नई दिल्ली: भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के आस पास दुकानें बंद करने के नोटिस पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक ताजमहल के निकट व्यावसायिक गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव पर कोई सर्वेक्षण नहीं करने के लिए बुधवार को आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) को जमकर फटकार लगाई और इसे दुखद स्थिति करार दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई नोटिस पर रोक
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सदियों पुराने स्मारक की चारदीवारी के साथ सभी व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करने के लिए दिए गए नोटिस के अमल पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान को विशेष रूप से ताजमहल की चारदीवारी के 500 मीटर के दायरे में व्यावसायिक गतिविधियों के नवीनतम सर्वेक्षण के आधार पर पर्यावरण प्रभाव आकलन करने और जल्द से जल्द अदालत को सुझाव देते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा.
मुकल रोहतगी ने कोर्ट में दी ये दलील
दुकान मालिकों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वे दशकों से अपना कारोबार कर रहे हैं और इलाके में उनके आवास हैं और अब एडीए ने उन्हें बंद करने का नोटिस दिया है. रोहतगी ने कहा कि ये 2,000 प्रतिष्ठान पिछले 40 वर्षों से किसी भी तरह के मुकदमे में नहीं हैं और कभी भी ऐसी किसी भी व्यावसायिक गतिविधि में शामिल नहीं हुए हैं जो प्रतिबंधित है.
अदालत ने संशोधित किया ये आदेश
न्याय मित्र एडीएन राव ने कहा कि ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश 1996 से अस्तित्व में है और इसे बार-बार दोहराया गया है. इस बीच चांदनी रात में ताज का दीदार करने के इच्छुक पर्यटकों के लिए न्यायालय ने अपने 2004 के आदेश को संशोधित किया और अधिकारियों को 24 घंटे पहले टिकट को भौतिक रूप से देने के बजाय ऑनलाइन टिकट सुविधा शुरू करने का निर्देश दिया.
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