नई दिल्लीः Chandrayaan-3: आज का दिन भारत के लिए काफी खास होने वाला है. अब से महज कुछ घंटों बाद मिशन-चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा. इसे लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. रिपोर्ट की मानें तो आज दोपहर ढाई बजे श्रीहरिकोटा से रॉकेट अपनी उड़ान भरेगा और चांद की ओर सीधे कूच कर जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं मिशन चंद्रयान से जुड़ी 10 बड़ी रोचक जानकारियों के बारे में.
1. ऋतु करिधाल श्रीवास्तव करेंगी लीड
मिशन-चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को फ्रंट से लीड करने की जिम्मेदारी रॉकेट वुमन के नाम से मशहूर स्पेस साइंटिस्ट ऋतु करिधाल श्रीवास्तव को सौंपा गया है. ऋतु करिधाल श्रीवास्तव मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हैं. इससे पहले ऋतु करिधाल श्रीवास्तव मंगलयान मिशन में अपनी कुशलता दिखा चुकी हैं. मंगलयान मिशन में उनकी अहम भूमिका को देखते हुए उन्हें मिशन चंद्रयान 3 का डायरेक्टर नियुक्त किया गया है.
2. 642 टन भारी एलसीएम 3 को अंतरिक्ष में ले जाएगा मिशन चंद्रयान-3
मिशन चंद्रयान-3 भारत का 642 टन भारी लिफ्ट रॉकेट एलवीएम 3 को अंतरिक्ष में ले जाएगा. रॉकेट का पहला चरण ठोस ईंधन द्वारा संचालित होता है. दूसरा चरण तरल ईंधन द्वारा संचालित होता है, तो वहीं तीसरे और अंतिम चरण में तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन द्वारा संचालित क्रायोजेनिक इंजन होता है.
3. 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को अलग करेगा रॉकेट
विस्फोट के समय 642 टन के रॉकेट का कुल प्रणोदक द्रव्यमान तीनों चरणों को मिलाकर 553.4 टन होगा. उड़ान से ठीक 16 मिनट पहले या लगभग 2.50 बजे रॉकेट लगभग 179 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को खुद से अलग कर देगा. इसके बाद चंद्रयान-3 लगभग 3.84 लाख किमी की अपनी लंबी चंद्रमा यात्रा शुरू करेगा.
4. 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करेगा लैंडर
अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए गए लैंडर के 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है. चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रोपल्शन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है.
5. 3.8 टन था चंद्रयान-2 पेलोड का वजन
पहले के चंद्र अभियानों पर गौर करें तो चंद्रयान-2 पेलोड का वजन लगभग 3.8 टन था, ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम था, विक्रम लैंडर का वजन 1,444 किलोग्राम था, जिसमें प्रज्ञान रोवर का वजन 27 किलोग्राम था. चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है. उसके बाद रोवर प्रयोग करने के लिए बाहर निकलेगा.
6. तीन से छह महीने के बीच है पेलोड का जीवन
लैंडर से बाहर निकलने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा ले जाए गए पेलोड का जीवन तीन से छह महीने के बीच है. दूसरी ओर, इसरो ने कहा कि लैंडर और रोवर का मिशन जीवन 1 चंद्र दिवस या 14 पृथ्वी दिवस है.
7. तीन चरणों में बांटा गया है चंद्रमा मिशन
चंद्रमा मिशन को तीन चरणों में बांटा गया है - पृथ्वी केंद्रित चरण (प्री-लॉन्च, लॉन्च और एसेंट और पृथ्वी-बाउंड पैंतरेबाज़ी), चंद्र स्थानांतरण चरण (स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र), और चंद्रमा केंद्रित चरण (चंद्र) कक्षा सम्मिलन चरण, चंद्रमा-बाध्य पैंतरेबाजी चरण, प्रणोदन मॉड्यूल और चंद्र मॉड्यूल पृथक्करण, डी-बूस्ट चरण, प्री-लैंडिंग चरण, लैंडिंग चरण, लैंडर और रोवर के लिए सामान्य चरण, प्रणोदन के लिए चंद्रमा केंद्रित सामान्य कक्षा चरण (100 किमी गोलाकार कक्षा) मापांक).
8. रॉकेट के पास है 6 सफल मिशनों का त्रुटिहीन रिकॉर्ड
पहले चरण के दौरान भारत का भारी लिफ्ट रॉकेट 43.5 मीटर ऊंचा और 642 टन वजनी एलवीएम 3, अंतरिक्ष यान को चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा. रॉकेट के पास लगातार छह सफल मिशनों का त्रुटिहीन रिकॉर्ड है. यह एलवीएम 3 की चौथी परिचालन उड़ान है और इसका उद्देश्य चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान को जियो ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च करना है.
9. चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था विक्रम
शुक्रवार का चंद्रमा मिशन 2019 में असफल चंद्रयान -2 मिशन का अनुवर्ती है, जब विक्रम नाम का लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. चंद्रयान-2 मिशन के दौरान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हुए लैंडर की तुलना में इस बार लैंडर में किए गए बदलावों के संबंध में, इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लैंडर में पांच के बजाय चार मोटर हैं.
10. सॉफ्टवेयर में हुआ है बदलाव
इस बार अंतरिक्ष एजेंसी ने सॉफ्टवेयर में कुछ बदलाव किए हैं. दिलचस्प बात यह है कि इसरो इस बार लैंडर और रोवर के नामकरण पर चुप है. चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया था. मिशन के तीन प्रमुख अधिकारी हैं: मिशन निदेशक मोहन कुमार, वाहन/रॉकेट निदेशक बीजू सी. थॉमस और अंतरिक्ष यान निदेशक डॉ. पी. वीरमुथुवेल.
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