हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी 'समान नागरिक संहिता लागू करने का सही समय, केंद्र सरकार ले फैसला'

दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में एक समान नागरिक संहिता कानून को लेकर बड़ी बात कही है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 9, 2021, 11:50 PM IST
  • समान नागरिक संहिता लागू करने का वक्त- हाईकोर्ट
  • केंद्र को एक्शन लेने का आदेश
हाईकोर्ट की बड़ी टिप्पणी 'समान नागरिक संहिता लागू करने का सही समय, केंद्र सरकार ले फैसला'

नई दिल्ली: देश में समय समय समान नागरिक संहिता को लेकर सवाल उठते रहते हैं और राजनीतिक गलियारों में नेता चर्चा करते रहते हैं. इस बार दिल्ली हाईकोर्ट ने समान नागरिक संहिता पर टिप्पणी करके इस मुद्दे को तेज कर दिया है. 

समान नागरिक संहिता लागू करने का वक्त- हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में एक समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड) कानून को लेकर बड़ी बात कही है. कोर्ट ने कहा कि देश में एक ऐसी संहिता की जरूरत है जो 'सभी के लिए समान' हो. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में जरूरी कदम उठाने को कहा. 

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आधुनिक भारतीय समाज धर्म, समुदाय और जाति की 'पारंपरिक बाधाओं' को दूर करते हुए धीरे-धीरे एकजातीय होता जा रहा है. इस बदलते हुए स्वरूप को देखते हुए देश में एक समान नागरिक संहिता की जरूरत है. 

केंद्र को एक्शन लेने का आदेश

वहीं इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस प्रतिभा सिंह ने इस मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की. अदालत ने अनुच्छेद 44 का कोर्ट में जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए. न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने 7 जुलाई को दिए एक फैसले में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 को लागू करने में हो रही मुश्किलों के बारे में ये बातें कहीं.

इस एकल पीठ में मीणा के समुदाय से संबंधित पक्षों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की जा रही थी जिसमें जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने कहा कि अदालतों को बार-बार व्यक्तिगत कानूनों में उत्पन्न होने वाले संघर्षों का सामना करना पड़ता है.

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उन्होंने कहा कि विभिन्न समुदायों, जातियों और धर्मों के लोग, जो वैवाहिक बंधन बनाते हैं, ऐसे संघर्षों से जूझते हैं. 

याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने की टिप्पणी

याचिकाकर्ता सतप्रकाश मीना ने अलका मीना से 24 जून 2012 में हिंदू रीति-रिवजों के अनुसार शादी की थी. याचिकाकर्ता ने पत्नी से तलाक लेने के लिए पारिवारिक न्यायालय अधिनियम के तहत तलाक की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. 

पत्नी ने तलाक की याचिका को खारिज करने के लिए आवेदन दायर करते कर दलील दी कि उनपर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते, क्योंकि वे राजस्थान के एक अधिसूचित जनजाति मीणा के सदस्य हैं.

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