योगी के इन 3 काम से बीजेपी के लिए मजबूत हुआ यूपी चुनाव का रण, आस्था से विकास तक...

57 महीनों में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कौन-कौन से काम किए, जिनके दम पर वो एक बार फिर सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने की आस लगाए बैठे हैं. क्या सचमुच सरकार ने लोगों की आस्था का सम्मान किया और सनातन के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के कायाकल्प की नई कहानी लिखी? इस रिपोर्ट में जानिए..

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jan 5, 2022, 07:54 AM IST
  • सीएम योगी के लिए कितना आसान है यूपी का रण?
  • दोबारा सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने का रास्ता
योगी के इन 3 काम से बीजेपी के लिए मजबूत हुआ यूपी चुनाव का रण, आस्था से विकास तक...

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश चुनाव में माना जा रहा है कि इस बार समाजवादी पार्टी और भाजपा के बीच सीधी फाइट होगी. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने पांच सालों का ब्यौरा लेकर चुनावी रणभूमि पर डटे हैं, तो वहीं अखिलेश यादव भाजपा की खामियों को अपना हथियार बनाने में जुटे हैं.

यूपी में आस्था और विकास का कॉम्बो पैकेज?

यूपी की योगी सरकार के कामकाज पर यदि एक नजर डालें, तो इस सरकार ने लोगों की आस्था से जुड़े काम पर ही ज्यादा से ज्यादा जोर दिया. अयोध्या में राम मंदिर, काशी का विकास और प्रयागराज का महाकुंभ...

इस चुनाव में योगी सरकार के इन तीन काम को भाजपा भुनाने की पूरी कोशिश करेगी. आपको एक-एक करके उन तीन पहलुओं को समझना चाहिए, जो भाजपा और सीएम योगी के लिए उत्तर प्रदेश में वरदान साबित हो सकता है.

1). रामनगरी के कायाकल्प का संकल्प

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने धार्मिक स्थलों के कायाकल्प के महत्व को समझा. लोगों की आस्था के सम्मान के लिए उन्होंने सबसे पहले रामनगरी अयोध्या के कायाकल्प का संकल्प उठाया और कार्यकाल बीतने से पहले ही उसे पूरा करके भी दिखाया.

वो तारीख थी 5 अगस्त 2020... इसी दिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की नींव पड़ी. तो दूसरी तरफ राम नगरी के कायाकल्प की कहानी की शुरुआत हो गई.

अयोध्या में क्या-क्या बदला?

मुख्यमंत्री ने अयोध्या को धर्म के इंटरनेशनल सेंटर में तब्दील करने के लिए रामनगरी के इंस्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव पर फोकस किया. इसके लिए उन्होंने अयोध्या में कई बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी दी.

350 करोड़ की ‘नया अयोध्या’ टाउनशिप योजना जिसपर तेजी से काम चल रहा है. जबकि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डा भी निर्माणाधीन है. वहीं भगवान राम की 100 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाने को मंजूरी दी गई.

इसके अलावा 132 करोड़ की लागत वाले अयोध्या के स्मार्ट रेलवे स्टेशन का काम भी तेजी से चल रहा है. शहर में पार्किंग, बस अड्डा और विश्व स्तरीय अस्पताल के निर्माण का काम भी जारी है.

अयोध्या के विकास से रोजगार के नए-नए साधन भी तैयार हो रहे हैं. यानी नई अयोध्या का सपना करीब पूरा होने की कगार पर है, जबकि दूसरी तरफ अयोध्या में बीते कुछ सालों से जिस तरह भव्य दीपोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. उसपर तो पूरी दुनिया की नजर रहती है.

2). काशी में लिखी गई विकास की नई इबारत

वाराणसी पर सिर्फ सीएम योगी ही नहीं बल्कि पीएम मोदी ने भी विशेष ध्यान दिया. केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर कुछ इसी तरह वाराणसी में भी विकास की नई इबारत लिखी. काशीविश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण हो, या काशी के कायाकल्प की कहानी.

इसमें कोई शक नहीं है कि आज घाटों का शहर बनारस को एक नई पहचान मिल चुकी है. बनारस के घाटों की खूबसूरती बस देखती ही बनती है.

वाराणसी... दुनिया की सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक और सनातन सभ्यता का सबसे बड़ा शहर जहां कण-कण में भगवान भोलेनाथ बसते हैं. यहां की गलियों में अद्भुत-अकल्पनीय भारत बसता है, जिसे घाटों का शहर कहा जाता है.

कितनी अनमोल है काशी?

मोक्ष का धाम काशी सिर्फ उत्तर प्रदेश की विरासत नहीं है, बल्कि ये पूरे हिंदुस्तान की शान है. करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है. कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन काशी के कायाकल्प का ख्याल किसी के ज़ेहन में नहीं आया. ना ही किसी ने काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर मुड़कर देखा.

