लखनऊ: देश की एक और बेटी गैंगरेप का शिकार हो गई, पूरा देश सन्न है. लेकिन उत्तर प्रदेश की जो पुलिस अपने नाम से उत्तर प्रदेश के अपराधियों में खौफ भर देने का दावा करती है. उसी पुलिस को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है. हाथरस की निर्भया के लिए पूरा देश इंसाफ मांग रहा है और उत्तर प्रदेश पुलिस अपने बयानों का जाल बुन रही है.
बलात्कारियों के खिलाफ बुल्डोजर कब?
माफियाओं के खिलाफ बुल्डोजर चलाकर इतराने वाली यूपी पुलिस क्या जवाब दे पाएगी कि यूपी में बलात्कारियों के भरोसे पर क्यों बुलडोजर नहीं चढ़ा पाई? क्यों हाथरस के दानव भरोसा करते रहे कि पुलिस गैंगरेप के बाद मामला भटकाने की कोशिश करेगी. और पुलिस उनके भरोसे पर 100 फीसदी खरी उतरी. सबसे पहले आपको हाथरस की निर्भया के भाई के दर्द से रूबरू होना चाहिए.
हाथरस की निर्भया के भाई ने कहा कि "मेरी बहन के साथ गलत काम करने के बाद जीभ काट दिया. गर्दन और रीढ़ की हड्डी होड़ दी. अगर पहले बड़े अस्पताल लाया जाता तो शायद जान बचाई जा सकती थी."
हाथरस घटना पर इन 10 सवालों के जवाब दो सरकार
सवाल नंबर 1). 14 सितंबर को FIR, गिरफ़्तारी में 5 दिन क्यों लगाए?
सवाल नंबर 2). आरोपी संदीप की गिरफ़्तारी पहले क्यों नहीं की गई?
सवाल नंबर 3). पीड़ित का बयान 22 सितंबर को क्यों लिया गया?
सवाल नंबर 4). हाथरस-अलीगढ़-दिल्ली तक पीड़ित को किस अवस्था में रेफर किया गया?
सवाल नंबर 5). हालत कितनी गंभीर थी, किन चोटों के कारण पीड़ित की मौत हुई?
सवाल नंबर 6). चोट गंभीर तो दिल्ली रेफर करने में 14 दिन की देरी क्यों?
सवाल नंबर 7). पीड़ित के रेप के बयान के बाद FSL की रिपोर्ट का इंतज़ार क्यों?
सवाल नंबर 8). परिवार को बताए बिना पुलिस ने क्यों किया अंतिम संस्कार?
सवाल नंबर 9). हाथरस मामले में पुलिस ने बार-बार बयान क्यों बदला?
सवाल नंबर 10). यूपी पुलिस न्याय दे पाएगी या फिर CBI जांच की ज़रूरत है?
4 दानवों को क्या सज़ा मिलनी चाहिए?
हाथरस की निर्भया ने 14 सितंबर से लगातार तड़पने के बाद आज दिल्ली में दम तोड़ दिया. 14 सितंबर को 4 दानवों ने हाथरस की निर्भया से गैंगरेप किया. गैंगरेप के दौरान ही उसकी जीभ काटने की कोशिश हुई, ताकि वो गवाही ना दे सके. उसकी रीढ़ तोड़ने की कोशिश हुई, ताकि वो अपने पैरों पर घर ना जा सके. उसकी गर्दन तोड़ने की कोशिश हुई, ताकि उसकी सांसों के साथ हर सबूत की कड़ी टूट जाए.
यूपी पुलिस ने क्यों की इतनी लापरवाही?
पूरा देश यूपी पुलिस को कटघरे में खड़ा करके ये कह रहा है कि "हाथरस के दानवों के बाद निर्भया से क्रूरता की शुरुआत यूपी पुलिस ने की. परिवार के मुताबिक हाथरस की निर्भया की हालत देखने के बाद भी पुलिस ने रेप की धाराओं में केस दर्ज़ करने की बजाए छेड़खानी का केस दर्ज़ किया. इसके बाद हत्या की कोशिश यानी 307 का केस दर्ज़ किया गया. और इसके बाद गैंगरेप के आरोपी राक्षस गिरफ्तार किए गए. हाथरस की बेटी ने आखिरी सांस लेने से पहले इच्छा जताई कि उसकी मौत के जिम्मेदार लोगों को फांसी होनी चाहिए."
हाथरस की बेटी को न्याय के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का ऐलान हो चुका है. इससे आरोपियों को जल्दी सज़ा मिल जाएगी, लेकिन यूपी की के दोषी उन पुलिसवालों का क्या? जिन्होंने आरोपियों को 10 दिन तक खुला घूमने की छूट दी? जिनपर गैंगरेप के केस को दबाने की कोशिश का आरोप है, आपराधिक लापरवाही के दोषियों को भी सज़ा हो ताकि अगली बार कोई और पुलिसवाला गैंगरेप के मामले को छेड़खानी बनाने की हिम्मत ना करे.
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