नई दिल्ली: लद्दाख सीमा पर चीन ने फिर गुस्ताखी की, लात खाने की डर से चीन घबराकर प्रोपेगेंडा फैला रहा है. चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने झूठ फैलाकर भारत को इस झड़प का दोषी बताने लगा. लेकिन, आपको इस पूरे प्रकरण की सच्चाई और पूरी सच्चाई हम बताते हैं.
43 चीनी सैनिक मारे गए, तो औकात याद आई
जानकारी ये सामने आई कि सोमवार रात को LAC पर पहले चीन ने भारतीय सैनिकों पर अटैक किया. जिसमें भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए तो मामला गरमा गया. ऐसे में भारत के जवानों ने जवाबी कार्रवाई की. खबर ये सामने आई कि 43 चीनी सैनिकों को भारत के जवानों ने मौत के घाट उतार दिया.
आपको बता दें, ग्लोबल टाइम्स ने ये दावा किया कि "चीन और भारतीय पक्ष ने सीमा की स्थिति को आसान बनाने और सीमा क्षेत्रों में शांति और शांति बनाए रखने के लिए बातचीत के माध्यम से द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने पर सहमति व्यक्त की" इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीन आने वाले वक्त में इस बात से भी पलटी मार ले कि उसके कोई जवान नहीं मारे गए, ऐसे में आपको ये सबूत देखना चाहिए.
Indian intercepts reveal that Chinese side suffered 43 casualties including dead and seriously injured in face-off in the Galwan valley: Sources confirm to ANI pic.twitter.com/xgUVYSpTzs
— ANI (@ANI) June 16, 2020
निश्चित तौर पर जब चीन के 5 सैनिक मारे गए तो ड्रैगन को ये बात समझ आ गई कि भारतीय सैनिक उनपर भारी पड़ रहे हैं. ऐसे में चीन ने चालबाजी शुरू कर दी. सुबह-सुबह चीन ने इस मसले को सुलझाने के लिए भारत से बातचीत शुरू कर दी. क्योंकि चीन को ये समझ आने लगा कि चीन पर भारतीय सैनिक भारी पड़ रहे थे.
पिटा तो उल्टा भारत पर आरोप लगाने लगा चीन
आपको बता दें, चीन की मीडिया ने झूठ फैलाकर उल्टे भारत पर आरोप लगाना शुरू कर दिया. इस बात को समझिए कि आखिर चीन की मीडिया ऐसा क्यों कर रही है. ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि "भारतीय सैनिकों ने सोमवार को अवैध रूप से दो बार सीमा पार करके और चीनी सैनिकों पर उत्तेजक हमलों को अंजाम देकर दोनों पक्षों की आम सहमति का गंभीर रूप से उल्लंघन किया, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर शारीरिक झड़पें हुईं."
अब ज़रा इस बात को समझिए कि खुद भारत की जमीन पर कब्जा करके और कैंप बनाकर बैठे चीन की मीडिया ये कह रही है कि भारत के जवान उनकी सीमा में घुसे थे. झूठे और फरेबी चीन को उसकी हरकर के लिए जब भारतीय सेना ने पीट दिया तो वो उल्टे भारत पर सारा दोष मढ़ना चाहता है. इसी नापाक इरादे को अंजाम देने के लिए उसने ये चाल चली और ये दावा किया कि घुसपैठ भारत ने की.
45 साल बाद LAC पर बने युद्ध जैसे हालात
आपको इस बात की जानकारी दे देते हैं कि चीन और भारत के बीच सीमा पर ऐसे हालात तकरीबन 45 साल बाद बना है. गलवान घाटी में चीन की सेना ने खुद ही घुसपैठ करती है. साल 1975 में ऐसे ही सिचुएशन दोबारा बन गए हैं.
9 जून को बैकफुट पर जाने को हुआ था मजबूर
9 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के सैनिक सीमा से 2.5 किलोमीटर तक पीछे हटने को मजबूर हुए. चीन ने ये कदम दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद उठाया.
दरअस, चीन की नजर लंबे अरसे से लद्दाख पर टिकी है, लद्दाख भारत-चीन के बीच 3488 किलो मीटर लंबी सीमा का अहम हिस्सा भी. पूर्वी लद्दाख में गलवान नदी ऐसे सेक्टर में से एक है जो हाल में भारत और चीन की सेनाओं के बीच टकराव की वजह से चर्चा में हैं. चीन लद्दाख के फिंगर 8 से फिंगर-2 तक के इलाके पर दावा करता आया है.
अगर लद्दाख के भूगोल पर नजर डालें तो करीब 33,554 वर्गमील में फैले लद्दाख में बसने लायक जगह बेहद कम है. यहां हर तरफ ऊंचे-ऊंचे पथरीले पहाड़ और मैदान हैं. लेकिन कूटनीतिक रूप से अहम होने की वजह से चीन लगातार इस इलाके में आक्रामक रवैया अपनाता रहा है. 1962 की लड़ाई में भी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव हुआ था. चीन शायद इसी गलतफहमी में आज भी जी रहा है कि इस बार युद्ध हुए तो 62 वाले हालात होंगे. उसकी इस गलतफहमी को हम दूर कर देते हैं.
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सबसे पहले तो चीन को अपने दिमाग में इस बात को फिट करने की जरूरत है कि ये नया भारत है, तुम अगर घुड़की दिखाओगे, तो भारत के जवान तुम्हें औकात दिखाएंगे. झूठ और चालबाजी से भले ही चीन ने पूरी दुनिया में कोरोना फैला दिया, लेकिन भारत उसकी सारी चालबाजी और हेकड़ी को ठिकाने लगा देगा. अगर ड्रैगन फन् उठाएगा तो हिन्दुस्तान उसे भी अपने पैरों तले कुचल देगा.
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