नई दिल्ली: मां कुष्मांडा की उपासना करने से सारे कष्ट और बीमारियां दूर हो जाती हैं. उनकी पूजा से हमारे शरीर का अनाहत चक्र जागृत होता है. इनकी उपासना से जीवन के सारे शोक खत्म हो जाते हैं. इससे भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है. देवी मां के आशीर्वाद से सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी हासिल होते हैं.
मां कुष्मांडा की साधना करने वालों को विभिन्न रोगों से भी मुक्ति मिलती है. जिनमें नेत्र, केश, मस्तिष्क, हृदय, मेरुदंड, उदर, रक्त, पित्त और अस्थि से संबंधित अनेक रोग सम्मिलित हैं.
माता कुष्मांडा का बुध ग्रह से संबंध
ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बुध ग्रह से है. तो जिन जातक की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हैं. वह माता कुष्मांडा की विधिवत पूजा करें. इससे आपकी जीवन की दशा सुघर जायेगी. क्योंकि बुंध ग्रह हमें कई रूपो में प्रभावित करता है. बुध ग्रह का संबंध बुद्धि से है, व्यवसाय से है, मांगलिक कार्यो से है और संबंधियों से है. बुध ग्रह के बिगड़ने से इन सभी पर इसका प्रभाव दिखता है. माता कुंष्मांडा के आशीर्वाद से आप बुध ग्रह को सही रख सकते है.
मां के पूजन से सूर्यदेव बरसाते हैं कृपा
शास्त्रों के अनुसार, मां का मंत्र के जप से सूर्यदेव की कृपा तो प्राप्त होती ही है. साथ ही, परिवार में खुशहाली और सुख-समृद्धि भी आती है. इसके अलावा मंत्र के जप से स्वास्थ्य भी अच्छा होता है और आय में बढ़ोतरी होती है.
मान्यता के अनुसार ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं. इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है. वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है. इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं.
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