"मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी, नासमझ लाया गम तो ये गम ही सही..."

सदी का सबसे अलग अभिनेता, जिसने फिल्मी दुनिया में हीरो की नई परिभाषा बना दी. इरफान खान ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. उनके चाहने वाले आज सिर्फ यही कह रहे हैं, "मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी, नासमझ लाया गम तो ये गम ही सही..."

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Apr 30, 2020, 10:20 AM IST
    • मोहब्बत थी इसलिए जाने दिया, वरना...
    • रियल लाइफ की एंडिंग से हर कोई निःशब्द
    • अपनी लगन से हासिल किया था मुकाम
    • इरफान की आखिरी फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम'
    • इरफान खान के फिल्मी सफर पर एक नजर
"मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी, नासमझ लाया गम तो ये गम ही सही..."

29 अप्रैल, 2020... ये तारीख हर किसी की आंखें लबा-लब भरने के लिए ही सुबह के उगते सूरज के साथ शुरू हुई थी. भारत का एक अनोखा कलाकार जिसने अपनी जिंदगी की जंग बड़े बखूबी के साथ लड़ी, उस इरफान खान ने जिंदगी से दामन छुड़ाकर हम सबसे कहीं दूर जाकर गुम होने की साजिश रच दी है. दुनिया से इरफान खान ने विदा लिया तो पूरे देश में मातम पसर गया.

मोहब्बत है इसलिए जाने दिया, वरना...

ये तो हर कोई जानता है कि एक न एक दिन जाना सभी को है. लेकिन इतनी जल्दी वो चले जाएंगे ये बात किसी के ज़हन में नहीं आई थी. उन्होंने कहा था न, "अबे मोहब्बत है इसलिए जाने दिया, ज़िद होती तो बाहों में होती." उसका हिसाब भी कुछ ऐसा ही है, उनकी छवि ही कुछ ऐसी थी कि उनसे हर कोई सिर्फ मोहब्बत ही कर पाता था, है और रहेगा. न जाने क्यों एक कलाकार के जाने से किसी को भी उतनी तकलीफ नहीं होती होगी जैसा कि आज हर किसी के सीने में दर्द उठ रहा है.

लग रहा था, कि वो जीत जाएंगे.. जैसे की फिल्मी पर्दे पर हैप्पी एंडिंग होती है, हर कोई इसी आस में बैठा था कि इस बार भी कुछ करिश्मा होगा और वो जीत जाएंगे. बीमारी का इलाज कराकर, वो लौटे थे. तो हर किसी ने अपने भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा था कि चलो मेहरबानी है कि अब सब ठीक हो गया है. लेकिन भला किसे मालूम था कि ये आस उनकी सांस बिखरने के साथ टूट जाएगी. इरफान खान चल बसे, जिसने अपने अभिनय के कई रंग दिखाए. वो दुनिया से विदा हो गए. हर कोई उन्हें याद करके अपनी आंखें नम कर ले रहा है.

रियल लाइफ की एंडिंग से हर कोई निःशब्द

एक्टर इरफान खान के जीवन का कारवां यहीं तक था. रियल लाइफ में उन्होंने कैंसर को ब्लैकमेल करने की बहुत कोशिश की. लेकिन रील लाइफ में तेज़ दौड़ने वाले पान सिंह तोमर ज़िंदगी की असल दौड़ हार गए. एक्टर इरफान खान काफी अरसे से बीमार चल रहे थे, ज़िंदगी और कैंसर की दौड़ में आज ज़िंदगी फिर हार गई और एक ऐसे शख्स ने दुनिया को अलविदा कह दिया, जो रील लाइफ में अपने करिश्माई किरदारों से अपने आपको रियल एंटरटेनर साबित करते रहे. फिल्मी पर्दे पर जैसे अपने किरदारों से इरफान ने सभी को चौंकाया, अब उनकी ज़िंदगी जिस मोड़ पर जाकर खत्म हुई, इस रियल लाइफ एंडिंग से आज हर कोई निःशब्द हो गया है.

अपनी लगन से हासिल किया था मुकाम

इरफान खान जब बॉलीवुड फिल्मों में आए थे, तो हर बार इनके किरदारों में एक अलग ही रंग था. खास बात तो ये थी कि उन्हें बहुत सारे लोगों ने नॉन कमर्शियल हीरो की कैटगरी में रखा. लेकिन, इरफान के जज्बे और अभिनय ने उन्हें हर तरह की फिल्मों का ऑल इन वन पैकेज बना दिया था. अपनी ऑफ बीट फिल्मों के जरिए भी उन्होंने बॉक्सऑफिस को ये मालामाल करना शुरू किया तो हर किसी का ये भ्रम टूट गया कि वो नॉन कमर्शियल हीरो हैं.

