मौलाना साद और जमातियों का 'कच्चा चिट्ठा', विदेश से आता है बेशुमार पैसा

भारत में कोरोना वायरस को फैलाने वाली जमात का कच्चा चिट्ठा धीरे धीरे लोगों के सामने आ रहा है. इन जमातियों ने कोरोना को भी अपने जिहाद का हिस्सा बना लिया था.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 2, 2020, 06:15 PM IST
    • जमातियों ने कोरोना को भी अपने जिहाद का हिस्सा बना लिया
    • क्राइम ब्रांच की रडार पर 125 बैंक खाते
    • मौलाना साद के लोग विदेश से पैसे अवैध रूप से हासिल करते थे
मौलाना साद और जमातियों का 'कच्चा चिट्ठा', विदेश से आता है बेशुमार पैसा

नई दिल्ली: चीन ने पूरी दुनिया को कोरोना वायरस का संक्रमण दिया और तबलीगी जमात के लोगों ने पूरे भारत में इस जहर को फैला दिया. दिल्ली के निजामुद्दीन में आयोजित मरकज का मुखिया मौलाना साद अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है और क्राइम ब्रांच को धोखा दे रहा है. मीडिया को मिल रही जानकारी के अनुसार क्राइम ब्रांच को इस जमात के काले कारनामों की अहम जानकारी मिली है.

क्राइम ब्रांच की रडार पर 125 बैंक खाते

आपको बता दें कि पहले से पुलिस को शक है कि मौलाना साद और अन्य जमाती विदेश के पैसे से भारत के खिलाफ साजिश करते हैं. इनके कारनामों पर पहले भी अहम खुलासे हुए हैं. अब मौलाना साद और उसके बेटों समेत मरकज के 11 बैंक अकाउंट समेत 125 संदिग्ध बैंक अकाउंट क्राइम ब्रांच की रडार पर आ गए हैं. जांच के दौरान एजेंसियों को पता चला कि ये वो जमाती हैं, जिनके बैंक अकाउंट में जनवरी से मार्च के महीने में काफी पैसा आया था.

विदेशी करेंसी से करते थे हेर फेर

तबलीगी जमात और मौलाना साद के लोग विदेश से पैसे अवैध रूप से हासिल करते थे और अपनी मरकज के जमातियों पर बेशुमार पैसा लुटाते थे. ये पूरा पैसा बैंक खातों में भेजा जाता था और इसे तरह तरह के लोगों में अलग अलग खातों से आवंटित किया जाता था.  क्राइम ब्रांच ने ऐसे ही 125 बैंक अकाउंट की लिस्ट बनाई है. जिसमें कुछ विदेशों से आए जमाती भी हैं. करीब 2041 जमाती मरकज से जुड़े हुए हैं.

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क्राइम ब्रांच को शक है कि इतने ज्यादा बैंक अकाउंट के जरिए विदेशों से मिलने वाली विदेशी करेंसी को हवाला के जरिए भारतीय करेंसी में बदलकर छोटी-छोटी रकम के तौर पर डाल दी जाती होगी, ताकि बैंक की गाइडलाइंस के मुताबिक किसी को कोई शक भी नहीं होगा.

इस प्रकार खर्च करते थे पैसा

आपको बता दें कि पैसों को जमातियों के रहने-खाने और धर्म के कट्टरपंथी लोगों को उकसाने के लिए प्रयोग किया जाता था. विदेशों के आर्थिक रूप से सम्पन्न तबलीगी जमात के लोगों से एक दिन में 1000 जमातियों के रहने-खाने और पीने के खर्चे के तौर पर अगर 50,000 का खर्चा आता है और इस 50 हजार को 365 दिन यानी एक साल के हिसाब से गुणा करें, तो ये बहुत बड़ा अमाउंट हो जाता है. ऐसी मोटी रकम लगातार मरकज को मिलती रहती थी, जिसको अलग-अलग बैंक अकाउंट में डाल दिया जाता था.

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