30 सितंबर तक अटॉर्नी जनरल के पद पर रहेंगे केके वेणुगोपाल, वैद्यनाथन हो सकते हैं उत्तराधिकारी

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को उनके योगदान के लिए वर्ष 2002 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें देश के न्यायिक सुधारों के मुख्य अधिवक्ताओं में से एक माना जाता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 7, 2022, 03:10 PM IST
  • केस की सुनवाई के दौरान दिए संकेत
  • जानिए कौन हैं सी एस वैद्यनाथन
30 सितंबर तक अटॉर्नी जनरल के पद पर रहेंगे केके वेणुगोपाल, वैद्यनाथन हो सकते हैं उत्तराधिकारी

नई दिल्ली: कोट्टयन कटंकोट वेणुगोपाल, जी हां देश के 15 वें मुख्य न्यायवादी यानी अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया 30 सितंबर तक ही इस पद पर रहेंगे. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान खुद के के वेणुगोपाल ने इसके संकेत दिए हैं कि कि वे 30 सितंबर के बाद अपने कार्यालय छोड़ देंगे.

गौरतलब है वेणुगोपाल तीन माह पूर्व ही इस पद से हटना चाहते थे, लेकिन जैसा की सुप्रीम कोर्ट के गलियारे में चर्चा रही की देश के प्रधानमंत्री के आह्वान पर वेणुगोपाल तीन माह तक कार्य करने के लिए सहमत हो गए.

केस की सुनवाई के दौरान दिए संकेत

बुधवार सुबह सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियों से जुड़े दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल केस की सुनवाई कर रही संवैधानिक पीठ के समक्ष अटॉनी जनरल ने इसके संकेत दिए हैं. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय करने के बारे में पूछा. उसी समय कोर्ट में मौजूद एजी वेणुगोपाल ने बेंच से कहा कि इसमें एक छोटी सी समस्या है कि वे 30 सितंबर तक ही इस पद पर हैं.

अटॉर्नी जनरल केंद्र सरकार के लिए देश के सबसे शीर्ष कानून अधिकारी और मुख्य कानूनी सलाहकार होते है जो सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण मामलों में केन्द्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं. वेणुगोपाल उम्र के चलते ही इस पद पर बने रहने से अलग होना चाहते थे, लेकिन केन्द्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण मामलों को लेकर सरकार ने 29 जून को एक बार फिर से उन्हें ही इस पद पर बनाए रखते हुए 3 माह के लिए कार्यकाल को आगे बढ़ाया था.

पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हैं वेणुगोपाल

वेणुगोपाल को उनके योगदान के लिए वर्ष 2002 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें देश के न्यायिक सुधारों के मुख्य अधिवक्ताओं में से एक माना जाता है. वे सुप्रीम कोर्ट की रीजनल बेंच के गठन के सख्त खिलाफ हैं. इसके बजाय वे देश के चार क्षेत्रों में अपील के लिए अदालतें गठन करने की वकालत करते रहें हैं.

91 वर्षीय के के वेणुगोपाल को 1 जुलाई 2017 को देश को तीन वर्ष के लिए अटॉर्नी जनरल बनाया गया था इसके बाद केंद्र ने 1 जुलाई, 2020 और 1 जुलाई, 2021 को दो बार एक एक वर्ष के लिए कार्यकाल बढा चुकी हैं. इसके बाद 30 जून को समाप्त होते कार्यकाल पर फिर से 3 माह के लिए कार्यकाल बढ़ाया गया था, जो अब 30 सितंबर को समाप्त होने जा रहा है. 

देश की ज्यूडिशरी के गलियारों में एक बार फिर से देश अगला एजी बनाये जाने की चर्चा शुरू हो गयी है. इस सूची में सबसे ज्यादा वर्तमान एजी के निकट और उनके पसंदीदा वकील वैद्यनाथन को उनके उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है.

कौन हैं सी एस वैद्यनाथन

के के वेणुगोपाल के बाद अगर किसी का नाम इस पद के लिए सबसे ज्यादा चर्चा में है, तो वो है वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस में भगवान रामलला के वकील के तौर पर सीएस वैद्यनाथन का नाम काफी चर्चा में रहा. वैद्यनाथन वर्तमान एजी के के वेणुगोपाल के जूनियर हैं. साल 1974 में वकालत का सफर शुरू करने वाले वैद्यनाथन 1979 में उस समय दिल्ली आए जब उनके सीनियर के के वेणुगोपाल को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बनाया गया था. 

वैद्यनाथन को 1992 में सीनियर एडवोकेट मनोनीत किया गया इसके बाद उन्हे एडिशनल सॉलिस्टर जनरल भी नियुक्त किया गया. वैद्यनाथन के पिता शंकर नारायण खुद भी एक प्रख्यात वकील रहें हैं. उनके पिता ने नौकरी के समय छुट्टी लेकर लॉ किया था, उस समय वे बेंगलुरू लॉ कॉलेज के टॉपर भी रहे. अयोध्या केस के अतिरिक्त मिठू बनाम पंजाब सरकार 1983, सेबास्टीयन एम होंगरे बनाम केन्द्र सरकार 1984,  ए एस पी गुप्ता बनाम केंद्र सरकार,  के सी वसंथा बनाम कर्नाटक सरकार 1985 सहित दर्जनों ऐसे केस हैं, जिनमें सी एस वैद्यनाथन की वजह से ये केस नजीर बन गए.

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