पटना: बिहार में पांच दिन पहले चुनावी नतीजों में एनडीए ने बाजी मारी तो डिप्टी सीएम और नीतीश के जोड़ीदार सुशील मोदी के चेहरे की चमक देखते बन रही थी.चुनावी जीत के बाद मीडिया में सबसे पहले आकर उन्होंने नीतीश को बधाई दी. इस बधाई के मायने सियासत के गलियारों में भी साफ थे, जहां नीतीश और सुशील मोदी की जोड़ी को सचिन-सहवाग की तरह देखा जाता है. यानी नीतीश सीएम बने तो डिप्टी सीएम तो सुशील मोदी ही होंगे. इसी उम्मीद के साथ सुशील मोदी ने दीवाली पर दिल्ली में ही डेरा भी डाल रखा था. लेकिन आखिरी वक्त पर उनका ये भरम टूट गया.
शपथ ग्रहण का महासंग्राम !
रविवार को एनडीए के विधायक मंडल की बैठक में नीतीश नेता चुने गए, बतौर सीएम उनके नाम का एलान हुआ. लेकिन डिप्टी सीएम के सवाल को दिल्ली से पटना पहुंचे राजनाथ भी टाल गए। सुशील मोदी राजनाथ के ही साथ थे, जब मीडिया ने सवाल किया कि बिहार का डिप्टी सीएम कौन बनेगा. सुशील मोदी चुपचाप थे और राजनाथ की जुबां पर भी बस यही आया कि वक्त पर सबकुछ साफ हो जायेगा.
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बधाई के बाद डिप्टी सीएम का पत्ता कैसे कटा ?
राजनाथ का ये बयान जिस वक्त आया था, उससे पहले केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ट्वीट कर सुशील मोदी को बिहार का डिप्टी सीएम चुने जाने की बधाई दे चुके थे. उन्होंने ट्वीट में लिखा था की आप दोनों के व्यापक अनुभव का लाभ पीएम मोदी को आत्म निर्भर बिहार के संकल्प को पूरा करने में मिलेगा. ऐसे में सवाल ये था कि सुशील मोदी से डिप्टी सीएम की कुर्सी क्या आखिरी पल में छिनी है?
पिछली तीन सरकारों में सुशील मोदी सदन में बीजेपी दल के नेता रहे थे. इस बार बीजेपी विधायक मंडल ने कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद को नेता चुना और बेतिया से विधायक रेणु देवी को उपनेता. दोनों के डिप्टी सीएम बनने की अटकलें तेज हो रही थीं. सुशील मोदी ने तारकिशोर प्रसाद को ट्वीट कर बधाई दी..लेकिन उनके दूसरे ही ट्वीट में अपना पत्ता कटने का मलाल भी साफ दिख रहा था जिसकी आखिरी लाइन थी कि मुझसे कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता। सुशील मोदी की ये प्रतिक्रिया तब आई थी, जब उनके मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने की खबरें साथ-साथ गरमा रही थीं.
'राज्यसभा' के दांव से नीतीश-चिराग दोनों का हिसाब!
सुशील मोदी के ट्वीट पर डैमेज कंट्रोल के लिये तुरंत केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया. लिखा- आदरणीय सुशील जी आप नेता हैं, उप मुख्यमंत्री का पद आपके पास था, आगे भी आप भाजपा के नेता रहेंगे, पद से कोई छोटा बड़ा नहीं होता.' जाहिर है ये पार्टी की ओर से सुशील मोदी को मनाने की कवायद थी, जिसे सार्वजनिक होने से बचाने की कोशिश की जा रही थी.
नीतीश चाह रहे थे कि सुशील मोदी और उनकी जोड़ी नई सरकार में बनी रहे, माना जा रहा है बीजेपी ने इसे खारिज कर दिया है और सुशील मोदी को रामविलास के निधन से खाली सीट पर राज्यसभा भेजकर मोदी सरकार में मंत्री बनाने की तैयारी कर ली है. सुशील मोदी का नीतीश प्रेम उनकी पार्टी जानती है. नीतीश को पीएम मेटेरियल बताने का उनका बयान बीजेपी कार्यकर्ताओं को चुभता रहा है. ऐसे में सुशील मोदी को सूबे की राजनीति से हटाकर बीजेपी ने साफ इशारा कर दिया है कि बिहार में सत्ता की सियासत अब नये बिग ब्रदर के मुताबिक चलेगी और नीतीश बीजेपी के 'आग्रह' तक सरकार के मुखिया रह पाएंगे.
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