नई दिल्ली: अन्नदाता गुस्से में हैं, या उन्हें भड़काया जा रहा है? ये सवाल इसलिए जरूरी है, क्योंकि किसानों के आंदोलन को कई राजनीतिक पार्टियों ने अपना अड्डा बना लिया है. किसान देश की आन-बान-शान है, लेकिन सियासत के लिए इन्हें कृषि बिल (Agricultural Act) पर भटकाने की साजिशें रची जा रही हैं. तभी तो, बार-बार किसान की आड़ में सियासी ठेकेदार अपनी दुकान चमका रहे हैं. आपको किसान (Farmer) आंदोलन के 7वें दिन से जुड़े अपडेट से रूबरू करवा देते हैं.
सरकार के खिलाफ राहुल का ज़हर
किसानों के आंदोलन का आज 7वां दिन है. सरकार और किसानों के बीच कल यानि गुरुवार को चौथे दौर की बात होगी. गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के आवास पर इसकी रणनीति बनी. बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendra Tomar) और पीयूष गोयल (Piyush Goyal) भी शामिल हुए.
किसान आंदोलन पर हो रही राजनीति को इस बात से समझा जा सकता है कि कांग्रेस के युवराज जनाब राहुल गांधी बार-बार सियासी बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि "मोदी सरकार बातचीत का दिखावा बंद करे."
मोदी सरकार,
- किसानों को जुमले देना बंद करें
- बेईमानी-अत्याचार बंद करें
- बातचीत का ढकोसला बंद करें
- किसान-मज़दूर विरोधी तीनों काले क़ानून ख़त्म करें।— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 2, 2020
किसानों से कल हुई बातचीत पर केंद्रीय मंत्रियों की बैठक हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और पीयूष गोयल के साथ चर्चा हुई. वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद (Ravishankar Prashad) ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि किसानों के पास जो नए विकल्प हैं उन्हें भी बिल में जोड़ेंगे. उन्होंने ये भी कहा कि कृषि कानून किसान विरोधी नहीं है.
..जब किसान नेताओं ने सरकार को चेताया
चौथे दौर की बातचीत से पहले किसान नेताओं की सरकार को चेतावनी दी है. किसान नेताओं ने कहा कि "5 दिसंबर को केंद्र सरकार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन है." इस दौरान नेताओं ने दिल्ली को चारों ओर से बंद करने की भी धमकी दी.
किसान आंदोलन को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने पंजाब की कैप्टन सरकार पर बड़ा हमला बोला है. अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि "काले कानून बनाने वाले कमेटी का कैप्टन अमरिंदर सिंह भी हिस्सा थे." पूछा- "कानून बनने से क्यों नहीं रोका.." दिल्ली और आसपास के लोगों के लिए राहत की खबर.. किसानों ने दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर एक तरफ से रास्ता खोला. महामाया फ्लाईओवर भी दोनों तरफ से खुला. लेकिन सिंघु, टीकरी और झड़ौदा बॉर्डर सील किया गया है.
किसानों पर राजनीति, ZEE हिन्दुस्तान के सवाल
किसान आंदोलन को आज सातवां दिन हो गया है. दिल्ली की तमाम बॉर्डर पर सात दिन से किसान जमा हैं. मंगलवार को किसान नेताओं की सरकार से बातचीत हुई थी. अब कल चौथे दौर की बातचीत होनी है. आंदोलन ने दिल्ली को बंधक बना लिया है. दिल्ली में ही क़ैद होकर रह गई है. इस आंदोलन में किसानों को मोहरा बनाने की लगातार साजिशें गढ़ी जा रही हैं, जिनपर सवाल पूछने भी ज़रूरी हैं..
सवाल नंबर 1). बिना नेता भटका किसान आंदोलन?
सवाल नंबर 2). एक ही राज्य के किसान क्यों नाराज़?
सवाल नंबर 3). किसानों का आंदोलन हाइजैक हुआ?
सवाल नंबर 4). 'खालिस्तान' से आंदोलन टुकड़े-टुकड़े?
सवाल नंबर 5). आंदोलन में कट्टरता के कितने ट्रैक्टर?
कृषि बिल को लेकर उपजे किसानों के आंदोलन को शांत करने के लिए सरकार के प्रयास जारी है. मुलाकातों और बातों का सिलसिला जारी है. 3 दिसंबर को किसान और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच फिर से बातचीत होनी है. मंगलवार को हुई बातचीत में कोई हल नहीं निकल पाया था. उल्टे जब कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर (Narendra Tomar) ने मीटिंग में चाय ब्रेक पर किसानों से चाय पूछी तो किसानों ने उनसे कहा था कि हमारे लंगर में चलिए जलेबी खिलाएंगे.
कब खत्म होगा किसानों का आंदोलन?
किसानों के प्रतिनिधियों के तेवर साफ है कि जलेबी जैसे उलझे कृषि कानून को या तो सरल किया जाए या फिर हटा दिया जाए. किसानों को ये कृषि कानून इसी जलेबी की तरह उलझा हुआ लग रहा है और सरकार लगातार उन्हें बता रही है ये कानून उनके हित में है. किसान आंदोलन अभी लंबा खिंच सकता है. ऐसे में किसानों ने अपनी तरफ से पूरी तैयारियां की है, राशन पानी का इंतजाम किया है. लेकिन फिर भी बहुत से लोग अपने अन्नदाताओं की सेवा में चावल, दाल सब्जी का इंतजाम कर रहे हैं. और मुंह मीठा करने के लिए जलेबियां तली जा रही हैं.
हरियाणा के प्रगतिशील पशुपालक संघ ने किसानों की सेवा के लिए ये व्यवस्था की है. इसमें किसानों के खाने पीने का इंतजाम किया गया है. पशुपालक अपने किसान भाइयों के समर्थन में अपनी क्षमता के मुताबिक आंदोलन का हिस्सा बने हुए हैं. किसानों के आंदोलन का आज 7वां दिन है. ऐसे में किसानों के जोश को बरकरार रखने के लिए पंजाबी गीत संगीत भी जारी है. लेकिन, यहां सबसे बड़ी बात ये है कि किसानों को मोहरा बनाने की साजिश है, उन्हें बरगलाने की साजिश है. इसीलिए सरकार को जल्द से जल्द इसका निवारण ढूंढना चाहिए.
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