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काशी विश्वनाथ मंदिर- भगवान भोले के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, लेकिन काशी का ये मंदिर तंग गलियों के बीच फंसकर अपनी चमक खोता जा रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर इस मंदिर के कायाकल्प के लिए काशीविश्वनाथ कॉरिडोर की नींव पड़ी.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट

करीब 339 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना को 8 मार्च, 2019 को शुरू किया गया. 5 लाख वर्ग फीट के फैले कॉरिडोर के पहले चरण में 23 भवनों का उद्घाटन किया गया है.

इसमें यात्री सुविधा केंद्र, पर्यटक सुविधा केंद्र का निर्माण.. वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम जैसी तमाम सुविधाओं को जगह दी गई. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए मंदिर के आसपास 300 से अधिक संपत्तियों का अधिग्रहण किया गया.

वहीं 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों को खोज कर जीर्णोद्धार किया गया. आज काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के विस्तार से काशी को नई पहचान मिली है.

..और बदल गई काशी की पहचान

एक तरफ कॉरिडोर के जरिए सरकार ने आस्था का मान रखा, तो दूसरी तरफ वाराणसी के विकास के लिए कई विकास परियोजनाओं को धरातल पर उतारा गया.

वाराणसी में रिंग रोड का जाल बिछाया गया. बाबतपुर एयरपोर्ट से बनारस शहर तक नए हाईवे का निर्माण हुआ. वाराणसी-लखनऊ 4 लेन हाईवे बनाया गया. शहर में रूद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का निर्माण हुआ और महामना मालवीय कैंसर सेंटर अत्याधुनिक सुविधाओं वाला अस्पताल मिला.

ऐसी कई परियोजनाएं हैं, जिनके जरिए आज काशी की पहचान बदल चुकी है. सनातन सभ्यता के सबसे बड़े केंद्र को नई पहचान मिलने से आज वाराणसी शान से इठला रहा है. इसके जरिए लोगों के लिए रोजगार के साधन भी तैयार हो रहे हैं.

3). प्रयागराज कुंभ का भव्य आयोजन

साल 2019 में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सत्ता संभाले करीब दो साल का वक्त होने वाला था. ठीक उसी वक्त कुंभ आयोजन की चुनौती सामने आ खड़ी हुई.

चुनौती इसलिए क्योंकि जिस मेले में ब्रिटेन और फ्रांस की आबादी के बराबर श्रद्धालु पहुंचने हों, उनके लिए व्यवस्थाओं और संसाधनों की अस्थाई बुनियाद खड़ी करना आसान नहीं था. ना सिर्फ सफल कुंभ आयोजित हुआ, बल्कि तीन विश्वरिकॉर्ड भी बना दिए.

कुंभ में बने तीन-तीन विश्वरिकॉर्ड

प्रयागराज कुंभ के दौरान सीएम योगी ने एक साथ 510 शटल बसों का एक साथ संचलन कर विश्व रिकॉर्ड बनाया. जबकि इसी कुंभ के दौरान सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान भी चलाया गया. वहीं तीसरे रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है कुंभ के दौरान आयोजित सबसे बड़ा पेंटिंग अभ्यास... जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया.

करीब 4 हजार करोड़ के खर्च के साथ पूरा हुआ कुंभ का आयोजन योगी सरकार के नाम एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर दर्ज हो गया. जिसकी बाद में यूनेस्को ने भी तारीफ की.

अयोध्या, काशी, कुंभ के बाद अब मथुरा

कृष्ण नगरी मथुरा में भी सीएम योगी के देखरेख में कई सफल आयोजन कराकर कृष्ण भक्तों की आस्था का मान रखा गया. मथुरा में एक तरफ कृष्णोत्सव का सफल आयोजन किया गया. तो दूसरी तरफ बरसाने में रंगोत्सव के आयोजन ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा.

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, मथुरा को लेकर सियासत तेज होती जा रही है. सीएम योगी समेत भाजपा ने मथुरा पर कई वादें किए, तो वहीं अखिलेश यादव ने भी ये बोल दिया कि उनके सपने में भगवान श्रीकृष्ण आए थे और उन्होंने कहा है कि 2022 में तुम्हारी सरकार बनेगी.

चुनाव सिर पर है, सभी सियासी पार्टिया अपनी जोर आजमाइश में जुटी हुई हैं. तो वहीं इस बार चुनावी मैदान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने उन कार्यों को गिनाएंगे, जो लोगों की श्रद्धा और आस्था का मान रखते हुए बड़े धार्मिक स्थलों का विकास किया. देखना होगा कि सीएम योगी की दोबारा यूपी में वापसी होती है या फिर जनता उनके इन कामों को सिरे से खारिज कर देगी.

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