जब लाखों लोगों के चाहने के बाद भी बिल्कुल अकेली थीं आशा पारेख

आज बॉलीवुड अभिनेत्री आशा पारेख का जन्मदिन है. दुनिया भर में रहने वाले उनके फैंस आज एक्ट्रेस को शुभकामनाएं भेजने के साथ ही याद कर रहे हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 2, 2021, 08:41 AM IST
  • आशा पारेख ने संघर्ष से सफलता हासिल की
  • आशा के किरदार में उनके स्वाभाव का असर दिखता था
जब लाखों लोगों के चाहने के बाद भी बिल्कुल अकेली थीं आशा पारेख

नई दिल्ली: 1960 और 70 के दशक में हिंदी फिल्मों के पर्दे पर राज करने वाली अभिनेत्रियों में एक नाम आशा पारेख (Asha Parekh) का है. आशा पारेख के चुलबुले अंदाज और ग्लैमरस किरदारों के बिना इस दौर की फिल्मों की कल्पना करना बेहद मुश्किल है.

हम जानते हैं कि सिनेमा समय, समाज और तकनीक के साथ बदलता है. फिल्मों में एंट्री करने वाले हर कलाकार अपने अंदाज से लोगों के दिलों पर राज करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कुछ ही कलाकार इस संघर्ष में सफलता हासिल कर पाते हैं. आशा पारेख अभिनय के उन्हीं चंद सितारों में शामिल हैं, जो भारतीय सिनेमा के आकाश में हमेशा जगमगाता रहेगा.

कई लोग आशा पारेख की जिंदगी को आदर्श मानते थे- सुंदर चेहरा, प्रतिभा की धनी, दुनिया भर में लाखों चाहने वाले फैंस. बाहर से हर चीज ऐसी थी जिसके लिए लोग दुआएं मांगा करते हैं. लेकिन क्या आशा पारेख वाकई खुश थीं और वह सफलता के इस मुकाम पर पहुंचकर खुशी जीवन बिता रही थीं?

आज आशा पारेख का जन्मदिन (Asha Parekh Birthday) है, ऐसे में हम अभिनेत्री को याद कर इन सवालों के जवाब को जानने की कोशिश करते हैं. 

चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर करियर की शुरुआत
2 अक्टूबर 1942 में पैदा होने वाली आशा ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट 'आसमान' फिल्म से अपने करियर की शुरूआत की. फिल्म में अपने करियर को स्टार्ट करते समय आशा पारेख ने शायद ही सोचा होगा कि एक दिन वह सफलता के उस मुकाम पर पहुंच जाएंगी, जहां बड़े से बड़े एक्टर उनके साथ फिल्म करने को इच्छुक हों लेकिन उनके पास ही समय न हो. ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ जब वह अमिताभ से लेकर सत्यजीत रे तक के फिल्मों को साइन नहीं कर पाई थीं.

मुस्कुराते रहने वाली आशा बेहद अकेली थीं 
फिल्मी पर्दे से लेकर पर्सनल लाइफ में लोगों से मुस्कुराकर मिलने वाली एक्ट्रेश आशा पारेख भले ही हर किसी से कहती हों कि उन्हें शादी नहीं करने का अफसोस नहीं है. लेकिन, सच्चाई तो यह है कि आशा पारेख को एक शादी-शुदा इंसान से प्यार हुआ और वह अपने रिश्ते को किसी मुकाम तक पहुंचाने में असफल रहीं. आशा ने अपने प्यार के पवित्र अहसासों के साथ ही जीवन भर अकेले रहने का फैसला किया. आज भी आशा को अपने इस फैसले पर जरा भी दुख या मलाल नहीं है.

हर तरह के किरदार निभाकर खुद को किया साबित
सिनेमा में अपने सफर की शुरूआत में आशा पारेख चुलबुली लड़की के किरदारों में ज्यादा नजर आती हैं. एक साक्षात्कार में वो बताती हैं कि शुरूआत में उनके किरदारों पर उनके अपने स्वभाव का काफी असर था. वह घर में किसी टॉम ब्वॉय लड़की की तरह रहती थीं और फिल्मों में भी उसी तरह के रोल प्ले करना आशा को पसंद था. वह ये बात मानने में बिल्कुल नहीं हिचकिचाती हैं कि शुरूआत में उनके किरदारों में परफॉर्मेंस का ज्यादा स्कोप नहीं था. हालांकि 'दो बदन', 'चिराग' और 'कटी पतंग' जैसी फिल्मों में सिरीयस रोल प्ले कर उन्होंने साबित कर दिया कि वह किसी भी तरह के अभिनय को करने में सक्षम हैं.

'शादी न करने का नहीं कोई अफसोस'
आशा पारेख की शम्मी कपूर के साथ की गई फिल्म 'दिल देके देखो' के बाद न सिर्फ उनके सिनेमा के सफर ने बड़ी करवट ली बल्कि इस फिल्म ने उनकी व्यक्तिगत जिंदगी पर भी गहरा असर डाला. फिल्म के निर्देशक नासिर हुसैन के रूप में आशा को न सिर्फ एक अच्छा निर्देशक बल्कि एक अच्छा दोस्त भी मिल गया. इसके बाद नासिर की एक के बाद एक 6 फिल्मों में आशा ने काम किया. इस दौरान आशा पारेख और डायरेक्टर नासिर हुसैन के रिलेशनशिप में होने के भी काफी चर्चे चले थे. हालांकि, नासिर शादीशुदा थे तो इस वजह से यह रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं टिक पाया.  अपनी बायोग्राफी 'द हिट गर्ल' में इसका जिक्र करते हुए आशा ने कहा, 'नासिर हुसैन इकलौते ऐसे आदमी हैं जिनसे मैंने प्यार किया था, इसलिए मैंने उन्हें अपनी बायोपिक में जगह दी.' आशा पारेख ने शादी को लेकर एक साक्षात्कार में कहा है कि वह शादी न करके खुश हैं और उन्हें इस बात का कोई अफसोस भी नहीं है.

सीबीएफसी में निभाई अहम भूमिका
आशा ने बाद के दिनों में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के चीफ पद की जिम्मेदारी भी संभाली. इस पद पर रहते हुए भी आशा पारेख विवादों में बनी रहीं. आशा पारेख ने 1998 से 2001 तक सीबीएफसी चेयरमैन पद पर रहते हुए फिल्मों को लेकर कई अहम फैसले लिए. बैंडिट क्वीन फिल्म की सेंसरशिप को लेकर शेखर कपूर से उनकी खूब तनातनी चली. अभी हाल में एक फिल्म को लेकर पहलाज निहलानी के विवाद में आने पर आशा ने साक्षात्कार में कहा था कि किसी पद पर बैठे व्यक्ति को कुछ नियमों का पालन करना होता है जो जरूरी है.

सत्यजीत रे के साथ काम न कर पाने का रहा अफसोस
अपनी किताब में आशा पारेख ने सत्यजीत रे के साथ काम न कर पाने पर भी अफसोस जाहिर किया है.  'द हिट गर्ल' किताब के मुताबिक, सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म कंचनजंगा के लिए आशा पारेख से मुंबई में मुलाकात की थी, लेकिन उस समय दूसरे प्रोजेक्टस में व्यस्त होने के कारण वो फिल्म नहीं कर पाई थीं. 

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