रही हैं. उनमें 173 मामले हत्या, 11 मानवता के खिलाफ अपराध एवं नरसंहार, 6 हत्या के प्रयास, तीन अपहरण और एक बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के जुलूस पर हमले से संबंधित है.