परिवार में विरासत की जंग जीतकर आज सीएम बनने जा रहे स्टालिन, जानिए कैसा रहा राजनीतिक सफर

सीएम बनने जा रहे स्टालिन दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के तीसरे बेटे हैं. इसलिए राजनीति तो उनको विरासत में मिल गई, लेकिन इस विरासती सियासत में अपना निजी विश्वास बना पाने का रास्ता कठिन था. राजनीति में उनका ये सफर इतना भी आसान नहीं रहा है.

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : May 2, 2021, 02:11 PM IST
  • 1 मार्च 1953 (68) को चेन्नई में जन्मे एमके स्टालिन
  • सिने जगत का चेहरा रहे स्टालिन आज बनेंगे सीएम
परिवार में विरासत की जंग जीतकर आज सीएम बनने जा रहे स्टालिन, जानिए कैसा रहा राजनीतिक सफर

नई दिल्लीः यह पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों की मतगणना की दोपहर है. जहां एक ओर पं. बंगाल में दीदी का किले में भाजपा की सेंधमारी पर नजर है तो इसी बीच कैमरे का एंगल घूम कर दक्षिण दिशा का रुख कर लेता है.

यहां दिखाई देते हैं तमिलनाडु में बने मतगणना केंद्र और उनके बाहर स्टालिन समर्थकों के चेहरों पर धीरे-धीरे चौड़ी होती जाती मुस्कान. 

एमके स्टालिन का दिलचस्प करियर
एमके स्टालिन... यानी मुथुवेल करुणानिधि स्टालिन. दशकों (52 साल) के बाद जयललिता और करुणानिधि और अन्य किसी राजनीतिक सितारे के बिना हो रहे तमिलनाडु चुनावों में स्टालिन हीरो वाली इमेज के साथ उभर कर आए हैं. द्रमुक के चीफ एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन भी मैदान में हैं.

उम्मीद की जा रही है कि चेन्नई सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र में आने वाली चेपॉक-थिरुवल्लीकेनी पर उदयनिधि अपना परचम लहराएंगे. अगर ऐसा होता है तो द्रमुक की कमान संभालने वाले करुणानिधि के परिवार की अगली पीढ़ी सियासत में सफल कदम के साथ शुरुआत करेगी. 

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चेपॉक-थिरुवल्लीकेनी सीट पर है नजर
खुद करुणानिधि इस सीट से कई बार विधायक रहे हैं तो उदयनिधि के यहां से प्रत्याशी बनके ही चेपॉक सीट फिर से चर्चा में है. खैर, अभी हमारी नजर एमके स्टालिन के सियासी सफर पर टिकी हुई है.

उदयनिधि की यूं इस तरह बीच में बात करने जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि पिता-पुत्र में एक बात कॉमन है. दोनों ने ही बतौर करियर पहले सिनेमा को चुना था. राजनीति उनका दूसरा पड़ाव है. 

सीएम बनेंगे एमके स्टालिन
सीएम बनने जा रहे स्टालिन दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के तीसरे बेटे हैं. इसलिए राजनीति तो उनको विरासत में मिल गई, लेकिन इस विरासती सियासत में अपना निजी विश्वास बना पाने का रास्ता कठिन था. राजनीति में उनका ये सफर इतना भी आसान नहीं रहा है.

इस विश्वास वाले मुकाम को हासिल करने के लिए उन्हें अपने ही सौतेले भाई एमके अलागिरी से मुकाबला करना पड़ा था. हालांकि इस पारिवारिक जंग में DMK को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. नतीजा, हर पांच साल में अपना निजाम बदल देने वाले तमिलनाडु ने पिछले चुनाव में ऐसा नहीं किया. लिहाजा AIDMK लगातार 10 साल सत्ता में बैठी रही. 

सिने जगत का भी चेहरा रहे स्टालिन
4 दशक पीछे चलें तो 1980 का दौर आता है. हालांकि वह 14 साल की उम्र से प्रचार करने लगे थे, इसलिए इसी दौर को उनको सक्रिय प्रवेश माना जाता है. स्टालिन ने तमिल फिल्मों में काम किया है. 1990 के दशक में उन्होंने सन टीवी के टेलीविजन धारावाहिकों में भी काम किया है.

चेन्नई में मद्रास विश्वविद्यालय के नंदनम आर्ट्स कॉलेज से इतिहास में अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने वाले स्टालिन करुणानिधि की सरकार में वे ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन राजनीति में उनकी सक्रिय शुरुआत 1973 से शुरू हुई. 

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राजनीति में ऐसे हुई शुरुआत
1973 में स्टालिन को द्रविड़ मुनेत्र कझगम (DMK) की आम समिति में चुना गया. इसके बाद देश में आपातकाल लगा और इसका विरोध करने पर उन्हें मीसा के तहत जेल में डाल दिया गया. स्टालिन 1989 के बाद से तमिलनाडु विधानसभा के लिए चेन्नई के थाउजेंड लाइट्स निर्वाचन क्षेत्र से चार बार चुने गए हैं.

जबकि इसी शहर ने 1996 में मेयर बनाया था. 2001 में स्टालिन एक बार फिर से मेयर चुने गए, लेकिन बाद में फ्लाईओवर घोटाले के आरोप में उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था. अपनी पिछली दो जीत के साथ डीएमके नेता हैट्रिक की उम्मीद कर रहे हैं. 2011 के विधानसभा चुनावों से पहले स्टालिन थाउजेण्ड लाइट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते थे.

जानिए एमके स्टालिन के बारे में खास बातें
साल 1996 में चेन्नई के 37वें मेयर बने थे.
साल 2009 में तमिलनाडु के पहले डिप्टी सीएम बने थे. 2009 से 2011 तक वो इस पद पर रहे थे. 
68 वर्षीय स्टालिन 9वीं बार विधानसभा का चुनाव लड़े हैं. इस बार उनकी जीत लगातार छठी और कुल सातवीं जीत होगी.

1984 में स्टालिन पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरे थे तब उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था.
साल 2016 से स्टालिन तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में काम कर रहे हैं.
साल 2016 से स्टालिन तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में काम कर रहे हैं. 

1976 में आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शन किया था और जेल गए थे. तब स्टालिन ने पहली बार सुर्खियों में आए थे. 
उन्होंने बीए की अंतिम वर्ष की परीक्षा जेल में रहते हुए पास की थी.
3 जनवरी 2013 को करुणानिधि ने स्टालिन को आधिकारिक तौर पर अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था.

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