Sawan 2022: सावन में भगवान शिव की इस गुफा के करें दर्शन, मिलेगा चार धाम यात्रा के बराबर पुण्य

Sawan 2022:  उत्तराखंड में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा अपने रहस्य और चमत्कार के लिए आज भी प्रसिद्ध है. ऐसा कहा जाता है कि सावन के दिनों में इस गुफा के दर्शन मात्र से चार धाम की यात्रा हो जाती है. आइए जानते हैं इस गुफा की कहानी, रहस्य और इतिहास   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 17, 2022, 04:27 PM IST
  • उत्तराखंड में स्थित है पाताल भुवनेश्वर गुफा
  • गुफा के मात्र दर्शन से हो जाती चार धाम यात्रा
Sawan 2022: सावन में भगवान शिव की इस गुफा के करें दर्शन, मिलेगा चार धाम यात्रा के बराबर पुण्य

नई दिल्ली: देशभर में भगवान शिव के कई मंदिर और गुफाएं हैं, कुछ गुफाएं आज भी चमत्कारी, ऐतिहासिक व रहस्यमयी हैं. ऐसी ही एक गुफा उत्तराखंड के गांव भुवनेश्वर में है. यह  गुफा किसी आश्चर्य से कम नहीं है. इस गुफा में दुनिया के अंत के बारे में भी बताया है. आइए जानते हैं इस गुफा की कहानी, इतिहास और रहस्य 

भुवनेश्वर गुफा में है कलयुग के अंत का रहस्य 

उत्तराखंड में स्थित इस गुफा में चारों युगों के प्रतीक रूप में 4 पत्थर स्थापित है जैसे (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग). इन पत्थरों के नाम मोक्षद्वार, पापद्वार, रणद्वार, धर्मद्वार हैं. इनमें से युगों के प्रतीक तीन द्वार बंद हो चुके हैं.
बता दें कि धर्मद्वार को कलियुग का प्रतीक माना जाता है. इस पत्थर की सबसे खास बात तो यह है कि ये पत्थर लगातार धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है. इस गुफा के पत्थर को लेकर यह मान्यता है कि जब यह पत्थर गुफा की छत को छू लेगा. यह माना जाता है कि जिस दिन यह कलयुग का अंत हो जाएगा.

पाताल भुवनेश्वर गुफा का इतिहास
 
स्कंदपुराण के अनुसार, पाताल भुवनेश्वर में स्वयं भगवान शिव निवास करते हैं. उसके बाद द्वापर युग मे पांडवों द्वारा इस गुफा की खोज मानी जाती है. कहा जाता है कि कलियुग में पांडवों ने यहां चौपड़ का खेल खेला था.

गुफा की कहानी 

मान्यता है कि यहां भगवान गणेश का कटा हुआ सिर रखा है. पौराणिक कथाओं में बताया जाता है कि भगवान शिव ने क्रोध में आकर गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था. इस दृश्य को देखकर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्हीं के कहने पर भगवान गणेश के धड़ पर हाथी का सिर लगाया गया. लेकिन जो सिर उनके शरीर से अलग किया गया था, उसको भगवान शिव द्वारा इस गुफा में रखा था. इस गुफा में गणेश जी का कटा हुआ सिर मूर्ति के रूप में स्थापित है. 

पाताल भुवनेश्वर गुफा के अंदर का रहस्य 

गुफा में प्रवेश करने के लिए 3 फीट चौड़ा और 4 फीट लंबा मुंह बना हुआ है. गुफा के अंदर कैमरा और मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है. नीचे गुफा में उतरने के लिए चट्टानों के बीच संकरे टेढ़ी मेढ़े रास्ते से ढलान पर उतरना पड़ता है. इस गुफा की खास बात यह है कि यह रस्ता छोटा लगता है,  लेकिन गुफा में उतरने पर शरीर खुद ब खुद गुफा के संकरे रास्ते में अपने लिए जगह बना लेता है. गुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों का सहारा लेना पड़ता है यह गुफा पत्थरों से बनी हुई है. इसकी दीवारों से पानी रिसता रहता है, जिसके कारण यहां के जाने का रास्ता बेहद चिकना है.

दर्शन से होगी मोक्ष की प्राप्ति होती है

स्कंद पुराण के मानस खंड के 103 अध्याय के अनुसार इस गुफा के दर्शन से चारों धाम- जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, द्वारिकी पुरी और बद्रीनाथ धाम के दर्शन पूर्ण हो जाते हैं. 

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