देवबंद के मौलवी के बिगड़े बोल- सही समय पर लड़कियों की शादी नहीं की तो वो पाप कर देंगी

लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के फैसले पर देवबंद के मौलवियों ने कहा, ऐसा लगता है कि फैसला जल्दबाजी में लिया गया है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 21, 2021, 09:57 AM IST
  • शादी की उम्र बढ़ाने का देवबंद ने किया विरोध
  • कहा- पहले धर्मगुरुओं से लेनी चाहिए थी सलाह
देवबंद के मौलवी के बिगड़े बोल- सही समय पर लड़कियों की शादी नहीं की तो वो पाप कर देंगी

मुजफ्फरनगरः लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने के केंद्र सरकार के फैसले पर प्रसिद्ध इस्लामिक मदरसा दारुल-उलूम देवबंद के मौलवी ने विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि लड़कियों की शादी सही समय पर नहीं की तो वे पाप कर देंगी. इसलिए कम उम्र में उनकी शादी हो.

देवबंद के मौलवी मुफ्ती असद कासमी ने कहा, 'वे (सरकार) किसी की नहीं सुनते. अगर वे इसे कानून बनाना चाहते हैं, तो वे ऐसा करेंगे. लेकिन मैं यह बताना चाहूंगा कि अगर एक लड़का और एक लड़की ने सही समय पर शादी नहीं की, तो जोखिम है कि वे पाप कर सकते हैं. इसलिए, उनकी शादी कम उम्र में कर देनी चाहिए.'

'जल्दबाजी में लिया गया फैसला'
वहीं, देवबंद के मौलवियों ने कहा, ऐसा लगता है कि फैसला 'जल्दबाजी में लिया गया है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए.' जमीयत दावत उल मुस्लिमीन के संरक्षक इशाक गोरा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इसे कानून बनाना चाहती है, तो उन्हें सभी धर्मों के धर्मगुरुओं से सलाह लेनी चाहिए थी.

मौलवी ने आगे कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहां लोग सरकार से ज्यादा धार्मिक प्रमुखों का पालन करते हैं.

उन्होंने कहा, "हमारी सरकार को कोई भी कानून बनाने का अधिकार है. लेकिन लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के बाद सरकार को इसे लागू करने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए."
 
पश्चिमी यूपी की खापें भी हैं विरोध में
दरअसल, लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के फैसले का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं. इससे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खापें भी इस मुद्दे पर नाराजगी जता चुकी हैं. उन्होंने केंद्र के इस निर्णय को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. साथ ही घोषणा की कि वे इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक महापंचायत बुलाएंगे.

कई खापों ने फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि इससे महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि होगी. यह निर्णय लोगों के निजी जीवन में हस्तक्षेप के बराबर है.

बीकेयू नेता और बलियां खाप के प्रमुख नरेश टिकैत ने कहा, "माता-पिता को यह तय करने का एकमात्र अधिकार होना चाहिए कि उनकी बेटियों की शादी कब की जाए."

थंबा खाप नेता चौधरी बृजपाल ने कहा, "इस कदम से समाज में अपराध बढ़ेगा. लड़कियों की शादी 16 साल की उम्र में कर देनी चाहिए."

केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला लिया है. पुरुषों के लिए शादी की कानूनी उम्र 21 साल है. इस फैसले के साथ सरकार दोनों की शादी की उम्र को बराबर कर देगी.

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