कोलकाता. पश्चिम बंगाल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने पार्टी लीडरशिप पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि पार्टी आंदोलन शुरू करना तो जानती है लेकिन चुनाव कराने और अपने उम्मीदवारों के लिए वोट लाने की कुंजी खो चुकी है. घोष ने कहा कि अगर नेतृत्व उनकी राय सुनना चाहता है तो वह उसे उनके साथ साझा करने के लिए तैयार हैं.
'संगठन खड़ा करना जानता है नेतृत्व'
बीजेपी के पूर्व सांसद दिली घोष ने कहा है-लीडरशिप निश्चित रूप से जानता है कि संगठन कैसे खड़ा किया जाए; वे जानते हैं कि आंदोलन कैसे शुरू किया जाए. लेकिन हम चुनाव प्रचार के बारे में नहीं जानते, हम नहीं जानते कि पार्टी के लिए वोट कैसे प्राप्त करें. ऐसा लगता है कि हमने सीट जीतने के लिए आवश्यक अधिक वोट पाने का सूत्र, कुंजी खो दी है.
क्यों अहम माना जा रहा है बयान?
दिलीप घोष के इस बयान को बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि हाल में हुए लोकसभा चुनाव में बंगाल में बीजेपी को अप्रत्याशित रूप से नुकसान का सामना करना पड़ा है. कुल 42 सीट में से 12 पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. 2019 के चुनाव में पार्टी ने 18 सीट पर विजयी रही थी. इस बार के चुनाव में दिलीप घोष नई सीट से चुनाव लड़ रहे थे, जहां उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा.
2021 विधानसभा चुनाव की दिलाई याद
दिलीप घोष ने कहा-2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 77 सीट पर जीत दर्ज की थी जबकि 100 का आंकड़ा पार करने का लक्ष्य रखा था. हमारी उम्मीदें पूरी नहीं हुईं. पार्टी मंच पर पूछे जाने पर मैं अपने विचार व्यक्त करता हूं। मेरे सुझावों पर कार्रवाई करना नेतृत्व पर निर्भर है. मैं कभी भी जमीनी स्तर के भाजपा कार्यकर्ताओं से कटा नहीं, जो चुनाव के दौरान और उसके बाद अपने क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस के कथित आतंक का सामना कर रहे हैं.
टीएमसी ने भी दी प्रतिक्रिया
बता दें कि RSS के प्रचारक रहे घोष को 2014 में बीजेपी नेतृत्व ने महासचिव नियुक्त किया था. 2015 में पश्चिम बंगाल इकाई का अध्यक्ष बनाया गया और 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें दुर्गापुर-बर्धमान सीट पर तृणमूल उम्मीदवार कीर्ति आजाद को बड़े अंतर से मात मिली. घोष के बयान पर टीएमसी ने कहा है कि यह बीजेपी के बीच बढ़ती निराशा की अभिव्यक्ति हैं क्योंकि लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में सीट पाने की उनकी उम्मीद खत्म हो गई है.
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