पहला चुनाव ही हार गई थीं वसुंधरा राजे, लोग बोले- भाई माधवराव सिंधिया जिम्मेदार!

Vasundhara Raje First Election: वसुंधरा राजे अपना पहला लोकसभा चुनाव हार गई थीं. वसुंधरा ने साल 1984 के लोकसभा चुनाव में भिंड-दतिया लोकसभा सीट से अपना चुनावी डेब्यू किया था. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Apr 11, 2024, 05:32 PM IST
  • 1984 में लड़ा पहला लोकसभा चुनाव
  • भाई माधवराव ने सामने उतारा प्रत्याशी
पहला चुनाव ही हार गई थीं वसुंधरा राजे, लोग बोले- भाई माधवराव सिंधिया जिम्मेदार!

नई दिल्ली: Vasundhara Raje First Election: साल 1984 का लोकसभा चुनाव सहानुभूति लहर वाला था. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी के चेहरे पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा. माहौल कांग्रेस के पक्ष में था. इसी चुनाव में भाजपा की संस्थापक रहीं राजमाता विजया राजे सिंधिया ने अपनी बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया का पॉलिटिकल डेब्यू किया. 

भिंड-दतिया लोकसभा सीट से उतरीं
विजया राजे सिंधिया ने वसुंधरा को मध्य प्रदेश की भिंड-दतिया लोकसभा सीट से भाजपा का टिकट दिलाया. इसी सीट से राजमाता 1971 के लोकसभा चुनाव में जीत चुकी थीं. यह ग्वालियर राजघराने के प्रभाव वाला इलाका माना जाता था. इसलिए वे पूरी तरह आश्वस्त थीं कि जैसे यहां की जनता ने उन्हें वोट दिया, वैसा ही समर्थन उनकी बड़ी बेटी वसुंधरा को भी मिलेगा. 

भाई माधवराव Vs मां विजया राजे
तब तक राजमाता के बेटे और वसुंधरा के भाई माधवराव सिंधिया कांग्रेस में जा चुके थे. कांग्रेस ने वसुंधरा को हराने की जिम्मेदारी माधवराव को ही दी. माधवराव ने अपनी बहन के खिलाफ दतिया राजघराने के कृष्ण सिंह जूदेव को कांग्रेस की टिकट पर मैदान में उतारा. जूदेव और वसुंधरा, दोनों का ही राजनीतिक अनुभव नहीं था. लेकिन वसुंधरा के परिवार का पॉलिटिक्स में बैकग्राउंड मजबूत था. लिहाजा, ये माना गया कि वसुंधरा आसानी से चुनाव जीत जाएंगी. 

जब रो पड़े प्रत्याशी
माधवराव सिंधिया ने कृष्ण सिंह जूदेव की ओर से चुनावी मैनेजमेंट संभाला. जबकि वसुंधरा के चुनाव को राजमाता सिंधिया मैनेज कर रही थीं. मां- बेटे की तकरार लोगों के लिए नई नहीं थी. इधर, कृष्ण सिंह जूदेव ने वोटर्स से भावुक अपील करना शुरू कर दी. जूदेव कहने लगे कि मैं पहली बार चुनाव लड़ रहा हूं. दतिया राजघराने का सम्मान आपके (वोटर्स) हाथों में है. 

क्या रहे चुनाव के नतीजे?
कृष्ण सिंह जूदेव की अपील काम कर गई. माधवराव सिंधिया के चुनावी मैनेजमेंट ने बहन वसुंधरा को चुनाव हरा दिया. कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह जूदेव को 1.19 लाख वोट मिले. जबकि भाजपा प्रत्याशी वसुंधरा राजे को 1.06 लाख वोट ही मिले. राजे जूदेव से 87 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गईं. इस हार का जिम्मेदार लोगों ने माधवराव सिंधिया को बताया. हालांकि, आगे जाकर वे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री बनीं. फिलहाल वसुंधरा राजे भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. राजे के बेटे दुष्यंत सिंह राजस्थान की झालावाड़ सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं.

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