क्या RBI करेगा नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव, जानिए क्या है विशेषज्ञों की राय

पीडब्ल्यूसी इंडिया लीडर (आर्थिक सलाहकार सेवाएं) रानन बनर्जी ने कहा कि पेट्रोल की उच्च कीमतों के कारण महंगाई बढने का जोखिम है. इससे एमपीसी के लिए नीतिगत ब्याज घटाने का निर्णय करना आसान नहीं होगा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 31, 2021, 09:25 AM IST
  • पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से महंगाई बढ़ने का जोखिम
  • मौद्रिक नीति उदार बने रहने की संभावना अधिक
क्या RBI करेगा नीतिगत ब्याज दरों में बदलाव, जानिए क्या है विशेषज्ञों की राय

मुंबई: विशेषज्ञों का मानना है कि कोविड-19 की दूसरी लहर और महंगाई बढ़ने की आशंकाओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की शुक्रवार को घोषित की जाने वली द्वैमासिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को वर्तमान स्तर पर ही बनाए रख सकता है.

पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से महंगाई बढ़ने का जोखिम

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में समिति की बैठक दो जून बुधवार को शुरू होगी. अप्रैल में हुई पिछली बैठक में रेपो दर को 4 प्रतिशत तथा रिवर्स रेपो दर को 3.35 प्रतिशत ही बनाए रखा गया था.

पीडब्ल्यूसी इंडिया लीडर (आर्थिक सलाहकार सेवाएं) रानन बनर्जी ने कहा कि पेट्रोल की उच्च कीमतों के कारण महंगाई बढने का जोखिम है. इससे एमपीसी के लिए नीतिगत ब्याज घटाने का निर्णय करना आसान नहीं होगा.

स्थितियां अस्पष्ट होने के कारण मौद्रिक नीति उदार बने रहने की उम्मीद

आईसीआरई की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने भी कहा कि कोरोना काल में आर्थिक गतिविधियों को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है. जब तक टीकाकरण प्रक्रिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं आता, तब तक हमें वर्ष 2021 में मौद्रिक नीति को उदार बनाए रखने की उम्मीद हैं.

उन्होंने कहा, 'औसत सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) मुद्रास्फीति के वर्ष 2021-22 के दौरान 5.2 प्रतिशत रहने का आकलन है जो वित्त वर्ष 2020-21 के में 6.2 प्रतिशत थी.'

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नीतिगत दरों में बदलाव की संभावना नहीं

मनीबोक्स फाइनेंस कंट्रोलर विराल श्रेष्ठ ने कहा, 'महंगाई के जोखिम को देखते हुए जहां तक नीतिगत दरों का संबंध है, हमें आगामी मौद्रिक नीति में यथास्थिति रहने की उम्मीद हैं.'

उन्होंने कहा कि आरबीआई के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करना जरुरी है. ग्रामीण केंद्रित और छोटी एनबीएफसी के लिए एक विशेष सुविधा करने से काफी मदद मिलेगी.

आरबीआई ने अपनी वार्षिक रपट में स्पष्ट कहा है कि वह चालू वित्त वर्ष की मौद्रिक नीति ‘वृहद आर्थिक स्थिति के बदलाओं के अनुसार’ संचालित करेगा. 

इसका झुकाव आर्थिक वृद्धि को तब तक समर्थन देते रहने की ओर होगा जब तक कि मजबूत हो कर खुद जोर न पकड़ ले. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि कीमतों में स्थिरता बनी रहे. रिजर्व बैंक की यह रपट पिछले सप्ताह जारी की गयी.

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