इरफान ने पर्दे पर रोमांस किया, तो अपने ब्लैकमेलिंग अंदाज के लिए उन्हें हर किसी ने सलाम किया. वो पीकू के ड्राइवर बने, तो पान सिंह तोमर भी बने. फिल्म, अभिनय से शायद इरफान का ये लगाव, ये जुड़ाव ही था कि लॉकडाउन से पहले, आखिरी बड़ी फिल्म जो बड़े पर्दे पर रिलीज़ हुई, वो इरफान खान की थी. अंग्रेज़ी मीडियम...

इरफान की आखिरी फिल्म 'अंग्रेजी मीडियम'

हर कोई ये जानता है कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन से पहले ही सारे सिनेमाघर बंद हो गए हैं. लेकिन, लॉकडाउन से ठीक पहले अंग्रेज़ी मीडियम रिलीज़ हुई. लॉकडाउन के चलते फिल्ममेकर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा. पर इसे नियति नहीं तो और क्या कहेंगे कि कैंसर के इलाज के बीच लंबी बीमारी झेलने के बावजूद इरफान ने जिस फिल्म में काम किया. वो फिल्म बड़े पर्दे पर आई. लंबे समय के बाद इरफान खान पर्दे पर लौटे. इसी बीच लॉकडाउन के दौरान उन्होंने दुनिया से रवानगी ले ली.

फिल्म बॉक्सऑफिस पर लॉकडाउन की वजह से नहीं चली और उसे बाद में डिजिटल प्लैटफॉर्म पर रिलीज़ किया गया. यहां लोगों ने घर पर बैठकर इरफान की आखिरी फिल्म को देखा. शायद उस समय भी किसी ने नहीं सोचा होगा कि वाकई इसके बाद इरफान के अभिनय के और कोई रंग सामने नहीं आएंगे. वो अपनी फिल्मों का ऐसा खज़ाना छोड़ गए हैं कि ये उनके हर फैन के लिए अनमोल है. ये बात और है कि इस पर यकीन करना मुश्किल की वो नहीं रहे.

हिंदी मीडियम से लेकर अंग्रेज़ी मीडियम का सफर करने वाले इरफान का फिल्मी सफर अब कभी आगे नहीं बढ़ेगा. लंबी बीमारी के बाद इरफान ने इस दुनिया को छोड़कर कहीं दूर चले गए. 

इरफान खान के फिल्मी सफर पर एक नजर

इरफान ने सलाम बॉम्बे से बॉलीवुड में कदम रखा था, धीरे-धीरे वो सफलता की सीढ़ी चढ़ते गए. फिर देखते ही देखते वो बॉलीवुड के ऐसे अभिनेता बन गए जिन्होंने अपनी एक्टिंग के दम पर हीरो की परिभाषा को ही बदल डाली. इरफान खान ने अपने 30 साल के फिल्मी करियर में करीब 50 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया. उनकी अभिनय और कला का लोहा कभी कोई नहीं भुला सकेगा.

साल 2003 में फिल्म मकबूल में इरफान और तबु की केमिस्ट्री, फिर इरफान साल 2005 में Film 'इरफान' के लीड किरदार की भूमिका निभाते हैं. उनकी फिल्म रोग एक गाना सुनकर आज भी हर किसी का गला भर आता है, "मैंने दिल से कहा ढूंढ लाना खुशी, नासमझ लाया गम तो ये गम ही सही". पान सिंह तोमर बनकर जब बड़े पर इरफान उतरे तो बड़े पर्दे पर धूम मच गई. इरफान खान को बिल्लू बार्बर बनते हुए भी दर्शकों ने देखा. इरफान को मदारी बनते भी दर्शकों ने खूब पसंद किया. 

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वो जो था, ख्वाब सा... क्या कहें जाने दे. हर कोई आज आंखें नम कर इरफान के जाने का गम झेलने को मजबूर कर दिया है. इरफान जैसा अभिनेता पूरे बॉलीवुड में सचमुत एकलौता था. जिनके जाने से ना सिर्फ उनके फैंस बल्कि पूरी इंडस्ट्री को तगड़ा झटका लगा है. हर कोई यही कह रहा है, "इरफान तुम बहुत याद आओगे"

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