नई दिल्ली: बिहार में NDA की जीत ने फिर एक बार साबित कर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी से बड़ा ब्रांड देश में नहीं है. बिहार में जब एनडीए मझधार में फंसती दिख रही थी तो पीएम मोदी खुद मैदान में उतरे और ताबड़तोड़ रैलियां कर हवा का रूख मोड़ दिया. कोरोना-बाढ़ और रोजगार की समस्या से जूझते बिहार की जनता को मोदी भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि एनडीए ही उनके मर्ज का इलाज है ना कि जंगलराज वाला महागठबंधन, लेकिन अब असली लड़ाई बंगाल में है.
बिहार जीत के बाद बंगाल में हुंकार!
बिहार में 15 साल की एंटी इनकमबेंसी को मोदी के पॉवर प्ले ने खत्म कर दिया. बिहार में जबरदस्त जीत के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं का जोश आसमान पर है. यही जोश यही उमंग बीजेपी के लिए बंगाल चुनाव में संजिवनी का काम करेगी. बिहार से बीजेपी को जो चाहिए था वो मिल गया, बल्कि कहें कि बिहार ने बीजेपी को छप्पर फाड़ जीत दी है. अब बिहार की इस जीत को बीजेपी बंगाल में दोहराना चाहेगी. अमित शाह के मिशन बंगाल में बीजेपी की बिहार जीत अहम रोल अदा करेगी.
बिहार फतह करने के बाद अब बीजेपी डबल जोश से मिशन बंगाल में जुटेगी, जहां उनका मुकाबला ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से होगा. ऐसे में अमित शाह के मिशन बंगाल में बिहार की जीत से मिला जोश टॉनिक का काम कर सकता है.
पीएम मोदी और अमित शाह के लिए बंगाल सबसे अहम राज्य है, जहां बीजेपी ने पहले कभी सरकार नहीं बनाई. लिहाजा इस बार बीजेपी पूरी ताकत से बंगाल की खाड़ी में टीएमसी के तूफान को रोकने की कोशिश करेंगे. बीजेपी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने बिहार नतीजों को देखने के बाद इशारा कर दिया कि बंगाल में मोदी ही उनके ट्रंपकार्ड होंगे.
बिहार में जिस तरह से मोदी फैक्टर ने खेल बदल दिया. बीजेपी उम्मीद करेगी कि बंगाल में भी पीएम मोदी का जादू चलेगा, इसकी तैयारियां पहले से हैं. नवरात्र में मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूजा पंडालों से जुड़े थे और बंगाल के अपने मिशन को पुख्ता करने की कोशिश की थी.
बंपर जीत के साथ सत्ता बरकरार
पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज.. बंगाल से सटे इन तीन जिलों में बीजेपी का प्रदर्शन ये बताता है कि बंगाल में जीत की संभावनाएं अच्छी हैं. इन तीनों जिलों में पर मुस्लिम वोटबैंक अच्छा खासा है फिर भी बीजेपी ने कमाल का प्रदर्शन किया है. तो क्या बिहार की यही तीन सीटें बंगाल में बीजेपी का रास्ता खोलेंगी. कुछ ऐसे ही समीकरण बंगाल की तमाम सीटों पर बनेंगे. ऐसे में अगर बीजेपी यहां धमाका कर सकती है तो फिर बंगाल में मुश्किल क्या है?
बंगाल फतह के लिए बीजेपी बीते 5 सालों से लगी हुई है. यहां तक कि बिहार चुनावों से ज्यादा अमित शाह बंगाल में जोर लगा रहे हैं बंगाल का किला ढहाना शाह का सबसे बड़ा चुनावी मिशन है. लेकिन क्या तेजस्वी और राहुल गांधी की जोड़ी की तरह ममता बनर्जी के मात देना बीजेपी के लिए इतना आसान होगा. क्योंकि ममता बनर्जी राजनीति की माहिर खिलाड़ी हैं.
मिशन बंगाल पूरा करने के लिए अमित शाह जहां लंच डिप्लोमैसी कर रहे हैं वहीं मोदी खुद को मां काली का भक्त बता रहे हैं. बंगाल में अमित शाह नए समीकरण बनाने में जुटे हैं. 6 नवंबर को जब शाह अपने दो दिन के दौरे पर बंगाल पहुंचे तो उन्होंने 180 से ज्यादा संस्थाओं के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. उन्होंने इस दौरान नए सामाजिक समीकरण बनाने पर जोर दिया, शाह ने बंगाल की जनता को सोनार बंगला का सपना भी दिखाया.
बिहार का मोदी-शाह को 'दिवाली गिफ्ट'
बिहार की ये जीत भाजपा के लिए दिवाली गिफ्ट से कम नहीं है, लेकिन सवाल ये है कि क्या बंगाल में सोनार बंगला का सपना इतनी आसानी से बीजेपी बेच पाएगी. क्या बिहार के समीकरण बंगाल में बीजेपी को जीत दिला पाएंगे? क्योंकि बिहार जरूर बंगाल से सटा है पर दोनों की सियासी जमीन में बहुत फर्क है. बंगाल में बीजेपी की सबसे मजबूत पकड़ 13 फीसदी हिंदी भाषी मतदाताओं पर है. जिनमें 8 फीसदी मतदाता यूपी और बिहार के हैं. पहले ये कांग्रेस के साथ थे और अब बीजेपी के साथ हैं.
लेकिन इन 13 फीसदी वोटरों को इतनी आसानी से ममता बनर्जी बीजेपी के खेमे में नहीं जाने देंगी. छठ पूजा में जिस तरह से हिंदी भाषी वोटरों को लुभाने के लिए उन्होंने हिंदी सेल को आगे किया था. उससे दीदी ने संकेत कर दिया है कि बंगाल में चुनावी जंग एक-एक वोट के लिए होगी और हर वो तरीका अपनाया जाएगा जो जीत दिला दे.
बिहार में ओवैसी का कमाल, किया ये धमाल
असदुद्दीन ओवैसी की छोटी सी पार्टी AIMIM ने बिहार में बड़ा कमाल किया है. ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में 5 सीटें जीत ली हैं. बिहार में अब तक के चुनावों में ओवैसी की पार्टी का ये सबसे अच्छा प्रदर्शन है. इस जीत से खुश ओवैसी ने अब बंगाल में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.
पिक- ओवैसी
वहीं बिहार चुनाव नतीजे पर NCP नेता माजिद मेमन का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि 'प्रधानमंत्री की कोशिशों को जनता ने आशीर्वाद दिया है. ममता के लिए बंगाल का चुनाव मुश्किल होगा. अब बीजेपी बंगाल पर कब्जा की कोशिश करेगी.'
पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिसके लिए अमित शाह 200 सीटों का टारगेट रख चुके हैं. साफ है बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के रण में बीजेपी अभी से जुट गई है. मिशन पश्चिम बंगाल की कमान खुद बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल ली है. इसका मतलब साफ है इस बार पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहे हैं और बिहार की जीत ने बीजेपी कार्यकर्ताओं में नया जोशा भर दिया है.
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