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नई दिल्ली: भारत में Long Weekend की शुरुआत हो चुकी है और बहुत सारे लोग आज दफ्तर से छुट्टी लेकर Long Weekend मनाने के लिए निकल चुके हैं. आज दशहरा है, फिर शनिवार और रविवार इसलिए लोग इस मौके का फायदा उठाना चाहते हैं. बहुत सारे लोग जब दफ्तर से छुट्टी लेकर घूमने-फिरने जाते हैं तो सबके मन में एक ना एक बार ये ख्याल जरूर आता है कि काश वो काम पर वापस लौटे ही ना यानी वो अपनी नौकरी छोड़ दें. लेकिन अब ये ख्याल पूरी दुनिया में एक हकीकत बनने लगा है.
पूरी दुनिया में नौकरी करने वालों की संख्या 350 करोड़ है और अब इनमें से 40 प्रतिशत यानी 140 करोड़ लोग अपनी वर्तमान नौकरी छोड़ना चाहते हैं, इनमें से बहुत सारे लोग अब काम से ब्रेक लेना चाहते हैं, कुछ लोग अपना Career बदलना चाहते हैं, कुछ लोग रिटायर हो जाना चाहते हैं तो बहुत सारे लोग मौजूदा नौकरी छोड़कर दूसरी नौकरी करना चाहते हैं. भारत में जितने लोग नौकरियां करते हैं उनमें से भी 51 प्रतिशत अपनी Field छोड़कर किसी दूसरी Field में अपना Career बनाना चाहते हैं.
अमेरिका में तो अकेले अगस्त के महीने में ही 43 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां छोड़ दी. ये अमेरिका की कुल Work Force का तीन प्रतिशत है. रिसर्च करने वाली एक संस्था के एक सर्वे के मुताबिक, अमेरिका के 50 प्रतिशत लोग अब Career के दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं.
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नौकरी छोड़ने का ये Trend पूरी दुनिया में देखा जा रहा है इसलिए इसे The Great Resignation और The Great Quit नाम दिया गया है क्योंकि इससे पहले कभी भी दुनिया में इतने सारे लोगों ने एक साथ अपनी नौकरियों से इस्तीफा नहीं दिया है. हिंदी में आप इसे नौकरीपेशा लोगों का महापलायन भी कह सकते हैं. नौकरियां छोड़ने वालों में ज्यादा संख्या महिलाओं की है.
अमेरिका में सितंबर के महीने में 3 लाख से ज्यादा महिलाओं ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया, जबकि इसी दौरान इस्तीफा देने वाले पुरुषों की संख्या 1 लाख 80 हजार से कुछ ज्यादा थी. सबसे बड़ी संख्या में नौकरियां वो लोग छोड़ रहे हैं जिनकी सैलरी ज्यादा नहीं है, जो जरूरत से ज्यादा काम के दबाव की वजह से परेशान हैं और जिन्हें लगता है कि कोरोना की महामारी के बाद उन्हें अपनी Lifestyle पर फिर से विचार करना चाहिए. इस वजह से अमेरिका समेत पश्चिम के कई देशों में तो स्थिति ये हो गई है कि अब वहां नौकरियां ज्यादा हैं लेकिन नौकरी करने वाले लोगों की संख्या कम है.
नौकरीपेशा लोगों के इस महापलायन को The Great Resignation नाम अमेरिका के Texas में A and M University के प्रोफेसर Anthony Klotz (एंथनी क्लोट्ज) ने दिया है और वो इस महापलायन के लिए चार कारणों को जिम्मेदार मानते हैं.
पहला ये कि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो 2 वर्ष पहले ही अपनी नौकरी छोड़ देना चाहते थे. लेकिन Covid-19 की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए क्योंकि लोगों को अपनी जेब की चिंता थी. लेकिन अब अर्थव्यवस्थाएं फिर से खुल रही हैं और वो सारे लोग जो पहले नौकरी नहीं छोड़ पाए वो अब बड़ी संख्या में इस्तीफा दे रहे हैं.
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दूसरा कारण है Burn Out. Burn Out का मतलब होता है आपके शरीर और मन का काम करते-करते थक जाना और एक ऐसी स्थिति आ जाना जब आपको लगने लगे कि अब आप एक दिन भी अपनी नौकरी को जारी नहीं रख सकते क्योंकि आपका शरीर और मन ही आपका साथ नहीं दे रहा. भारत में 41 प्रतिशत लोगों को ऐसा लगता है कि वो अब Burn Out हो चुके हैं.
