नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का जन्म 20 जुलाई को 1950 में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में हुआ था. नसीरुद्दीन अपने अभिनय के साथ-साथ बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. एक्टर अक्सर देश में चल रहे मुद्दों पर खुलकर अपनी राय व्यक्त करते हैं. इस लेख में हम आपको एक्टर के दादा की लाइफ से जुड़े किस्से के बारे में बताएंगे. इन किस्से का जिक्र एक्टर ने खुद अपनी बायोग्राफी 'और एक दिन' में किया है. जिसे पढ़ आपको हैरानी होगी. चलिए बिना किसी देरी के जानते हैं कि कैसे अंग्रेजी हुकूमत ने उनके दादा को मेरठ की जागीर सौंपी थी.
अफगानिस्तान के रहने वाले थे एक्टर के दादा
नसीरुद्दीन की बायोग्राफी को आए हुए कई साल हो चुके हैं. एक्टर के जन्मदिन पर उनकी बायोग्राफी के कुछ पन्नों को दोबारा पलटते हैं. अभिनेता ने अपनी बायोग्राफी में लिखा है कि उनके दादा आगा सैय्यद मोहम्मद शाह अफगानिस्तान के रहने वाले थे. वह पेशे से एक फौजी थे. अंग्रोजों की ओर से उनके दादा लड़े थे. उनके जज्बे से खुश होकर अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें मेरठ के पास एक जागरी तोहफे में दी थी. इसके अलावा उन्हें नवाब जान फिशानी की उपाधि भी दी थी.
नसीरुद्दीन के दादा ने अंग्रेजी हुकूमत का दिया था साथ
मीडिया रिपोट्स की मानें तो नसीरुद्दीन शाह के पूर्वजों ने जंग-ए-आजादी को दाबने के लिए अंग्रेजी सरकार की मदद की थी. भारत-पाकिस्तान के बीच जब बंटवारा हो रहा था, उस समय उनके दादा और चाचा पाकिस्तान चले गए. परिवार के इकलौते नसीरुद्दीन शाह के पिता था जिन्होंने भारत में रहने का फैसला किया था.
नसीरुद्दीन के पिता ने हिंदुस्तान में रहने का क्यों किया फैसला
नसीरुद्दीन शाह के पिता ने विभाजन के दौरान आजाद भारत में रहने का फैसला किया, जबकि उनके परिवार की संपत्ति और जायदाद पाकिस्तान में थी. एक्टर के पिता की सरकारी नौकरी थी, वह नौकरी छोड़कर पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे, इसी वह से उन्होंने आदाज हिंदूस्तान में रहना पसंद किया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नसीरुद्दीन शाह के पिता मोहम्मद शाह अंग्रेजी सरकार में नायब तहसीलदार थे.
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