बाटला हाउस एनकाउंटर: जब दिल्ली पुलिस की कामयाबी पर राजनीति ने लगाया ग्रहण

दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में आतंकी आरिज खान को फांसी होगी. दिल्ली की कोर्ट ने कहा है कि आरिज समाज के लिए खतरा है. 2008 के इस एनकाउंटर को राजनीति ने खूब कलंकित किया था.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Mar 15, 2021, 07:32 PM IST
  • बाटला केस में आतंकी आरिज खान को फांसी की सजा
  • राजनीति ने उस वक्त दिल्ली पुलिस पर उठाया था सवाल
बाटला हाउस एनकाउंटर: जब दिल्ली पुलिस की कामयाबी पर राजनीति ने लगाया ग्रहण

नई दिल्ली: दिल्ली के बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में आतंकी आरिज खान को कोर्ट ने आरोपी आरिज खान को मौत की सजा मुकर्रर की है. कोर्ट ने आरोपी आरिज खान को आईपीसी 186, 333, 353, 302, 307, 174A के तहत दोषी करार दिया था. अदालत ने कड़े शब्दों में कहा कि आरिज समाज के लिए खतरा है. कोर्ट ने रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस माना और उसे फांसी की सजा सुनाई

फरवरी 2018 में दिल्ली ने किया गिरफ्तार

दिल्ली के बहुचर्चित बाटला हाउस एनकाउंटर से जुड़े एक मामले में दोषी करार दिए आतंकी आरिज खान की सजा का ऐलान हो चुका है. इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी आरिज को पटियाला हाउस कोर्ट ने 8 मार्च को दोषी करार दिया था और अदालत ने ये कहा था कि ये साबित हो गया है कि एनकाउंटर के वक्त आरिज खान भागने में कामयाब हो गया था.

आरिज खान को IPC की कई गंभीर धाराओं में दोषी पाया है. एक दशक तक कथित तौर पर फरार रहने के बाद फरवरी 2018 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे गिरफ्तार किया था.

दिल्ली पुलिस की कामयाबी पर राजनीतिक ग्रहण

बाटला हाउस एनकाउंटर से 7 दिन पहले 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में सीरियल ब्लास्ट हुए थे. सीरियल ब्लास्ट की जिम्मेदारी जैश के इंडियन मॉड्यूल के आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने ली थी और 7 दिन बाद ही दिल्ली पुलिस ने 19 सितंबर 2008 को दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के जिम्मेदार आतंकवादियों का एनकाउंटर कर दिया. ये दिल्ली पुलिस की बहुत बड़ी कामयाबी थी. जिसे राजनीतिक तौर पर नाकामयाब कर दिया गया.

उस वक्त दिल्ली पुलिस के पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर करनैल सिंह ने बताया था कि 'दिल्ली में एक के बाद एक 5 ब्लास्ट हुए थे. करोल बाग, कनॉट प्लेस और ग्रेटर कैलाश.. आतंकवादियों के इस सीरियल ब्लास्ट में 26 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग जख्मी हुए. 2008 सीरियल ब्लास्ट की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के लिए काम करने वाले इंडियन मुजाहिद्दीन ने ली थी. इससे पहले इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादी गुजरात में सीरियल ब्लास्ट कर चुके थे, लेकिन बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद इंडियन मुजाहिद्दीन का पूरा मॉड्यूल ध्वस्त हो गया.'

इस एनकाउंटर में दो आतंकी भाग निकले

करीब 45 मिनट तक चले बाटला हाउस एनकाउंटर के दौरान इंडियन मुजाहिद्दीन के 2 आतंकवादी भाग निकलने में कामयाब हुए थे. एक शहजाद और दूसरा आरिज था. इन दोनों ने ही पुलिस टीम पर फायरिंग भी की थी, जिसमें स्पेशल सेल के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहे जाने वाले इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हुए थे.

इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकवादी आरिज खान पर 15 लाख ईनाम था. आरिज खान दिल्ली के अलावा अहमदाबाद, यूपी और जयपुर में हुए सीरियल ब्लास्ट में शामिल था. आरिज यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला था और बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद से फरार था.

कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने की थी राजनीति

इन एनकाउंटर के बाद कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने आजमगढ़ पहुंचकर ये बताने की कोशिश की थी कि आरिज निर्दोष है और दिल्ली पुलिस फर्जी एनकाउंटर की दोषी है. उन्होंने कहा था कि 'मैंने खुद वो फोटोग्राफ देखी हैं, जिसमें एक लड़के के केवल सिर पर गोली लगी हुई हैं. दहशतगर्दी में अगर एनकाउंटर होता है, तो यहां पर गोली लगना ना मुमकिन है. माननीय प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) ने ये पूरा प्रक्ररण मानवाधिकार आयोग को दिया था. लेकिन मुझे इस बात की तकलीफ है कि जिन लोगों को शिकायत थी, उन्हें ह्यूमन राइट्स कमीशन ने बुलाया नहीं.'

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को हुआ था दर्द

बाटला हाउस एनकाउंटर में मृत लड़कों की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी भावुक हो गई थी. 2012 में वक्त के कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने आजमगढ़ की चुनावी रैली में कहा कि बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें देखकर सोनिया गांधी रो पड़ी थी. कानून मंत्री ने ये भी कहा कि कांग्रेस पार्टी भरपूर कोशिश करने के बाद भी बाटला एनकाउंटर में मारे गए आजमगढ़ के लड़कों को इंसाफ नहीं दिला पाई. हालांकि उन्होंने बाद में इसपर अपनी सफाई पेश की थी.

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बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद भाग निकले आतंकी शहजाद अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है और अब 15 मार्च को आरिज खान को भी मौत की सजा पर फैसला आ गया. बाटला हाउस एनकाउंटर की अहमियत ऐसे समझिए कि इस एनकाउंटर के बाद इंडियन मुजाहिद्दीन इस काबिल नहीं रहा कि देश में कोई और ब्लास्ट कर पाया. दिल्ली पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के लिए काम करने वाले इंडियन मुजाहिद्दीन के नेटवर्क को इस एनकाउंटर के बाद पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और शायद पुलिस को इसी बात की राजनीतिक सजा मिली.

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