तीसरा कारण ये है कि महामारी के दौरान लोगों को खुद के बारे में सोचने का ज्यादा मौका मिला क्योंकि Lockdown की वजह से या तो दफ्तर बंद थे या फिर लोग घरों से ही काम कर रहे थे. जब लोगों को खुद का निरीक्षण करने का मौका मिला तो उन्हें समझ आया कि वो जो काम कर रहे हैं वो असल में उसे करना ही नहीं चाहते.
चौथा कारण ये है कि अब लोगों को डर है कि उन्हें एक बार फिर से दफ्तरों में जाकर काम करना होगा. घर से काम करने की सुविधा अब कंपनियां वापस लेने लगी हैं, लोगों को लगता है कि इससे काम के मामले में उनकी Flexibility यानी लचीलापन खत्म हो जाएगा और उन्हें फिर से 9-10 घंटे की Routine नौकरियों पर लौटना होगा.
इसके अलावा कई विशेषज्ञ मानते हैं कि पश्चिमी देशों में Lockdown के दौरान लोगों के खर्चे कम हो गए थे और लोगों की Savings बढ़ गई थी. कई देशों की सरकारों ने तो अपने नागरिकों को इस दौरान आर्थिक सहायता भी दी इसलिए बचाए गए इन पैसों के भरोसे लोग Early Retirement ले रहे हैं. एक कारण ये भी है कि अर्थव्यवस्थाओं के फिर से खुल जाने की वजह से अब पहले के मुकाबले ज्यादा नौकरियां उपलब्ध हैं और लोगों को लगता है कि अगर वो नौकरी छोड़कर कुछ समय के लिए अपने काम से Break ले भी लेंगे तो उन्हें दूसरी नौकरी आसानी से मिल जाएगी.
लेकिन इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि जिन लोगों को कोविड हो चुका है वो तो वैसे भी शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो चुके हैं और अब उनका काम करने का मन नहीं है और जिन्हें कोविड नहीं हुआ है उन्हें भी इसने मानसिक रूप से तोड़ दिया है और अब ये लोग अपने जिंदगी जीने के तरीकों पर फिर से विचार करने लगे हैं.
कुछ Experts ये भी मानते हैं कि ये नौकरियों के मौजूदा तौर तरीकों के खिलाफ कर्मचारियों का बड़े पैमाने पर विद्रोह है. अमेरिका में एक Study में करीब 56 प्रतिशत कर्मचारियों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जब Lockdown था और कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा था तो उनकी कंपनियों ने उनसे उनका हालचाल तक नहीं पूछा.
कर्मचारियों में दूसरी नाराजगी इस बात को लेकर है कि कोरोना के बहाने उनकी कंपनियों ने छंटनी शुरू कर दी. इस दौरान बहुत सारे Middle और Junior Level के कर्मचारी हटाए गए लेकिन जो लोग Senior Positions पर थे उनके साथ ऐसा नहीं किया गया.
दुनिया भर के कर्मचारियों की नाराजगी की एक बड़ी वजह ये भी है कि उनसे जरूरत से ज्यादा काम तो कराया जाता है लेकिन जब वो छुट्टी मांगते हैं तो उन्हें छुट्टी नहीं दी जाती. पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा कर्मचारी ऐसा मानते हैं कि उन्हें पर्याप्त छुट्टियां नहीं मिल पाती. भारत में ऐसा मानने वालों की संख्या 75 प्रतिशत है, जबकि दक्षिण कोरिया के 72 प्रतिशत और Hong Kong के 69 प्रतिशत कर्मचारियों का दुख भी यही है.
हालांकि भारत में आज से ही बड़ी संख्या में लोग Long Weekend पर चले गए हैं और कई दफ्तर इस समय खाली हैं. लेकिन फिर भी भारत में बहुत सारे कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें त्योहारों पर भी छुट्टियां नहीं मिलती.
लेकिन यहां हम ये भी कहना चाहते हैं कि पलायन हर समस्या का हल नहीं है. आप बेहतर विकल्प की तलाश में नौकरी जरूर बदल सकते हैं. लेकिन अक्सर होता है ये है कि दूसरी नौकरी में जाने के कुछ समय बाद लोगों को फिर से वही सारी शिकायतें होने लगती हैं. यानी बदलाव जरूरी तो है लेकिन ये बदलाव अस्थाई नहीं होना चाहिए.