खेल बदला, खिलाड़ी बदले, पर कप्तान नहीं... कैसा रहा नीतीश कुमार का सियासी सफर?

Nitish Kumar History: नीतीश कुमार की बिजली विभाग में सरकारी नौकरी लगी, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया और सियासत का सफर शुरू किया. इसके बाद नीतीश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Jan 26, 2024, 03:33 PM IST
  • 1951 में जन्मे थे नीतीश कुमार
  • 1985 में पहली बार विधायक बने
खेल बदला, खिलाड़ी बदले, पर कप्तान नहीं... कैसा रहा नीतीश कुमार का सियासी सफर?

नई दिल्ली: Nitish Kumar History: बीते 15 साल में बिहार की राजनीति में उठा-पटक का दौर कई बार देखा गया. कभी BJP, तो कभी RJD सत्ता में आई. कभी RJD बड़ी पार्टी बनी, तो कभी BJP. लेकिन इतना सब होने के बाद भी एक नाम हमेशा प्रासंगिक रहा, जो न तो सियासत से दूर रहा और न ही मुख्यमंत्री की कुर्सी से. ये नाम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है. नीतीश कुमार बिहार के 'किंग' भी हैं और 'किंगमेकर' भी. नीतीश कभी BJP के साथ रहे, तो कभी RJD के साथ. उनकी पार्टी JDU भले सीटें कम लाई हो, लेकिन मुख्यमंत्री वही बने. एक बार फिर पूरे देश की नजरें नीतीश कुमार पर टिकी हुई हैं. दावा है कि वो RJD का साथ छोड़कर BJP के साथ जा रहे हैं. आइए, जानते हैं नीतीश का सियासी सफर...

सरकारी नौकरी छोड़ सियासत में जमाया पैर
नीतीश कुमार 1 मार्च, 1951 को बिहार के बख्तियारपुर में जन्मे. नीतीश के पिता कविराज राम लखन सिंह आयुर्वेदिक चिकित्सक थे. उनकी मां परमेश्वरी देवी गृहणी थीं. नीतीश ने शुरुआती शिक्षा के बाद साल 1972 में NIT पटना से इंजीनियरिंग पूरी की. इसके बाद बिहार बिजली विभाग में उनकी सरकारी नौकरी लग गई. लेकिन इस बीच नीतीश छात्र राजनीति में सक्रिय हो चुके थे और उन्होंने सियासी सफर करने का फैसला किया. लिहाजा, नीतीश ने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया. नौकरी छोड़कर पूरी तरह राजनीति के मैदान में कूद पड़े. नीतीश कुमार का विवाह मंजू सिन्हा से हुआ, जिनका 2007 में निधन हो गया. उनका एक बेटा है, जिसका नाम निशांत है. 

जेपी आंदोलन से उभरे नीतीश
नीतीश कुमार का नाम पहली बार जेपी आंदोलन के समय चर्चा में आया. बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार जेपी आंदोलन के दौरान छात्रों को मैनेज करने में माहिर माने जाते थे. इसका फल भी मिला, 1977 के विधानसभा चुनाव में नीतीश को हरनौत से जनता पार्टी का टिकट मिला, लेकिन विचुनाव हार गए. 1985 में हुए चुनाव में नीतीश ने फिर हरनौत से चुनाव लड़ा और पहली बार विधायक बने. 

6 बार सांसद बने नीतीश 
इसके बाद तो मानों नीतीश का सियासी सफर चल पड़ा. 1989 में नीतीश कुमार पहली बार बाढ़ से सांसद चुने गए. 1991 में बाढ़ की जनता ने नीतीश पर दोबारा भरोसा जताया. इसके बाद 1996 और 1998 में भी लोकसभा के सांसद बने. 1998 की अटल सरकार में नीतीश कुमार केंद्रीय रेल मंत्री बने. लेकिन किशनगंज में भीषण रेल हादसे के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 1999 में नीतीश 5वीं बार सांसद बनकर आए और केंद्र में कृषि मंत्री बने. 2004 में नीतीश छठी और आखिरी बार सांसद बने, क्योंकि इसके बाद वो राज्य की राजनीति में सक्रिय हो गए. 

जब पहली बार सीएम बने 
नीतीश कुमार 3 मार्च, 2000 को पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. लेकिन बहुमत नहीं होने के चलते उन्होंने 7 दिन में ही 10 मार्च को इस्तीफा दे दिया. इसके बाद नीतीश ने 2005 में BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई और CM बने. नीतीश नवंबर 2010 में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. तब भी वो BJP के साथ गठबंधन में थे. 

जब नीतीश कुमार ने खेली राजनीति
नीतीश कुमार की सियासत का असली खेल तब शुरू हुआ, जब वो चौथी बार CM बने. 2014 में नीतीश ने BJP से नाता तोड़कर RJD से हाथ मिलाया. दोनों ने सरकार बनाई. लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद नीतीश ने इस्तीफा दे दिया और जीतनराम मांझी को CM बनाया. बाद में मांझी से इस्तीफा लेकर नीतीश ने 22 फरवरी, 2015 को फिर सीएम पद की शपथ ली. .

कभी RJD, तो कभी BJP के साथ
2015 में RJD और JDU ने मिलकर चुनाव लड़ा, जीते और नीतीश फिर से CM बने. लेकिन RJD से मतभेद के बाद 2017 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. नीतीश BJP के साथ गए और छठी बार सीएम बने. वो BJP के साथ चुनाव में उतरे और JDU की  कम सीटे आने के बाद भी 2020 में 7वीं बार सीएम बने. लेकिन अगस्त 2022 में नीतीश ने फिर BJP का साथ छोड़ा और RJD के साथ आ गए. नीतीश ने 8वीं बार सीएम पद की शपथ ली. अब कयास हैं कि 28 जनवरी को नीतीश BJP के समर्थन से फिर से CM पद की शपथ लेंगे. बिहार में ये कहावत आम हो गई है कि कोई हारे, कोई जीते, लेकिन सीएम तो नीतीश ही रहेंगे. नीतीश की सियासत में आगे और क्या-क्या देखने को मिलता है, ये तो बस समय बता पाएगा. 

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