कब जलेगी सम्मत, जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा

होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ है. होलिका दहन काा मुहूर्त 18:36:38 से 20:56:23 तक है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 28, 2021, 08:17 AM IST
  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 ए एम बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 12:17 ए एम बजे
कब जलेगी सम्मत, जानिए होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा

नई दिल्लीः साल भर के इंतजार के बाद होली का उत्सव आ गया है. इसके पहले 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा. इसके लिए चौराहों पर सम्मत बनाकर तैयारी कर ली गई है. बस इंतजार है तो एक शुभ मुहूर्त की. होली का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना गया है वहीं होलिका दहन का दिन भी विशेष महत्व रखता है.

होलिका दहन में मुहूर्त और तिथि का ज्ञान होना बेहद आवश्यक होता है. सनातन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, होलिका दहन कभी भी भद्रा काल में नहीं की जानी चाहिए. 

होलिका दहन शुभ मुहूर्त 

होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त की जानकारी होना बेहद जरूरी होता है. ऐसे में इस वर्ष होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है इस बात की जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं.

होलिका दहन मुहूर्त :18:36:38 से 20:56:23 तक

अवधि : 2 घंटे 19 मिनट

भद्रा पुंछा :10:27:50 से 11:30:34 तक

भद्रा मुखा :11:30:34 से 13:15:08 तक

होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 28, 2021 को 03:27 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 29, 2021 को 12:17 ए एम बजे

होली पर बन रहे हैं कई शुभ मुहूर्त
इसके अलावा इस बार होली पर कई बेहद शुभ योग जैसे अभिजीत मुहूर्त, ब्रह्म मुहूर्त सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग बन रहा है. ऐसे में यदि आप अपनी राशि के अनुसार होलिका दहन करते हैं तो आपको हर मनोकामना की पूर्ति होगी और साथ ही आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी.

यह भी पढ़िएः Holi Special: राशि के अनुसार कैसे शुभफलदायी होगा होलिका दहन, ऐसे करें पूजन

होलिका दहन की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सतयुग के आखिरी चरण में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्याचारी असुर हुआ. हिरण्यकश्यप जितना ही अत्याचारी था उतना ही अभिमानी भी. हिरण्यकश्यप चाहता था कि उसकी प्रजा किसी देवता की नहीं बल्कि  हिरण्यकश्यप की ही पूजा करे और उसे ईश्वर माने, लेकिन हिरण्यकश्यप का खुद का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. ये बात हिरण्यकश्यप सबसे अधिक सालती थी. 

उसने प्रह्लाद को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन, प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के प्रति अपनी आस्था को कभी कम नहीं होने दिया. प्रह्लाद की भक्ति में तनिक भी बदलाव ना आता देख हिरण्यकश्यप ने उन्हें कष्ट देना शुरू कर दी, लेकिन फिर भी जब प्रह्लाद पर कोई असर नहीं पड़ा तब हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने की योजना बनाई. हिरण्यकश्यप की इस योजना में उसका साथ दिया उसकी बहन होलिका ने. 

इस योजना के तहत होलिका विष्णु भक्त प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी, क्योंकि होलिका को आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था. भगवान विष्णु ने होलिका का ये छल समझ लिया और इस अग्नि से प्रह्लाद को सकुशल बचा लिया लेकिन होलिका के लिए ये अग्नि काल साबित हुई और इसमें होलिका की मौत हो गयी. तभी से होलिका दहन मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई है. 

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.  

ट्रेंडिंग न्यूज़