UP की कौनसी 10 सीटें NDA के लिए चुनौती, जो तोड़ सकती हैं मिशन-80 का सपना?

UP Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश में करीब 10 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जो BJP का 'मिशन-80' का सपना तोड़ सकती हैं. भाजपा को शत-प्रतिशत सीटें पाने के लिए इन 10 सीटों पर मिलने वाली कड़ी चुनौती को पार करना होगा.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Mar 14, 2024, 04:01 PM IST
  • 2019 में भाजपा ने यूपी में 62 सीटें जीती
  • इस बार BJP ने 80 सीटों का टारगेट रखा है
UP की कौनसी 10 सीटें NDA के लिए चुनौती, जो तोड़ सकती हैं मिशन-80 का सपना?

नई दिल्ली: UP Lok Sabha Election 2024: भाजपा ने इस बार के लोकसभा चुनाव में 370 सीटों का टारगेट रखा है. जबकि NDA के लिए कुल 400 सीटों का लक्ष्य तय किया है. लोकसभा चुनाव के लिहाज से उत्तर प्रदेश काफी अहम राज्य है. ऐसा कहा जाता है कि जो यूपी जीतता है, वही देश जीतता है. इस बार भाजपा ने यूपी में शत प्रतिशत सीटें लाने की बात कही है, इसे 'मिशन -80' नाम दिया गया है. 

राह में 10 सीटें बनीं रोड़ा
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA ने उत्तर प्रदेश में 80 में से 62 सीटें जीती थीं. तब कई सीटें ऐसी थीं जहां पर NDA अपना परचम नहीं फहरा पाया था. इस बार भी भाजपा के लिए कम चुनौती नहीं है. करीब 10 सीटें ऐसी हैं, जहां पर NDA की राह काफी मुश्किल है. माना जा रहा है कि NDA ये 10 सीटें जीत गया तो मिशन 80 का सपना पूरा हो सकता है. 

1. बलिया: इस सीट से वर्तमान में भाजपा के वीरेंद्र सिंह सांसद हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में वीरेंद सिंह ने समाजवादी पार्टी के सनातन पांडे को 15,519 वोटों से हराया था. यह मार्जिन काफी छोटा है. इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से 3 पर सपा का कब्जा है. एक पर सुभसपा के प्रमुख ओपी राजभर विधायक हैं.   

2. मैनपुरी: ये सीट सपा का गढ़ रही है. पहले यहां से समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव सांसद हुआ करते थे. उनके निधन के बाद डिंपल यादव यहां से सांसद बनीं. डिंपल ने भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य को 2.88 लोख वोटों से हराया था. डिंपल फिर इस सीट से प्रत्याशी हैं.

3. रायबरेली: यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. पहले यहां से इंदिरा गांधी लोकसभा जाया करती थीं. इसके बाद सोनिया गांधी इस सीट से सोनिया गांधी 5 बार सांसद रहीं. अब सोनिया गांधी राज्यसभा जा चुकी हैं. इस सीट से प्रियंका गांधी चुनाव लड़ती हैं तो भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती हैं.

 4. मछली शहर: इस सीट को भाजपा ने 2019 में बेहद छोटे मार्जिन से चुनाव जीता था. भाजपा के भोलानाथ बीपी सरोज ने इस सीट पर महज 181 वोटों से चुनाव जीता था. बसपा के त्रिभुवन राम इस सीट पर दूसरे स्थान पर रहे. 

5. फिरोजाबाद: यह सपा की परंपरागत सीट रही है. 2019 में शिवपाल सपा से अलग होकर यहां से चुनाव लड़ा था. इस सीट पर हार-जीत का अंतर 28781 वोटों का ही रहा. भाजपा के डॉ. चंद्र सेन जादौन ने यहां से जीत दर्ज की थी.

6. कन्नौज: इस सीट से पिछली बार अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव 12353 वोटों से चुनाव हार गई थीं. यहां से सुब्रत पाठक जीते थे. तब शिवपाल यादव सपा से अलग हुआ करते थे. इस बार इस सीट पर सपा भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है. 

7. आजमगढ़: इस सीट से सपा कई बार जीत चुकी है. लेकिन 2019 में यहां से भाजपा ने भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव (निरहुआ) को टिकट दिया और वे चुनाव जीत गए. इस बार इस सीट से सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुद चुनाव लड़ते हैं तो चुनौती पेश कर सकते हैं. 

8. मेरठ: मेरठ संसदीय सीट से 2019 में भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल ने जीत दर्ज की. लेकिन बसपा के हाजी याकूब केवल 4729 वोटों से ही हारे थे. बीते तीन चुनाव से यहां की जनता अलग-अलग पार्टियों को जितवा रही है.

9. बदायूं: यह सीट भी सपा का मजबूत किला मानी जाती थी. 1996 से 2014 तक यहां से सपा जीत रही है. लेकिन 2019 में भाजपा के संघमित्र मौर्य ने यहां से जीत दर्ज की. इस बार सपा ने यहां से शिवपाल यादव को उतारा है. क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में से 3 पर सपा का कब्जा है और 2 पर भाजपा का. 

10. अमेठी: यह देश की सबसे हॉट सीटों में से एक है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने बड़ा उलटफेर करते हुए कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को हराया था. स्मृति 55120 वोटों से जीती थीं. 199 से 2014 तक कांग्रेस यहां से लगातार जीत रही थी. इस बार राहुल गांधी यहां से प्रत्याशी होंगे तो भाजपा से कड़ा मुकाबला होगा. 

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