विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी (Dharavi) में कोरोना (Corona Virus) के प्रकोप को कम करने के प्रयासों की प्रशंसा की है.
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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी (Dharavi) में कोरोना (Corona Virus) के प्रकोप को कम करने के प्रयासों की प्रशंसा की है. WHO ने कहा है कि कि धारावी मॉडल के तहत कोरोना वायरस को रोकने के लिए किए गए प्रयासों की बदौलत आज ये इलाका कोरोना से मुक्त होने के कगार पर है. WHO ने धारावी का उदाहरण देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय और वैश्विक एकजुटता के साथ आक्रामक कार्रवाई से महामारी को रोका जा सकता है.
मुंबई में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमितों के बावजूद धारावी में कोरोना के प्रसार पर एक तरह से रोक लग गई है. शुक्रवार को यहां सिर्फ 12 नए मामले दर्ज किए गए थे. जिस तरह से धारावी में वायरस के प्रसार को रोका जा रहा है, उससे WHO प्रभावित है. मीडिया ब्रीफिंग के दौरान, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडहानम गेब्रेयेसेसने (Adhanom Ghebreyesus ) ने कहा, ‘दुनियाभर में कई उदाहरण हैं जिन्होंने दिखाया है कि भले ही प्रकोप कितना भी ज्यादा हो, उसे नियंत्रित किया जा सकता है और इन उदाहरणों में से कुछ इटली, स्पेन और दक्षिण कोरिया, और यहां तक कि मुंबई महानगर का एक अति सघन आबादी वाला इलाका धारावी भी शामिल है’. उन्होंने आगे कहा कि समुदाय को शामिल करने, टेस्टिंग, ट्रेसिंग, आइसोलेशन और सभी रोगियों का तुरंत इलाज संक्रमण की चेन को तोड़ने और वायरस को दबाने के लिए अहम है, और यही धारावी में किया गया है.
धारावी मॉडल की यह कामयाबी इसलिए भी चर्चा का विषय है, क्योंकि महाराष्ट्र देश में सबसे अधिक कोरोना प्रभावित राज्य है. बीएमसी के मुताबिक, मुंबई में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या शुक्रवार को 1,354 नए रोगियों के साथ बढ़कर 90,000 पहुंच गई है. जबकि अब तक 5,202 लोगों की वायरस से मौत हुई है. वहीं, धारावी में शुक्रवार को 12 नए मामले आने के साथ ही संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 2,359 हो गई है. यहां अभी 166 मरीजों का उपचार चल रहा है और 1,952 को अस्पतालों से छुट्टी मिल चुकी है. आपको बता दें कि एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी 2.5 वर्ग किमी में फैली है, जहां लगभग 8 लाख लोग रहते हैं.
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क्या है धारावी मॉडल?
धारावी में एक अप्रैल को कोरोना का पहला मामला सामने आया था. आशंका थी कि स्थिति तेजी से बिगड़ सकती है, क्योंकि यहां लगभग 8 लोग रहते हैं और उनमें से 80 प्रतिशत सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं. सबसे बड़ी समस्या यह थी कि लोगों को न तो होम आइसोलेशन किया जा सकता था और न ही वे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकते थे. इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यहां विशेषज्ञों की टीम भेजी. सघन आबादी में संदिग्ध मरीजों के आइसोलेशन की व्यवस्था नहीं होने की वजह से संस्थागत आइसोलेशन की व्यवस्था की गई और स्कूल, कॉलेज को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया. इसके अलावा, सामूहिक शौचालय की समस्या को दूर किया गया. टेस्टिंग में तेजी लाई गई, जिसके चलते अब धारावी में कोरोना के प्रसार की रफ्तार एक तरह से थम गई है.