नयी दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने के प्रयासों के बीच यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने नागरिकों से उसके अधिकारियों के साथ समन्वय के बिना सीमा चौकियों पर नहीं जाने को कहा है. भारतीय दूतावास ने कहा, ‘‘सीमा जांच चौकियों पर स्थिति संवेदनशील है. भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए हम पड़ोसी देशों में हमारे दूतावासों के साथ काम कर रहे हैं.’’
दूतावास ने कहा,‘‘ हमारे लिए उन भारतीयों को निकालना मुश्किल हो रहा है जो बिना सूचना दिए सीमा जांच चौकियों पर पहुंच गए हैं. जो भारतीय नागरिक पूर्वी क्षेत्र में हैं, उनसे अगले निर्देश तक अपने निवास स्थान पर रहने का अनुरोध किया जाता है.’’ दूतावास ने भारतीय नागरिकों से कहा कि वे अनावश्यक गतिविधि से बचे, सावधानी बरतें, अपने आसपास की घटनाओं और हाल के घटनाक्रम को लेकर चौकन्ना रहें.
संरा में मतदान से दूर रहा भारत
उधर भारत ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के ‘आक्रामक बर्ताव’ की ‘कड़े शब्दों में निंदा’ करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया. सुरक्षा परिषद में यह प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से पेश किया गया था. भारत ने युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है.
पंद्रह सदस्यीय सुरक्षा परिषद में शुक्रवार दोपहर अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश मसौदा प्रस्ताव पर मतदान हुआ. इसे ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, जॉर्जिया, जर्मनी, इटली, सहित संयुक्त राष्ट्र के 67 सदस्य देशों के एक ‘‘क्रॉस रीजनल’’ समूह ने सह प्रस्तावित किया था. भारत,चीन और संयुक्त अरब अमीरात मतदान से दूर रहे. वहीं अल्बानिया, ब्राजील, फ्रांस, गाबोन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नार्वे, ब्रिटेन और अमेरिका सहित कुल मिलाकर 11 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया. यह प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पारित नहीं हो सका क्योंकि परिषद के स्थायी सदस्य रूस ने इस पर वीटो किया.
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यूएन में क्या बोला भारत
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने मतदान पर भारत का पक्ष रखते हुए कहा, ‘‘भारत, यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम से बेहद विचलित है. हम अपील करते हैं कि सारे प्रयास हिंसा और युद्ध को तत्काल रोकने की दिशा में होने चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन में भारतीय छात्रों सहित भारतीय समुदाय की सुरक्षा को लेकर ‘‘बेहद चंतित’’ है. तिरुमूर्ति ने कहा कि कोई भी हल लोगों की जिंदगियों की कीमत पर नहीं निकल सकता.
स्थायी प्रतिनिधि ने कहा ,‘‘ मतभेदों को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है. यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता त्याग दिया गया . हमें उस पर लौटना चाहिए और इन्ही कारणों से भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाने का निर्णय किया है.’’ तिरुमूर्ति ने कहा कि समकालीन वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बनी है. उन्होंने कहा, ‘‘सभी सदस्य देशों को रचनात्मक रास्ता तलाशने के लिए इन सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए.’
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