हाथ मिलाकर पीठ पर छुरा घोंपने की फिराक में शी जिनपिंग! चीन की चालबाजियों से आगाह कर रहे एक्सपर्ट

ब्रिक्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी. इससे पहले भारत-चीन सीमा विवाद पर भी सहमति बनाने की कोशिश हुई थी. इससे दोनों देशों के बीच संबंध पटरी पर आने की उम्मीदें बढ़ गई थी, लेकिन विस्तारवादी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और इन उम्मीदों को झटका दे रहा है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 4, 2025, 05:27 PM IST
  • 'अपनी पकड़ बढ़ा रहा है चीन'
  • 'संघर्ष बढ़ाते रहना चाहता है चीन'
हाथ मिलाकर पीठ पर छुरा घोंपने की फिराक में शी जिनपिंग! चीन की चालबाजियों से आगाह कर रहे एक्सपर्ट

नई दिल्लीः ब्रिक्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी. इससे पहले भारत-चीन सीमा विवाद पर भी सहमति बनाने की कोशिश हुई थी. इससे दोनों देशों के बीच संबंध पटरी पर आने की उम्मीदें बढ़ गई थी, लेकिन विस्तारवादी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है और इन उम्मीदों को झटका दे रहा है.

चीन ने हाल ही में भारतीय सीमा के पास तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध के निर्माण को मंजूरी दी थी. इसके बाद अब बीजिंग ने लद्दाख के क्षेत्र को शामिल करते हुए हॉटन प्रांत में दो नई काउंटी स्थापित करने के चीन के हालिया कदम ने भारतीय अधिकारियों के बीच चिंता पैदा कर दी है.

'अपनी पकड़ बढ़ा रहा है चीन'

विदेशी मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेवा ने इस पर टोटूक कहा कि चीन इस प्रशासनिक तंत्र के माध्यम से 'अक्साई चिन क्षेत्र में अपनी पकड़ बढ़ा रहा है', जिसमें होटन प्रांत में दो नई काउंटी बनाना शामिल है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चीन की हरकतें भारत के साथ संबंध सुधारने की अनिच्छा का संकेत देती हैं. इसके बजाय उसने संघर्ष बनाए रखने और धीरे-धीरे अपनी उपस्थिति बढ़ाने का विकल्प चुना है.

'संघर्ष बढ़ाते रहना चाहता है चीन'

उन्होंने कहा, 'चीन अक्साई चिन क्षेत्र में अपनी पकड़ बढ़ा रहा है. होटन में पहले से ही 7 काउंटी हैं और अब दो और बनाई गई हैं. वे अक्साई चिन क्षेत्र में पुनर्व्यवस्था कर रहे हैं. अब प्रत्येक काउंटी की अपनी प्रशासनिक राजधानी होगी. चीन अपनी पकड़ और बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है. इससे यह भी संकेत मिलता है कि चीन भारत के साथ अपने संबंध सुधारने के मूड में नहीं है. भारत के प्रति चीन का कुल मिलाकर रवैया यह है कि वह इस संघर्ष को बरकरार रखना चाहता है और इसे बढ़ाते रहना चाहता है.'

ब्रह्मपुत्र पर बांध भारत के लिए चिंता का सबब

उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की ओर से प्रस्तावित बांध को लेकर भी चिंता जताई. सचदेवा ने कहा, "भारत 'यारलुंग त्सांगपो' (ब्रह्मपुत्र) नदी पर बांध को लेकर अत्यधिक चिंतित है, जो सही भी है. यह एक बड़ी परियोजना है और इसका पर्यावरण, मिट्टी और असम-अरुणाचल को मिलने वाले पानी की मात्रा पर बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा."

उन्होंने कहा, 'यह बांध इतना बड़ा है कि इसकी लागत 140 अरब डॉलर हो सकती है. इतना बड़ा बांध भारत के लिए कई समस्याएं पैदा कर सकता है. एक तो यह कि चीन पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है, जिससे हमें पीने और सिंचाई के लिए कम पानी मिल सकता है. दूसरा- यह अंतर्निहित मिट्टी और इलाके को प्रभावित कर सकता है.'

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