नई दिल्ली: चुनाव वाले पांच राज्यों गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 43.7 फीसदी मतदाता वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस चुनाव के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार के रूप में देखते हैं. एबीपी-सीवोटर-आईएएनएस 5-स्टेट स्नैप पोल से यह जानकारी सामने आई है.
सर्वेक्षण किए गए राज्यों में, मणिपुर में सबसे अधिक 57.5 प्रतिशत मतदाता हैं, जिन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार के रूप में चुना है, इसके बाद उत्तराखंड में 50.1 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 44.4 प्रतिशत, गोवा में 36.1 प्रतिशत और पंजाब में 14.3 फीसदी मतदाता हैं.
राहुल गांधी दूसरे नंबर पर
अन्य उम्मीदवार के रूप में लोगों की पसंद कांग्रेस के राहुल गांधी और मनमोहन सिंह, भाजपा के योगी आदित्यनाथ और आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल हैं.
नरेंद्र मोदी के बाद, सभी पांच राज्यों में 9.6 प्रतिशत मतदाता राहुल गांधी के साथ, 5.2 प्रतिशत अरविंद केजरीवाल, 3.1 प्रतिशत मनमोहन सिंह और 2.6 प्रतिशत योगी आदित्यनाथ के साथ हैं.
गोवा में कुल 19.3 फीसदी, मणिपुर में 15.3 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 9.4 फीसदी, उत्तराखंड में 6.3 फीसदी और पंजाब में 2.1 फीसदी मतदाता राहुल गांधी को सर्वश्रेष्ठ पीएम उम्मीदवार के रूप में देखते हैं.
इस बीच, पंजाब में 10.5 फीसदी, मणिपुर में 9.1 फीसदी, उत्तराखंड में 5.2 फीसदी, गोवा में 3.1 फीसदी और उत्तर प्रदेश में कोई भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ नहीं गया.
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योगी आदित्यनाथ और अरविंद केजरीवाल का कहां कितना प्रभाव
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पंजाब में 26.3 फीसदी, उत्तराखंड में 15.1 फीसदी, गोवा में 5.7 फीसदी, मणिपुर में 3.3 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 2.3 फीसदी ने समर्थन दिया है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उत्तराखंड में केवल 7.2 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 5.2 प्रतिशत, मणिपुर में 2.4 प्रतिशत, पंजाब में 0.7 प्रतिशत और गोवा में किसी ने भी नहीं चुना है.
690 सीटों पर कराए गए पांच राज्यों के स्नैप पोल में कुल 107193 लोगों ने हिस्सा लिया.
लखीमपुर हिंसा का असर
वहीं इसी सर्वे में सामने आया है कि लखीमपुर हिंसा का भाजपा को नुकसान हो सकता है. यूपी में तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा में नौ लोगों की मौत हो गई थी.
सर्वे के मुताबिक 62 फीसदी मतदाताओं को लगता है कि इस मुद्दे से विधानसभा चुनाव में भगवा पार्टी को नुकसान होगा, जबकि सिर्फ 21.5 फीसदी को लगता है कि इससे बीजेपी को मदद मिलेगी. कुल 16 फीसदी लोगों का मानना है कि इसका चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
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