नई दिल्लीः बिहार से एक ऐसा मामला देखने को मिला है, जो मौजूदा सरकार के दावों की धज्जियां उड़ा कर रख दे रहा है. बिहार सरकार अपने बयानों में शराबबंदी से संबंधित नित नए दावे पेश करती रहती है, लेकिन प्रकाश में आने वाला यह मामला बिहार सरकार के वादों पर कठोर सवाल खड़ा करता है.
बिहार में शराब की बिक्री पर है रोक
दरअसल, पूरे बिहार में शराब की बिक्री पर रोक है. अवैध तरीकों से शराब की बिक्री करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जाती रही है. लेकिन जब खुद पुलिस की ओर से मजदूरों को उनकी मेहनताना के रूप में शराब दिया जाने लगे तो यह सरकार के नीतियों पर जबरदस्त कुठाराघात है.
महुआ थाने का है पूरा मामला
मामला बिहार के वैशाली जिला के महुआ थाने का है. यहां एक मजदूर को मजदूरी के रूप में शराब की दो बोतले दी गईं. इस घटना का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में एक मजदूर अपनी तौली से छिपाकर रखी गई शराब की बोतल को दिखाता है.
'मजदूरी के रूप में मिली शराब की बोतलें'
जब उससे यह पूछा जाता है कि उसे यह शराब की बोतल कहां से मिली, किसने दिया तो वह दावा करता है कि उसे यह शराब की बोतल वैशाली थाना से मजदूरी के रूप में मिला है.
जनवरी का है पूरा मामला
वहीं, इस मामले पर न्यूज एजेंसी को सूत्रों ने बताया कि यह घटना 21 जनवरी की है. मजदूर ने दावा किया कि उसे और अन्य साथी मजदूरों को पुलिस ने जब्त शराब की बोतलों को नष्ट करने के लिए बुलाया था. बोतलों को नष्ट करने के बाद उन्होंने उसे दो बोतलें मजदूरी के तौर पर दी थी.
'ऐसी घटनाएं प्रशासनिक चूक का है संकेत'
इस मामले पर जब महुआ थाने के एसएचओ प्रभात रंजन सक्सेना से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, 'हमने पिछले 15 दिनों से जब्त शराब की बोतलों को नष्ट नहीं किया है. ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में शराब को नष्ट किया जा रहा है और पूरी कार्रवाई कैमरे में कैद है. यह शराब की खेप को नष्ट करने की एक नियमित प्रक्रिया है. वीडियो पुराना है, लेकिन यह प्रशासनिक चूक का स्पष्ट संकेत है.'
उन्होंने आगे कहा, 'इस बात की भी संभावना है कि कुछ लोगों ने जानबूझकर जिला प्रशासन के खिलाफ साजिश रचने के लिए वीडियो बनाया है. हम सभी कोणों से इसकी जांच कर रहे हैं.'
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