नई दिल्ली: नेपाल के राजनैतिक परिवार में पैदा हुई एक आम लड़की जिसने बॉलीवुड पर राज करने का सपना देखा. उसे खुद भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि एक दिन उसका सपना पूरा होगा. मणि रत्नम की 'बॉम्बे' में सादगी से भरी और 'दिल से' फिल्म में एक दम अजनबी पत्थर सी कठोर दिखने वाली मनीषा कोइराला (Manisha Koirala) 90 के दशक की बॉलीवुड क्वीन थीं. उन पर फिल्माए ज्यादातर गाने हिट हुए लेकिन एक ऐसा गाना है जिससे हमेशा मनीषा को याद रखा जाएगा. उस गाने को फिल्म में जबरदस्ती डाला गया था. उस गाने के बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है.
'1942 अ लव स्टोर'
15 अप्रैल 1994 में फिल्म '1942-अ लव स्टोरी' पर्दे पर आई. फिल्म ब्रिटिश काल में भारत में मची उथल-पुथल पर आधारित थी. इसी उतार-चढ़ाव में दो किरदारों के बीच एक लव स्टोरी पल रही थी. 90 के दशक में फिल्मों से ज्यादा उनके गाने हिट हो रहे थे. लोग गानों और सिंगर्स पर जमकर प्यार लूटा रहे थे. ऐसा ही कुछ इस फिल्म के गानों के साथ हुआ. इस फिल्म के गानों को संगीत दिया था आर डी बर्मन ने. ये उनकी बतौर संगीतकार आखिरी एल्बम थी. इसका हर गाना अपने आप में यादगार था.
जब फिल्म में जबरदस्ती घुसाया गया गाना
फिल्म के निर्माता निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने गाने लिखने के लिए जावेद अख्तर को स्क्रिप्ट सुनाई. जावेद अख्तर उस दौर में अच्छी स्क्रिप्ट भी लिखा करते थे इसलिए उन्होंने एक सीन के बाद गाना डालने की राय विधु विनोद चोपड़ा को दी. जावेद अख्तर के अनुसार हीरो जिस सीन में हीरोइन को ढूंढता है वहां कोई गाना होना चाहिए. बजट में कमी के चलते विधु विनोद ने इस एक्सपेरिमेंट के लिए मना कर दिया.
जावेद नहीं माने वो उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गए उन्हें जहां भी देखते याद करवाते. आखिर में विधु विनोद इतना परेशान हो गए कि पीछा छुड़ाने के लिए बोले 'ठीक है! चलिए आप गाना लिखिए फिर देखते हैं'.
जब जावेद टालने लगे गाना
कुछ दिनों बाद फिल्म को लेकर एक दूसरी मीटिंग हुई. जावेद अख्तर ने कोई गाना नहीं लिखा था. वो सोच रहे थे कि विधु विनोद को कहां ही कुछ याद रहेगा. मीटिंग आर डी बर्मन के साथ थी. इस दौरान विधु विनोद जावेद से पूछते हैं आपने गाना लिखा. जावेद का भेद खुल जाता इस बात को जानते हुए वो बड़ी चतुराई से बोले 'मैंने सोचा आप इंटरेस्टेड नहीं है तो क्या ही गीत लिखूं. वरना मैं तो ऐसा कुछ सोच रहा था - एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा'. बर्मन साहब ने सुनते ही बोला 'अरे वाह! लिखो इस गाने को तुरंत'. ये गाना अभी चाहिए. जावेद अख्तर ने तो ऐसे ही हवा में तीर मार दिया था पर अब गाना बनाने की जिम्मेदारी उन पर आ गिरी.
बर्मन दा ने दिया सुझाव
अगर आपने गाने को ध्यान से सुना है तो आपने जरूर नोटिस किया होगा कि हर लाइन में प्रेमिका को किसी न किसी खूबसूरत चीज के साथ जोड़ा जाता है. जैसे 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे खिलता गुलाब, जैसे शायर का ख्वाब जैसे उजली किरण जैसे बन में हिरन, जैसे मंदिर में हो एक जलता दीया...' ये लाइंस बर्मन दा को बेहद भाई. वो जावेद से पूरे गाने में ये फील बरकरार रखने के लिए कह गए.
उन्होंने साफ कह दिया कि हर लाइन में एक उपमा होनी चाहिए. जावेद अख्तर ने भी बोला कि पहले आप म्यूजिक तो बना लीजिए. बर्मन दा बोले 'अरे! धुन तो बना ली है मैंने, ये सुनो' और बजाने लगे.
पूरे दो दिनों में बना ये गाना
इस गाने को बनने में दो दिन लग गए. पूरे गाने में लड़की के लिए 21 उपमाओं का प्रयोग किया गया. जहां मेहबूबा को लेकर चांद, शराब, गुलाब, हुस्न जैसे कई शब्दों का इस्तेमाल गानों में किया जा चुका था. इस गाने ने प्रेम और प्रेमिका के बीच की परिभाषा ही बदल दी. जब पर्दे पर मनीषा कोइराला को फिल्माया गया तो मानो कोई परी धरती पर उतर आई हो जिसके लिए सिर्फ एक गाना क्या, आदमी पूरी कायनात नाम कर दे.
मनीषा कोइराला की लाइफ का सबसे जरूरी हिस्सा रहा ये गाना जब भी कोई देखेगा तो उसे 24 साल की खबसूरत हसीना दिखाई देगी. भले ही आज मनीषा 52 साल की हो गई हैं लेकिन उन्हें आज भी लोग उतना ही प्यार करते हैं. उम्मीद है कि उनके चाहने वाले आज उनके जन्मदिन पर यही गाना गुनगुनाएंगे कि "एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा."
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