नई दिल्ली: Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन फाइनल हो गया है. कांग्रेस अपने इतिहास की सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इंडिया गठबंधन के बाकी दलों के लिए कांग्रेस ने इस बार कई सीटें छोड़ दी हैं. यही कारण है कि कभी 529 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस इस बार महज 330-340 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारेगी.
पहली बार इतनी कम सीटों पर प्रत्याशी
आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस 400 सीटों से कम पर चुनाव लड़ेगी. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कांग्रेस ने अब तक 260 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस 330 से 340 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. इससे पहले कांग्रेस ने 2004 के चुनाव में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ा, तब पार्टी ने 417 सीटों पर ही प्रत्याशी घोषित किए थे.
1998 में कांग्रेस ने स्स्बसे अधिक सीटों पर लड़ा चुनाव
1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे. उस दौरान पार्टी ने बेहद कम सीटों पर गठबंधन किया और अपने दमपर बहुमत पाने के लिए करीब 529 सीटों पर चुनाव लड़ा. लेकिन ये स्ट्रेटेजी बूरी तरह फेल हुई. कांग्रेस 141 सीटों पर ही चुनाव जीत पाई. नतीजा ये रहा कि भाजपा ने गठबंधन कर देश में सरकार बना ली.
मजबूरी या त्याग?
कांग्रेस ने सीटों का त्याग कर दिया है या मजबूरी में इतनी ही सीटों पर लड़ना पड़ रहा है? इस सवाल का जवाब 2014 और 2019 के रिजल्ट में दिखता है. इसे आप यूपी के उदाहरण से समझ सकते हैं. 2014 में कांग्रेस ने यूपी में दो ही सीटें जीतीं, अमेठी और रायबरेली. कांग्रेस का कुल वोट प्रतिशत 7.53% था. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यहां एक ही सीट जीत पाई. इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 403 में से 2 ही सीट जीत पाई. वोट प्रतिशत 2.33% ही रहा. लिहाजा, इस बार अपना परफॉर्मेंस सुधारने के लिए कांग्रेस ने सपा से गठबंधन किया, अब पार्टी 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी.
यूपी में क्षेत्रीय दलों का भी दबदबा है. लेकिन राजस्थान में क्षेत्रीय दल कुछ खास मजबूत नहीं हैं, फिर भी कांग्रेस ने यहां 2 सीटों पर गठबंधन किया. एक सीट RLP को दी है, जबकि एक सीट पर BAP के उम्मीदवार को समर्थन दिया है. इसके पीछे की वजह यह है कि बीते दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का यहां खाता भी नहीं खुला, इस बार पार्टी हार की हैट्रिक नहीं लगाना चाहती. बीते दो चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन रहने के बाद कांग्रेस ने मजबूरी में सहयोगी दलों को सीटें देने का फैसला किया है.
पहले ही मिल चुके थे संकेत
2023 में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने हार की समीक्षा के लिए जनवरी, 2024 में एक मीटिंग बुलाई. इस मीटिंग में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया था कि हमें कुछ सीटों पर गठबंधन कर लेना चाहिए था. खड़गे ने कहा था कि बड़े हित को साधने के लिए छोटे हित को छोड़ना पड़ता है. तब माना गया कि कांग्रेस इस बार के लोकसभा चुनाव में छोटे दलों को ठीक-ठाक सीटें दे सकती है.
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